कांगडा: कोरोना संकट के बीच डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज की 32 नर्सों को बिना किसी नोटिस के नौकरी से हटाने का मामला सामने आया है. नर्सों में सरकार व कॉलेज प्रशासन के प्रति भारी रोष पैदा हो गया है.
नौकरी से हटाई गई सभी नर्सें टांडा मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्सिंग बैच नंबर तीन से संबंध रखती हैं. सभी नर्सों का कार्यकाल लगभग एक साल का पूरा हो चुका है. नर्सों में इस बात को लेकर भी रोष है कि उनके हाथों में थमाए गए पत्रों में टर्मिनेट शब्द का प्रयोग किया है.
सूचित किए बिना किया बर्खास्त
जानकारी के मुताबिक नौकरी से हटाई गई नर्सों को अंदरखाने से यह कहा जा रहा है कि हम आपकी एडजस्टमेंट कर रहे हैं, जबकि जारी पत्र में साफ तौर पर नौकरी से बर्खास्त करने की बात कही गई है. नर्सों का यह भी कहना है कि नौकरी से बर्खास्त करने से पहले उन्हें एक माह पहले क्यों सूचित नहीं किया गया.
आउटसोर्स नर्सेज यूनियन की प्रधान प्रियंका चौधरी, उपप्रधान मीनाक्षी शर्मा व सचिव कीर्ति कौंडल ने कहा कि अगर हटाई गई नर्सों को शीघ्र नौकरी पर वापस नहीं रखा तो उन्हें मजबूरन विरोध प्रर्दशन करना पड़ेगा.
जरूरत पड़ने पर रखा जाता है नौकरी पर
जब टांडा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भानु अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि ठेकेदार के द्वारा रखी गई नर्सों को जरूरत पड़ने पर ही नौकरी पर रखा जाता है. कॉलेज प्रशासन को लगता है कि अब उनकी जरूरत कम है, तो ठकेदार द्वारा उन्हें नौकरी से हटाया जाता है.
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