ज्वालामुखी: लॉकडाउन के दौरान रुके हुए विकास कार्यों को अब गति मिल गई है. इसी कड़ी में ज्वालामुखी के ऐतिहासिक रघुनाथ टेढ़ा मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य चला हुआ है. यहां मंदिर व शहंशाह अकबर की नहर का जीर्णोद्धार करने के निर्देश दिए हैं.
हिमाचल प्रदेश राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला की देखरेख में ये कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि शहंशाह अकबर की लगभग 500 साल पुरानी नहर है, उसके अवशेष यहां आज भी मौजूद हैं. उसका उचित मरम्मत व रखरखाव करके यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है.
रमेश धवाला ने कहा कि अक्सर लोग इतिहास को जानना चाहते हैं. यात्रियों को आकर्षित करने के लिए टेढ़ा मंदिर के रास्ते में शहंशाह की नहर का जीर्णोद्धार किया जाएगा, ताकि बाहर से आने वाले यात्रियों के लिए यह आस्था और श्रद्धा का केंद्र बन सके.
उन्होंने कहा, टेढ़ा मंदिर जाने वाले यात्रियों को शहंशाह अकबर की 500 साल पुरानी नहर के भी दर्शन होंगे जिससे मां ज्वालामुखी के प्रति भक्तों में और भी ज्यादा आस्था और श्रद्धा की बढ़ोतरी होगी.
खुदाई में मिले शहंशाह अकबर की नहर के अवशेष
मंदिर के जिर्णोद्धार के लिए शहर से मंदिर तक रास्ते को चौड़ा करने और उसकी सफाई का काम भी चला हुआ है. यहीं सीढ़ियों के मरम्मत कार्य के दौरान खुदाई में 500 साल पुरानी नहर के और अवशेष भी मिले हैं. शहंशाह अकबर की नहर 1905 में हुए जिला कांगड़ा में प्रलयकारी भूकंप में क्षतिग्रस्त होकर मिट्टी और मलबे के नीचे दब गई थी.
स्थानीय विधायक रमेश धवाला ने टेढ़ा मंदिर का दौरा कर यहां के रास्तों की मरम्मत करने व मंदिर के सौंदर्यीकरण करने के निर्देश प्रशासन को दिए थे, जिस पर सीढ़िों की मरम्मत करने के दौरान झाड़ियों और मलबे के नीचे से लगभग 500 साल पुरानी इस शहंशाह अकबर की नहर के और अवशेष पाए गए हैं जो कहीं-कहीं क्षतिग्रस्त हो गए हैं और कहीं-कहीं अभी भी अपने पुराने स्वरूप में हैं.
क्या है नहर का इतिहास
कहा जाता है कि ज्वालामुखी मंदिर के चमत्कार पर शक करते हुए मुगल बादशाह अकबर ने मां ज्वालामुखी के मंदिर में जल रही अखंड व पावन ज्योतियों को बुझाने के लिए पहाड़ों से पानी की नहर खुदवाई थी. नहर द्वारा इस पानी को मंदिर तक ले जाकर माता की ज्योतियों के ऊपर अपने सिपेसालारों से डलवाया था ताकि ज्योतियां बुझ जाएं.
चमत्कार के कारण यह ज्योतियां पानी के ऊपर तैरने लगी थी जिससे प्रभावित होकर शहंशाह अकबर ने यहां पर सवा मन सोने का छत्र चढ़ाया था अहंकार हो जाने पर माता ने उसे खंडित कर दिया था अब किसी भी धातु का नहीं है मन्दिर में रखा गया है.
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