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आसान नहीं हमीरपुर सीट को जीतने की राह, कई भाषाओं और संस्कृतियों का संगम है ये सीट - अनुराग ठाकुर

12 जिलों वाले हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र एक अकेला संसदीय क्षेत्र है जो कि 5 जिलों में फैला हुआ है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर के साथ ही कांगड़ा जिले का देहरा और जसवा प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र और मंडी जिले का धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र आता है.

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Published : May 13, 2019, 12:46 PM IST

हमीरपुरः संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में इस बार कांटे की टक्कर है. हर जिले में अलग भाषा और अलग समस्याएं हैं. नेताओं के लिए इस संसदीय क्षेत्र में प्रचार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं हैं.

12 जिलों वाले हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र एक अकेला संसदीय क्षेत्र है जो कि 5 जिलों में फैला हुआ है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर के साथ ही कांगड़ा जिले का देहरा और जसवां प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र और मंडी जिले का धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

बता दें कि पिछले कई लोकसभा चुनाव में कांगड़ा और मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्र निर्णायक भूमिका अदा करते आ रहे हैं. यह भी गौर रहे कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से इन विधानसभा क्षेत्रों का कोई भी प्रत्याशी अभी तक दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में नहीं उतरा गया है. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में किंग मेकर की भूमिका निभाते हैं.

गौर रहे कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र भौगोलिक परिस्थितियों के नजरिए से इतना कठिन नहीं है, लेकिन 5 जिलों को समेटे इस संसदीय क्षेत्र में चुनावी मैदान में उतरे नेताओं को खूब पसीना-बहाना पड़ता है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में मंडयाली, कहलूरी, कांगड़ी से लेकर पंजाबी और पंजाबी पहाड़ी मिश्रित भाषाओं के साथ संस्कृतियों का मिलाजुला संगम है. ऐसे में चुनावी प्रचार के दौरान लोकल भाषा में लोगों को रिझाना यहां पर प्रत्याशियों के लिए कुछ हद तक मुश्किल होता है.

भाषा के साथ ही लगभग हर जिले में खाने का भी अपना अलग जायका है. जिलों के साथ ही यह जायका भी मंडयाली, कहलूरी और कांगड़ी धाम के साथ बदल जाता है.

हमीरपुरः संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में इस बार कांटे की टक्कर है. हर जिले में अलग भाषा और अलग समस्याएं हैं. नेताओं के लिए इस संसदीय क्षेत्र में प्रचार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं हैं.

12 जिलों वाले हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र एक अकेला संसदीय क्षेत्र है जो कि 5 जिलों में फैला हुआ है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर के साथ ही कांगड़ा जिले का देहरा और जसवां प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र और मंडी जिले का धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

बता दें कि पिछले कई लोकसभा चुनाव में कांगड़ा और मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्र निर्णायक भूमिका अदा करते आ रहे हैं. यह भी गौर रहे कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से इन विधानसभा क्षेत्रों का कोई भी प्रत्याशी अभी तक दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में नहीं उतरा गया है. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में किंग मेकर की भूमिका निभाते हैं.

गौर रहे कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र भौगोलिक परिस्थितियों के नजरिए से इतना कठिन नहीं है, लेकिन 5 जिलों को समेटे इस संसदीय क्षेत्र में चुनावी मैदान में उतरे नेताओं को खूब पसीना-बहाना पड़ता है.

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में मंडयाली, कहलूरी, कांगड़ी से लेकर पंजाबी और पंजाबी पहाड़ी मिश्रित भाषाओं के साथ संस्कृतियों का मिलाजुला संगम है. ऐसे में चुनावी प्रचार के दौरान लोकल भाषा में लोगों को रिझाना यहां पर प्रत्याशियों के लिए कुछ हद तक मुश्किल होता है.

भाषा के साथ ही लगभग हर जिले में खाने का भी अपना अलग जायका है. जिलों के साथ ही यह जायका भी मंडयाली, कहलूरी और कांगड़ी धाम के साथ बदल जाता है.

Intro:भाषा के साथ ही इस संसदीय क्षेत्र में धाम का जायका भी है अलग, यहां पर जीत की राह नहीं आसान
हमीरपुर.
करीब 5 जिलों में फैला हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में जीत की राह आसान नहीं है. हर जिले में अलग भाषा और अलग समस्याएं. जिलों की समस्याओं के साथ ही बोलियों पर पार पाना भी यहां पर आसान नहीं है। नेताओं के लिए इस संसदीय क्षेत्र में प्रचार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. 12 जिलों वाले हिमाचल प्रदेश मैं हमीरपुर संसदीय क्षेत्र एक अकेला संसदीय क्षेत्र है जो कि 5 जिलों में फैला हुआ है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत हमीरपुर ऊना बिलासपुर के साथ ही कांगड़ा जिले का देहरा और जसवा प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र तथा मंडी जिले का धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र आता है। बता दें कि पिछले पर ही लोकसभा चुनावों में कांगड़ा और मंडी के 3 विधानसभा क्षेत्र निर्णायक भूमिका अदा करते आ रहे हैं। यह भी विदित है कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से इन विधानसभा क्षेत्रों का कोई भी प्रत्याशी अभी तक दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में नहीं उतर पाया है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में किंग मेकर की भूमिका निभाते हैं।


Body:बता दें कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र भौगोलिक परिस्थितियों के नजरिए से इतना कठिन नहीं है लेकिन 5 जिलों को समेटे इस संसदीय क्षेत्र में चुनावी मैदान में उतरे नेताओं को खूब पसीना बहाना पड़ता है। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में मंडयाली, कहलूरी, कांगड़ी से लेकर पंजाबी और पंजाबी पहाड़ी मिश्रित भाषाओं के साथ संस्कृतियों का मिलाजुला संगम है। ऐसे में चुनावी प्रचार के दौरान लोकल भाषा में लोगों को रिझाना यहां पर प्रत्याशियों के लिए कुछ हद तक मुश्किल होता है। भाषा के साथ ही लगभग हर जिले में खाने का भी अपना जायका है। जिलों के साथ ही यह जायका का भी मंडयाली, कहलूरी और कांगड़ी धाम के साथ बदल जाता है।


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