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बैसाखी पर सूनी रही कालेश्‍वर मंदिर, कोरोना ने रोका पंचतीर्थी स्नान - भगवान शिव

ऐतिहासिक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर में बैसाखी के पर्व पर इस बार श्रद्धालुओं का हुजूम नहीं उमड़ा. कोरोना महामारी के चलते इस साल बैसाखी महापर्व पर श्रद्धालु पंचतीर्थी सरोवर में प्रवित्र स्नान नहीं कर पाए.

Kaleshwar Mahadev Temple
पंचतीर्थी सरोवर
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Published : Apr 14, 2020, 1:37 PM IST

कांगड़ा: कोरोना महामारी के चलते देहरा उपमंडल में ऐतिहासिक कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर में राज्य स्तरीय मेले का आयोजन नहीं किया गया. ऋगवेद काल से लेकर इतिहास में शायद पहली बार पंचतीर्थी सरोवर बैसाखी के अवसर पर सूना देखा गया.

शिवालिक पहाड़ियों से जुड़ा है इतिहास

ऋग्वेद के अनुसार कांगड़ा के देहरा उपमंडल के कालेश्‍वर में व्यास नदी के किनारे प्रसिद्ध कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है. सतयुग में हिमाचल की शिवालिक पहाड़ियों में दैत्‍य जालंधर के आतंक से देवता, ऋषि-मुनि परेशान थे. सभी ने भगवान श्रीहरि से इस समस्‍या का समाधान मांगा. तभी देवताओं और ऋषियों-मुनियों ने अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान की. इससे महाकाली का जन्‍म हुआ. महाकाली ने कुछ ही क्षणों में जालंधर और अन्‍य दैत्‍यों का नाश कर दिया.

Kaleshwar Mahadev Temple
पंचतीर्थी सरोवर

काली का क्रोध शांत करने पहुंचे थे शिव

कथा के अनुसार दैत्‍यों के संहार के बाद भी जब दैत्‍य जालंधर के आतंक कम नहीं हुआ तो भगवान शिव स्‍वयं पहुंचे और युद्ध भूमि में लेट गए. क्रोधित माता का पैर शिव के ऊपर पड़ा और देवी काली को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ तो वह शांत हो गईं, लेकिन उन्‍हें बार-बार इस गलती का अफसोस होता रहा.

प्रायश्चित करने के लिए वर्षों तक देवी हिमालय पर विचरती रहीं. एक दिन वह कालेश्‍वर में ब्‍यास नदी के किनारे बैठकर भगवान शिव का ध्‍यान करने लगीं. भोलेनाथ ने उस समय देवी काली को दर्शन दिए और उस स्‍थान पर ज्‍योर्तिलिंग की स्‍थापना की. तभी से इस स्‍थान को काली और शिव यानी कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा.

पांडवों से भी जुड़ा है कालेश्‍वर महादेव का इतिहास

कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव का इतिहास पांडवों से भी जुड़ा है. एक कथा के अनुसार कि अज्ञातवास के दौरान पांडव जब यहां आए तो अपने साथ प्रसिद्ध तीर्थ प्रयाग, उज्‍जैन, नासिक, हरिद्वार और रामेश्वरम का जल साथ लेकर आए थे. तब उन्‍होंने इन पंचतीर्थों के जल को यहां स्थित तालाब में डाल दिया. तब से इस स्‍थान को पंचतीर्थी के नाम से जाना जाने लगा.

Kaleshwar Mahadev Temple
कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर.

यूं तो पंचतीर्थी में स्‍नान का हमेशा ही पुण्‍य मिलता है, लेकिन बैसाखी के दिन यहां स्‍नान करने से असंख्‍य पुण्‍य की प्राप्ति होती है, लेकिन इस बार बैसाखी के अवसर पर कोरोना के चलते पंचतीर्थी में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम नहीं उमड़ पाया.

कांगड़ा: कोरोना महामारी के चलते देहरा उपमंडल में ऐतिहासिक कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर में राज्य स्तरीय मेले का आयोजन नहीं किया गया. ऋगवेद काल से लेकर इतिहास में शायद पहली बार पंचतीर्थी सरोवर बैसाखी के अवसर पर सूना देखा गया.

शिवालिक पहाड़ियों से जुड़ा है इतिहास

ऋग्वेद के अनुसार कांगड़ा के देहरा उपमंडल के कालेश्‍वर में व्यास नदी के किनारे प्रसिद्ध कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर स्थित है. सतयुग में हिमाचल की शिवालिक पहाड़ियों में दैत्‍य जालंधर के आतंक से देवता, ऋषि-मुनि परेशान थे. सभी ने भगवान श्रीहरि से इस समस्‍या का समाधान मांगा. तभी देवताओं और ऋषियों-मुनियों ने अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान की. इससे महाकाली का जन्‍म हुआ. महाकाली ने कुछ ही क्षणों में जालंधर और अन्‍य दैत्‍यों का नाश कर दिया.

Kaleshwar Mahadev Temple
पंचतीर्थी सरोवर

काली का क्रोध शांत करने पहुंचे थे शिव

कथा के अनुसार दैत्‍यों के संहार के बाद भी जब दैत्‍य जालंधर के आतंक कम नहीं हुआ तो भगवान शिव स्‍वयं पहुंचे और युद्ध भूमि में लेट गए. क्रोधित माता का पैर शिव के ऊपर पड़ा और देवी काली को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ तो वह शांत हो गईं, लेकिन उन्‍हें बार-बार इस गलती का अफसोस होता रहा.

प्रायश्चित करने के लिए वर्षों तक देवी हिमालय पर विचरती रहीं. एक दिन वह कालेश्‍वर में ब्‍यास नदी के किनारे बैठकर भगवान शिव का ध्‍यान करने लगीं. भोलेनाथ ने उस समय देवी काली को दर्शन दिए और उस स्‍थान पर ज्‍योर्तिलिंग की स्‍थापना की. तभी से इस स्‍थान को काली और शिव यानी कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा.

पांडवों से भी जुड़ा है कालेश्‍वर महादेव का इतिहास

कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव का इतिहास पांडवों से भी जुड़ा है. एक कथा के अनुसार कि अज्ञातवास के दौरान पांडव जब यहां आए तो अपने साथ प्रसिद्ध तीर्थ प्रयाग, उज्‍जैन, नासिक, हरिद्वार और रामेश्वरम का जल साथ लेकर आए थे. तब उन्‍होंने इन पंचतीर्थों के जल को यहां स्थित तालाब में डाल दिया. तब से इस स्‍थान को पंचतीर्थी के नाम से जाना जाने लगा.

Kaleshwar Mahadev Temple
कालीनाथ कालेश्‍वर महादेव मंदिर.

यूं तो पंचतीर्थी में स्‍नान का हमेशा ही पुण्‍य मिलता है, लेकिन बैसाखी के दिन यहां स्‍नान करने से असंख्‍य पुण्‍य की प्राप्ति होती है, लेकिन इस बार बैसाखी के अवसर पर कोरोना के चलते पंचतीर्थी में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम नहीं उमड़ पाया.

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