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फादर डे स्पेशल: पिता धूमल का मंत्री बेटे पर अनुभव के साथ ही खूब बरसा 'अनुराग'

देश की राजनीति में युवा नेता के नाम पर जिस अनुराग ठाकुर का डंका बज रहा है, उस अनुराग ठाकुर की राजनीतिक नींव दो बार के मुख्यमंत्री रहे पिता प्रेम कुमार धूमल के अनुभव की ईंटों से बनी है. हाल ही में मोदी सरकार में अहम पद हासिल करने के बाद जब अनुराग ठाकुर अपने घर पर पिता से मिले तो उसमें जो भावुक दृश्य देखने को मिला उससे पिता पुत्र के बीच मौजूद लव बॉन्ड का पता चलता है. फादर डे पर राजनीतिक क्षेत्र के पिता-पुत्र की इस जोड़ी पर हम चर्चा करेंगे.

फाइल फोटो.
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Published : Jun 16, 2019, 12:06 AM IST

हमीरपुर: एक साथ दशकों के राजनीतिक करियर में पिता-पुत्र की जोड़ी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. प्रदेश की राजनीति में बुलंदियों को छूने के बाद एक ऐसा भी दौरा आया कि पिता प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव तक हार गए. दोनों पिता-पुत्र के लिए यह किसी राजनीतिक आघात से कम नहीं था, लेकिन धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ और एक दूसरे में विश्वास से आज फिर देश की राजनीति में वह नई बुलंदियों पर है. पिता प्रेम कुमार धूमल के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद हमीरपुर संसदीय सीट से उपचुनाव जीतने के बाद शुरू हुआ अनुराग ठाकुर का सियासी सफर आज बुलंदियों पर है.

father day
फाइल फोटो.

क्रिकेट से राजनीति में आए हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर दुनिया की सबसे अमीर और ताकतवर क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे हैं. कई मंचों से और सार्वजनिक रूप से भी अनुराग ठाकुर यह कह चुके हैं कि वह तो क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें नेता बना दिया. वह दयानंद माडल स्कूल जालंधर में पढ़ाई के दौरान अनुराग पंजाब क्रिकेट टीम अंडर-15 और बाद में अंडर-19 के खिलाड़ी रहे हैं. बच्चों पर अनुराग बरसाने वाले पिता प्रेम कुमार धूमल सख्त भी है कई बार अनुराग ठाकुर सार्वजनिक रूप से भी है यह कह चुके हैं कि जब वह क्रिकेट खेलने साइकिल पर जाया करते थे तो कई बार दिल करता था कि मोटरसाइकिल लेनी है लेकिन पिता के सामने नहीं बोल पाते थे. उस दौर को याद करते हुए आज भी वह कहते हैं कि बच्चों में माता पिता के प्रति आदर का भाव आपको मेहनत कश भी बना देता है.

वर्ष 1992-93 में अनुराग पंजाब रणजी टीम के कैप्टन रहे. लेकिन इसी बीच अनुराग के छोटे भाई अरुण धूमल का इंजीनियरिंग में दाखिला हो गया और पिता सक्रिय राजनीति में उतर आए जिससे वे क्रिकेट को ज्यादा समय नहीं दे पाए. वर्ष 1998 में पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और यहीं से बेटे अनुराग ठाकुर भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे. 2007 में जब पिता प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो हमीरपुर संसदीय सीट पर उप चुनाव होना तय हुए.

अनुराग मई 2008 में उप चुनाव से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा पहुंचे. वह देश की मई 2008 में 14वीं लोकसभा, वर्ष 2009 में 15वीं और वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा में बतौर सांसद चुने गए. वही साल 2019 में लगातार चौथी बार सांसद चुने गए और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री का पद भी हासिल किया. अनुराग भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं.

हमीरपुर: एक साथ दशकों के राजनीतिक करियर में पिता-पुत्र की जोड़ी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. प्रदेश की राजनीति में बुलंदियों को छूने के बाद एक ऐसा भी दौरा आया कि पिता प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव तक हार गए. दोनों पिता-पुत्र के लिए यह किसी राजनीतिक आघात से कम नहीं था, लेकिन धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ और एक दूसरे में विश्वास से आज फिर देश की राजनीति में वह नई बुलंदियों पर है. पिता प्रेम कुमार धूमल के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद हमीरपुर संसदीय सीट से उपचुनाव जीतने के बाद शुरू हुआ अनुराग ठाकुर का सियासी सफर आज बुलंदियों पर है.

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फाइल फोटो.

क्रिकेट से राजनीति में आए हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर दुनिया की सबसे अमीर और ताकतवर क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे हैं. कई मंचों से और सार्वजनिक रूप से भी अनुराग ठाकुर यह कह चुके हैं कि वह तो क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें नेता बना दिया. वह दयानंद माडल स्कूल जालंधर में पढ़ाई के दौरान अनुराग पंजाब क्रिकेट टीम अंडर-15 और बाद में अंडर-19 के खिलाड़ी रहे हैं. बच्चों पर अनुराग बरसाने वाले पिता प्रेम कुमार धूमल सख्त भी है कई बार अनुराग ठाकुर सार्वजनिक रूप से भी है यह कह चुके हैं कि जब वह क्रिकेट खेलने साइकिल पर जाया करते थे तो कई बार दिल करता था कि मोटरसाइकिल लेनी है लेकिन पिता के सामने नहीं बोल पाते थे. उस दौर को याद करते हुए आज भी वह कहते हैं कि बच्चों में माता पिता के प्रति आदर का भाव आपको मेहनत कश भी बना देता है.

वर्ष 1992-93 में अनुराग पंजाब रणजी टीम के कैप्टन रहे. लेकिन इसी बीच अनुराग के छोटे भाई अरुण धूमल का इंजीनियरिंग में दाखिला हो गया और पिता सक्रिय राजनीति में उतर आए जिससे वे क्रिकेट को ज्यादा समय नहीं दे पाए. वर्ष 1998 में पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और यहीं से बेटे अनुराग ठाकुर भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे. 2007 में जब पिता प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो हमीरपुर संसदीय सीट पर उप चुनाव होना तय हुए.

अनुराग मई 2008 में उप चुनाव से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा पहुंचे. वह देश की मई 2008 में 14वीं लोकसभा, वर्ष 2009 में 15वीं और वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा में बतौर सांसद चुने गए. वही साल 2019 में लगातार चौथी बार सांसद चुने गए और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री का पद भी हासिल किया. अनुराग भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं.

Intro:दो बार के सीएम पिता धूमल का मंत्री बेटे अनुभव के साथ ही खूब बरसा अनुराग
ठाकुर ने पिता धूमल से ही राजनीति का ककहरा
हमीरपुर।
देश की राजनीति में युवा नेता के नाम पर जिस अनुराग ठाकुर का डंका बज रहा है उस अनुराग ठाकुर की राजनीतिक नीव दो बार के मुख्यमंत्री रहे पिता प्रेम कुमार धूमल की अनुभव की ईंटों से बनी है। हाल ही में मोदी सरकार में अहम पद हासिल करने के बाद जब अनुराग ठाकुर अपने घर पर पिता से मिले तो उसमें जो भावुक दृश्य देखने को मिला उससे पिता पुत्र के बीच मौजूद लव बॉन्ड का पता चलता है फादर डे पर राजनीति क्षेत्र के पिता पुत्र की इस जोड़ी पर हम चर्चा करेंगे।


Body:एक साथ दशकों के राजनीतिक करियर में पिता-पुत्र की जोड़ी ने कई उतार-चढ़ाव देखे। प्रदेश की राजनीति में बुलंदियों को छूने के बाद एक ऐसा भी दौरा आया कि पिता प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव तक हार गए। दोनों पिता-पुत्र के लिए यह किसी राजनीतिक आघात से कम नहीं था लेकिन धैर्य और राजनीतिक सूझबूझ और एक दूसरे मैं विश्वास से आज फिर देश की राजनीति में वह नई बुलंदियों पर है। पिता प्रेम कुमार धूमल के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद हमीरपुर संसदीय सीट से उपचुनाव जीतने के बाद शुरू हुआ अनुराग ठाकुर का सियासी सफर आज बुलंदियों पर है. क्रिकेट से राजनीति में आए हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर दुनिया की सबसे अमीर और ताकतवर क्रिकेट संस्था बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे हैं. कई मंचों से और सार्वजनिक रूप से भी अनुराग ठाकुर यह कह चुके हैं कि वह तो क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें नेता बना दिया. वह दयानंद माडल स्कूल जालंधर में पढ़ाई के दौरान अनुराग पंजाब क्रिकेट टीम अंडर-15 और बाद में अंडर-19 के खिलाड़ी रहे हैं। बच्चों पर अनुराग बरसाने वाले पिता प्रेम कुमार धूमल सख्त भी है कई बार अनुराग ठाकुर सार्वजनिक रूप से भी है यह कह चुके हैं कि जब वह क्रिकेट खेलने साइकिल पर जाया करते थे तो कई बार दिल करता था कि मोटरसाइकिल लेनी है लेकिन पिता के सामने नहीं बोल पाते थे. उस दौर को याद करते हुए आज भी वह कहते हैं कि बच्चों में माता पिता के प्रति आदर का भाव आपको मेहनत कश भी बना देता है.
वर्ष 1992-93 में अनुराग पंजाब रणजी टीम के कैप्टन रहे। लेकिन इसी बीच अनुराग के छोटे भाई अरुण धूमल का इंजीनियरिंग में दाखिला हो गया और पिता सक्रिय राजनीति में उतर आए जिससे वे क्रिकेट को ज्यादा समय नहीं दे पाए। वर्ष 1998 में पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और यहीं से बेटे अनुराग ठाकुर भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे. 2007 में जब पिता प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो हमीरपुर संसदीय सीट पर उप चुनाव होना तय हुए। अनुराग मई 2008 में उप चुनाव से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा पहुंचे। वह देश की मई 2008 में 14वीं लोकसभा, वर्ष 2009 में 15वीं और वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा में बतौर सांसद चुने गए। वही साल 2019 में लगातार चौथी बार सांसद चुने गए और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री का पद भी हासिल किया। अनुराग भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं।




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