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पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज, हिमाचल में मरीजों का आयुष की ओर बढ़ रहा रुझान

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Published : Jun 7, 2023, 12:12 PM IST

Updated : Jun 7, 2023, 2:28 PM IST

हिमाचल प्रदेश में इन दिनों कई जटिल बीमारियों से जूझ रहे मरीज पंचकर्म पद्धति को अपना रहे हैं. जिसकी मदद से मरीज को बीमारी से रिकवर करने में काफी फायदा हो रहा है. आयुष अस्पतालों में आने वाले 80 से 90 प्रतिशत मरीज पंचकर्म पद्धति से ठीक हो रहे हैं. पढ़िए पूरी खबर...

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पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज
पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज

हमीरपुर: आयुष विभाग की पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज है. यही वजह है कि अब आयुष के अस्पतालों में पहुंचने वाले 80 से 90 फीसदी मरीज पंचकर्म पद्धति को अपनाकर खुद को चुस्त-दुरुस्त कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी आयुष अस्पतालों में पंचकर्म की ओर खासा ध्यान दिया जा रहा है. गंभीर बीमारियों में इलाज के साथ ही पंचकर्म शरीर को डिटॉक्स करने की विधि उत्तम विधि मानी गई है.

भागदौड़ की जिंदगी में बीमारियों का खतरा: वर्तमान समय में भागदौड़ भरी जिंदगी में हाइपरटेंशन, इनसोम्निया (नींद ना आना), जोड़ों का दर्द के अलावा विभिन्न प्रकार की एलर्जी होना आम बात हो गई है. इन सभी बीमारियों का पंचकर्म विधि से उपचार किया जा सकता है. पिछले कुछ समय से आयुष विभाग इस और फोकस कर रहा है, जिससे लोग भी अब उपचार के इस पारंपरिक पद्धति को अपना रहे हैं. खराब पाचन से लेकर मधुमेह, सोरायसिस, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों से मरीजों को इस पद्धति से रिकवर किया जा सकता है. पंचकर्म के नाम से ही समझा जा सकता है कि यहां पांच क्रियाओं की एक पद्धति है, जिससे विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है. इसमें वमन, विरेचन, वस्ती, नास्य और रक्त मोक्षण क्रियाएं शामिल है.

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पंचकर्म में 5 क्रियाओं से मरीजों का इलाज: जिला आयुष अस्पताल हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुनीता भारती ने बताया कि पंचकर्म में 5 क्रियाओं द्वारा रोगी का उपचार किया जाता है. जिसमें वमन, विरेचन, वस्ती, नास्य और रक्त मोक्षण शामिल हैं. आयुर्वेद के अनुसार रोग 3 तरह के होते हैं. इसमें वात, पित्त और कफ वर्ग है. वात रोग में वस्ती कर्म से उपचार किया जाता है. इस कर्म से गठिया और बवासीर रोगों का उपचार होता है. कफ रोग में वमन कर्म के माध्यम से उल्टी के जरिए विकार को शरीर से बाहर निकाला जाता है.

पंचकर्म में पीलिया और त्वचा एलर्जी का भी इलाज: विरेचन कर्म के मुताबिक मल के जरिए शरीर में मौजूद विकारों को बाहर निकाला जाता है. इस कर्म के अनुसार आंतों की सफाई की जाती है और पीलिया जैसे विकारों का इलाज किया जाता है. नास्य कर्म मे गले से ऊपर के रोगों का उपचार किया जाता है. इसमें एलर्जी वाले मरीज भी शामिल होते हैं. जिनका उपचार इस विधि से किया जाता है. रक्त मोक्षण कर्म में दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकाला जाता है. यह कर्म त्वचा रोग और सोरायसिस सहित अन्य घाव के उपचार के लिए किया जाता है.

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पंचकर्म में यह क्रिया महत्वपूर्ण: वात जोड़ों का दर्द, जकड़न और स्पोंडिलाइटिस जैसी बीमारियों का कारण होता है. इसके ग्रसित मरीज आयुष अस्पताल में पहुंच रहे हैं, जिन्हें स्नेहन, स्वेदन क्रिया से ठीक किया जाता है. स्नेहन में बाह्य स्नेहन, अभ्यंग, शिरोधारा क्रियाएं की जाती है. इसमें तेल, दूध और अन्य औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है. शिरोधारा में माथे के ऊपर तेल और दूध की एक धार लगाई जाती है. करीब 1 घंटे की इस क्रिया में अनिद्रा हाइपरटेंशन के मरीजों को काफी राहत मिलती है. स्वेदन क्रिया में शरीर से पसीना निकाला जाता है. इसमें शरीर में मौजूद भी विकारों का निष्कासन त्वचा मार्ग के जरिए किया जाता है. पसीने और गर्मी पैदा होने पर जोड़ ढ़िले होते हैं और मरीजों को आराम मिलता है.

फ्रोजन शोल्डर के मरीज का उपचार: आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर दीप्ति शेट्टी ने कहा कि फ्रोजन शोल्डर के मरीज का उपचार पंचकर्म पद्धति से किया जा रहा है. स्नेहन, स्वेदन क्रिया के तहत मरीज का उपचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा इससे मरीजों को राहत मिल रही है. मरीज की उम्र अधिक होने पर थोड़ा अधिक समय लग सकता है. उन्होंने कहा कुछ मरीज महज दो बार क्रिया करने से ठीक हो जाते हैं, लेकिन उम्र दराज मरीजों को ये प्रक्रिया करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है.

जोड़ों के दर्द से जूझ रहे मरीज को मिली राहत: सीनियर आयुर्वेदिक चिकित्सक एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ रविंद्र कुमार ने बताया कि जोड़ों के दर्द से जूझ रहे मरीज को सबसे पहले स्नेहन, स्वेदन क्रिया की जाती है. उन्होंने कहा कि अभी अस्पताल में एक महिला मरीज का उपचार अस्पताल में चल रहा है, जो खिलाड़ी भी हैं, लेकिन 30 साल की उम्र में ही उन्हें जोड़ों का दर्द परेशान कर रहा है. इस मरीज को स्नेहन, स्वेदन क्रिया करवाई जा रही है. इसके बाद जानुवस्ति और पोटली क्रिया भी करवाई जाती है.

पंचकर्म से मरीजों की बिमारियां हो रही दूर: फ्रोजन शोल्डर की मरीज शकुंतला देवी का कहना है कि वह लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थी. पंचकर्म से उन्हें राहत मिली है. उन्होंने हर जगह उपचार करवाया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली. अब पंचकर्म से काफी सुधार देखने को मिल रहा है. अब वह अपनी बाजू और कंधे को हिला पा रही है. जोड़ों के दर्द के मरीज शशि का कहना है कि उन्होंने हर जगह उपचार करवाया, लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली. अब पंचकर्म से वह उपचार करवा रहे हैं तो, उन्हें कुछ हद तक राहत मिली है. इनसोम्निया यानी अनिद्रा के मरीज ज्ञानचंद का कहना है कि उन्हें नींद बेहद कम आती थी. उन्हें लगातार तीन महीने से दिक्कत आ रही थी. अब उपचार के बाद काफी राहत महसूस हो रही है. डॉक्टर शिरोधारा के जरिए उनका उपचार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें: आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में पंचकर्म पद्धति से स्वस्थ होकर घर लौट रहे मरीज, 2300 क्रियाओं से हो रहा इलाज

पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज

हमीरपुर: आयुष विभाग की पंचकर्म पद्धति में हर मर्ज का इलाज है. यही वजह है कि अब आयुष के अस्पतालों में पहुंचने वाले 80 से 90 फीसदी मरीज पंचकर्म पद्धति को अपनाकर खुद को चुस्त-दुरुस्त कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी आयुष अस्पतालों में पंचकर्म की ओर खासा ध्यान दिया जा रहा है. गंभीर बीमारियों में इलाज के साथ ही पंचकर्म शरीर को डिटॉक्स करने की विधि उत्तम विधि मानी गई है.

भागदौड़ की जिंदगी में बीमारियों का खतरा: वर्तमान समय में भागदौड़ भरी जिंदगी में हाइपरटेंशन, इनसोम्निया (नींद ना आना), जोड़ों का दर्द के अलावा विभिन्न प्रकार की एलर्जी होना आम बात हो गई है. इन सभी बीमारियों का पंचकर्म विधि से उपचार किया जा सकता है. पिछले कुछ समय से आयुष विभाग इस और फोकस कर रहा है, जिससे लोग भी अब उपचार के इस पारंपरिक पद्धति को अपना रहे हैं. खराब पाचन से लेकर मधुमेह, सोरायसिस, अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियों से मरीजों को इस पद्धति से रिकवर किया जा सकता है. पंचकर्म के नाम से ही समझा जा सकता है कि यहां पांच क्रियाओं की एक पद्धति है, जिससे विभिन्न बीमारियों का इलाज किया जाता है. इसमें वमन, विरेचन, वस्ती, नास्य और रक्त मोक्षण क्रियाएं शामिल है.

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पंचकर्म में 5 क्रियाओं से मरीजों का इलाज: जिला आयुष अस्पताल हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुनीता भारती ने बताया कि पंचकर्म में 5 क्रियाओं द्वारा रोगी का उपचार किया जाता है. जिसमें वमन, विरेचन, वस्ती, नास्य और रक्त मोक्षण शामिल हैं. आयुर्वेद के अनुसार रोग 3 तरह के होते हैं. इसमें वात, पित्त और कफ वर्ग है. वात रोग में वस्ती कर्म से उपचार किया जाता है. इस कर्म से गठिया और बवासीर रोगों का उपचार होता है. कफ रोग में वमन कर्म के माध्यम से उल्टी के जरिए विकार को शरीर से बाहर निकाला जाता है.

पंचकर्म में पीलिया और त्वचा एलर्जी का भी इलाज: विरेचन कर्म के मुताबिक मल के जरिए शरीर में मौजूद विकारों को बाहर निकाला जाता है. इस कर्म के अनुसार आंतों की सफाई की जाती है और पीलिया जैसे विकारों का इलाज किया जाता है. नास्य कर्म मे गले से ऊपर के रोगों का उपचार किया जाता है. इसमें एलर्जी वाले मरीज भी शामिल होते हैं. जिनका उपचार इस विधि से किया जाता है. रक्त मोक्षण कर्म में दूषित रक्त को शरीर से बाहर निकाला जाता है. यह कर्म त्वचा रोग और सोरायसिस सहित अन्य घाव के उपचार के लिए किया जाता है.

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पंचकर्म में यह क्रिया महत्वपूर्ण: वात जोड़ों का दर्द, जकड़न और स्पोंडिलाइटिस जैसी बीमारियों का कारण होता है. इसके ग्रसित मरीज आयुष अस्पताल में पहुंच रहे हैं, जिन्हें स्नेहन, स्वेदन क्रिया से ठीक किया जाता है. स्नेहन में बाह्य स्नेहन, अभ्यंग, शिरोधारा क्रियाएं की जाती है. इसमें तेल, दूध और अन्य औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है. शिरोधारा में माथे के ऊपर तेल और दूध की एक धार लगाई जाती है. करीब 1 घंटे की इस क्रिया में अनिद्रा हाइपरटेंशन के मरीजों को काफी राहत मिलती है. स्वेदन क्रिया में शरीर से पसीना निकाला जाता है. इसमें शरीर में मौजूद भी विकारों का निष्कासन त्वचा मार्ग के जरिए किया जाता है. पसीने और गर्मी पैदा होने पर जोड़ ढ़िले होते हैं और मरीजों को आराम मिलता है.

फ्रोजन शोल्डर के मरीज का उपचार: आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉक्टर दीप्ति शेट्टी ने कहा कि फ्रोजन शोल्डर के मरीज का उपचार पंचकर्म पद्धति से किया जा रहा है. स्नेहन, स्वेदन क्रिया के तहत मरीज का उपचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा इससे मरीजों को राहत मिल रही है. मरीज की उम्र अधिक होने पर थोड़ा अधिक समय लग सकता है. उन्होंने कहा कुछ मरीज महज दो बार क्रिया करने से ठीक हो जाते हैं, लेकिन उम्र दराज मरीजों को ये प्रक्रिया करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है.

जोड़ों के दर्द से जूझ रहे मरीज को मिली राहत: सीनियर आयुर्वेदिक चिकित्सक एवं पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ रविंद्र कुमार ने बताया कि जोड़ों के दर्द से जूझ रहे मरीज को सबसे पहले स्नेहन, स्वेदन क्रिया की जाती है. उन्होंने कहा कि अभी अस्पताल में एक महिला मरीज का उपचार अस्पताल में चल रहा है, जो खिलाड़ी भी हैं, लेकिन 30 साल की उम्र में ही उन्हें जोड़ों का दर्द परेशान कर रहा है. इस मरीज को स्नेहन, स्वेदन क्रिया करवाई जा रही है. इसके बाद जानुवस्ति और पोटली क्रिया भी करवाई जाती है.

पंचकर्म से मरीजों की बिमारियां हो रही दूर: फ्रोजन शोल्डर की मरीज शकुंतला देवी का कहना है कि वह लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थी. पंचकर्म से उन्हें राहत मिली है. उन्होंने हर जगह उपचार करवाया, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली. अब पंचकर्म से काफी सुधार देखने को मिल रहा है. अब वह अपनी बाजू और कंधे को हिला पा रही है. जोड़ों के दर्द के मरीज शशि का कहना है कि उन्होंने हर जगह उपचार करवाया, लेकिन कहीं भी राहत नहीं मिली. अब पंचकर्म से वह उपचार करवा रहे हैं तो, उन्हें कुछ हद तक राहत मिली है. इनसोम्निया यानी अनिद्रा के मरीज ज्ञानचंद का कहना है कि उन्हें नींद बेहद कम आती थी. उन्हें लगातार तीन महीने से दिक्कत आ रही थी. अब उपचार के बाद काफी राहत महसूस हो रही है. डॉक्टर शिरोधारा के जरिए उनका उपचार कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें: आयुर्वेदिक अस्पताल रामपुर में पंचकर्म पद्धति से स्वस्थ होकर घर लौट रहे मरीज, 2300 क्रियाओं से हो रहा इलाज

Last Updated : Jun 7, 2023, 2:28 PM IST
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