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दृष्टिहीन कमलेश कुमारी लगा रही मेडिकल कॉलेज के चक्कर, सीएम हेल्पलाइन से भी नहीं मिली मदद

दृष्टिहीन कमलेश कुमारी दिव्यांगता कार्ड बनाने के लिए मेडीकल कालेज हमीरपुर के चक्कर लगा रही है. इस मामले को लेकर वह 7 बार मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का चक्कर काट चुकी हैं. सीएमओ से लेकर चिकित्सा अधीक्षक तक सब अधिकारियों से मुलाकात कर चुकी हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.

Medical College Hamirpur
दृष्टिहीन कमलेश कुमारी लगा रही मेडिकल कॉलेज के चक्कर.
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Published : Feb 3, 2020, 1:38 PM IST

हमीरपुर: मेडीकल कालेज हमीरपुर में दृष्टिहीन कमलेश कुमारी को दिव्यांगता कार्ड बनाने के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ाया जा रहा है. इसके बाद भी कार्ड बनना दूर की बात है. यहां तक की अस्पताल में डाक्टरों ने पीडिता की स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों की फाइल तक नहीं ली.

सरकारी व्यवस्था से लड़ने के बाद कमलेश कुमारी सरकारी गलियारों से बुरा अनुभव लेकर घर वापस चली गई. उपमंडल सुजानपुर के सलूही गांव निवासी दृष्टिहीन कमलेश कुमारी शारीरिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए भटक रही है, लेकिन आज तक उसका प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

वहीं, महिला के पति प्रदीप कुमार का कहना है कि इस मामले को लेकर वह 7 बार मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का चक्कर काट चुके हैं. सीएमओ से लेकर चिकित्सा अधीक्षक तक सभी अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग के एक गलत निशान की वजह से उन्हें दौड़ाया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि गरीब आदमी की कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी उन्हें इस मामले को अधिकारियों के पास निपटाने की सलाह दी गई.

जानकारी के अनुसार कमलेश कुमारी ने वर्ष 2009 में शारीरिक दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाया था, लेकिन उस समय यह ऑफ लाइन बनाया जाता था. अब यह कार्ड ऑन लाइन बनाए जा रहे हैं और इसके लिए दृष्टिहीन महिला अक्तूबर माह से कागजात तैयार कर रही है. इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही दिव्यांगों को सारी सुविधाओं व योजनाओं का लाभ मिल रहा है. इस वर्ग के यूडीआईडी कार्ड भी बनेगा. यूडीआई कार्ड के बनने से किसी भी दिव्यांग व्यक्ति को अलग-अलग कार्ड बनाने की आवश्यकता नहीं है.

उस व्यक्ति को सभी सुविधाएं यूडीआईडी कार्ड से ऑनलाइन ही मिलेंगी. इस प्रक्रिया के तहत कमलेश कुमारी ने ऑनलाइन प्रमाणपत्र बनाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान उसके फार्म सबमिट नहीं हो रहे हैं. इसके बाद महिला ने बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाकर परेशान होकर मुख्यमंत्री हैल्पलाइन से नंबर पर इसकी शिकायत की हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक
इस बारे में मेडीकल कालेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि महिला ने जो पहले प्रमाणपत्र बनवाया है, उसके आधार पर पत्र ऑनलाइन नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि महिला को नया प्रमाणपत्र बनवाना होगा. उसके बाद ही ऑनलाइन कार्ड बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर उनका कार्ड नहीं बनाया गया है तो इसकी उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

हमीरपुर: मेडीकल कालेज हमीरपुर में दृष्टिहीन कमलेश कुमारी को दिव्यांगता कार्ड बनाने के लिए एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ाया जा रहा है. इसके बाद भी कार्ड बनना दूर की बात है. यहां तक की अस्पताल में डाक्टरों ने पीडिता की स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों की फाइल तक नहीं ली.

सरकारी व्यवस्था से लड़ने के बाद कमलेश कुमारी सरकारी गलियारों से बुरा अनुभव लेकर घर वापस चली गई. उपमंडल सुजानपुर के सलूही गांव निवासी दृष्टिहीन कमलेश कुमारी शारीरिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए भटक रही है, लेकिन आज तक उसका प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है.

वीडियो रिपोर्ट.

वहीं, महिला के पति प्रदीप कुमार का कहना है कि इस मामले को लेकर वह 7 बार मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का चक्कर काट चुके हैं. सीएमओ से लेकर चिकित्सा अधीक्षक तक सभी अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग के एक गलत निशान की वजह से उन्हें दौड़ाया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि गरीब आदमी की कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी उन्हें इस मामले को अधिकारियों के पास निपटाने की सलाह दी गई.

जानकारी के अनुसार कमलेश कुमारी ने वर्ष 2009 में शारीरिक दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाया था, लेकिन उस समय यह ऑफ लाइन बनाया जाता था. अब यह कार्ड ऑन लाइन बनाए जा रहे हैं और इसके लिए दृष्टिहीन महिला अक्तूबर माह से कागजात तैयार कर रही है. इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही दिव्यांगों को सारी सुविधाओं व योजनाओं का लाभ मिल रहा है. इस वर्ग के यूडीआईडी कार्ड भी बनेगा. यूडीआई कार्ड के बनने से किसी भी दिव्यांग व्यक्ति को अलग-अलग कार्ड बनाने की आवश्यकता नहीं है.

उस व्यक्ति को सभी सुविधाएं यूडीआईडी कार्ड से ऑनलाइन ही मिलेंगी. इस प्रक्रिया के तहत कमलेश कुमारी ने ऑनलाइन प्रमाणपत्र बनाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान उसके फार्म सबमिट नहीं हो रहे हैं. इसके बाद महिला ने बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाकर परेशान होकर मुख्यमंत्री हैल्पलाइन से नंबर पर इसकी शिकायत की हैं.

क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक
इस बारे में मेडीकल कालेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल वर्मा ने बताया कि महिला ने जो पहले प्रमाणपत्र बनवाया है, उसके आधार पर पत्र ऑनलाइन नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि महिला को नया प्रमाणपत्र बनवाना होगा. उसके बाद ही ऑनलाइन कार्ड बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर उनका कार्ड नहीं बनाया गया है तो इसकी उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

Intro:दृष्टिहीन कमलेश कुमारी लगा रही मेडिकल कॉलेज के चक्कर, सीएम हेल्पलाइन से भी नहीं मिली मदद
हमीरपुर.
जिस तन लागे, वो ही जाने। कोई क्या जाने पीड़ पराई। ऐसी ही दास्तां दृष्टिहीन कमलेश कुमारी की है, जिसे दिव्यांगता कार्ड बनाने के लिए मैडीकल कालेज हमीरपुर के एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ाया गया लेकिन कार्ड बनना तो दूर की बात रही, उसकी स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों की फाइल भी नहीं ली गई। शाम होते होते सरकारी व्यवस्था से लडऩे के बाद कमलेश कुमारी सरकारी गलियारों का कटु अनुभव लेकर वापस घर चली गई। उपमंडल सुजानपुर के सलूही गांव निवासी दृष्टिहीन कमलेश कुमारी शारीरिक दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए भटक रही है, लेकिन आज दिन तक उसका प्रमाण पत्र नहीं बना है।


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महिला के पति प्रदीप कुमार का कहना है कि इस मसले को लेकर 7 बार वह मेडिकल कॉलेज हमीरपुर का चक्कर काट चुके हैं सीएमओ से लेकर चिकित्सा अधीक्षक सब अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं लेकिन अंधेर गर्दी छाई है कोई उनके समस्या का समाधान नहीं कर रहा है जबकि यह त्रुटि विभाग की तरफ से की गई है महज एक गलत निशान के वजह से उन्हें दौड़ाया जा रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है गरीब आदमी की कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी उन्हें यह सलाह दी गई कि इस मामले को अधिकारियों के पास निपटा लें.


Conclusion:जानकारी के अनुसार कमलेश कुमारी ने वर्ष 2009 में शारीरिक दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाया था लेकिन उस समय यह ऑफ लाइन ही बनाया जाता था। अब यह कार्ड ऑन लाइन बनाए जा रहे हैं जिसके लिए दृष्टिहीन महिला अक्तूबर माह से कागजात तैयार कर रही है, ताकि ऑन लाइन बनने वाले शारीरिक दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवा सकेे। इस प्रमाणपत्र के बलबूते ही अब सारी सुविधाओं व योजनाओं का लाभ लेने के लिए बनाए जा रहे इस वर्ग के यू.डी.आई.डी. कार्ड भी बनेगा। इस यू.डी.आई. कार्ड के बनने से अब किसी भी दिव्यांग व्यक्ति को अलग-अलग कार्ड बनाने की आवश्यकता नहीं है। ऑनलाइन बनने वाले यू.डी.आई.डी. कार्ड से ही सभी सुविधाएं उस व्यक्ति को मिलेंगी। सलूही गांव की कमलेश कुमारी ने भी इसी प्रक्रिया के तहत ऑन लाइन प्रमाणपत्र बनाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑन लाइन प्रक्रिया के दौरान उसके फार्म सबमिट नहीं हो रहे हैं। बार-बार अस्पताल के चक्कर लगाकर महिला परेशान हो गई है और महिला ने मुख्यमंत्री हैल्प लाइन से भी इसकी शिकायत कर दी है।


क्या कहते हैं चिकित्सा अधीक्षक
इस बारे में मैडीकल कालेज हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डा. अनिल वर्मा ने बताया कि महिला ने जो पहले प्रमाणपत्र बनवाया है, उसके आधार पर ऑनलाइन नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि महिला को नया प्रमाणपत्र बनवाना होगा उसके बाद ही ऑनलाइन कार्ड बनाया जा सकता है। अगर उनका कार्ड नहीं बनाया है तो इसके बारे में पता कर उचित कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।  
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