हमीरपुर/भोरंज: हिमाचल प्रदेश के अंकुश ठाकुर गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. भोरंज तहसील के कड़ोहता गांव के 21 वर्षीय शहीद अंकुश के पिता अनिल कुमार और दादा रण सिंह भी पूर्व सैनिक थे. भारत व चीन के सैनिकों के बीच पूर्व लद्दाख वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई झड़प में उनकी शहादत की खबर से गांव स्तब्ध रह गया.
शहीद की पार्थिव देह गुरुवार सुबह पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अब बताया जा रहा है शहीद की देह शुक्रवार को ही चंडीगढ़ से कड़ोहता पहुंचाई जाएगी. अंतिम संस्कार बरसेला स्थित श्मशानघाट में सैनिक सम्मान के साथ किया जाएगा.
पिता अनिल कुमार भर्राए हुए गले से कहते हैं, 'बेटे के जाने पर क्या कहूं.... गर्व है लेकिन दुख भी. पूर्व सैनिक होने के नाते जानता हूं कि शहीद होना देश के प्रति फर्ज पूरा करना है.इसलिए स्वयं को संभालना ही होगा. अंकुश की माता ऊषा राणा की ममता बार-बार अंकुश को ताकती हैं, लेकिन आंखों की नमी में सब कुछ धुंधला दिख रहा है. छठी कक्षा में पढ़ने वाला भाई आदित्य बस रो रहा है. शहीद के पिता के चेहरे पर गर्व है लेकिन स्थिति को संभालने का दायित्व भी.
बता दें कि शहीद अंकुश ठाकुर ने दसवीं कक्षा की पढ़ाई राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मुंडखर और जमा दो कक्षा में नॉन मेडिकल की शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला लदरौर से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. मेधावी छात्र होने के कारण बीएससी प्रथम व द्वितीय वर्ष की परीक्षा पास करने के बाद तीसरे साल की पढ़ाई छोड़कर 2018 में पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. अभी दस माह पहले ही अंकुश ने ड्यूटी ज्वाइन की थी.
बता दें कि शहीद अंकुश ठाकुर का अभी पार्थिव शरीर नहीं पहुंच पा रहा और उम्मीद की जा रही है कि शुक्रवार दोपहर तक शहीद अंकुश ठाकुर का पार्थिव शरीर पहुंच जाएगा. शहीद की याद में स्थानीय युवा क्लब ने श्रद्धाजंलि बैनर भी लगाया है. क्षेत्र के अलावा प्रदेश से नेता भी शहीद माता पिता को सांत्वना देने आ रहे हैं.
वहीं, ग्राम पंचायत कड़ोहता के उपप्रधान वीरेंद्र डोगरा ने बताया कि उन्हें सेना मुख्यालय से फोन पर सूचना मिली थी कि उनकी पंचायत का सैनिक अंकुश ठाकुर भारत-चीन एलएसी झड़प के दौरान शहीद हो गया था. अंकुश के पार्थिव शरीर को गुरुवार को 11 बजे उनके पैतृक गांव में पंहुचने की उम्मीद थी, लेकिन सुबह जब परिजनों ने सेना मुख्यालय से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि लेह में मौसम खराब होने के कारण सेना के हैलीकॉप्टर की उड़ान न होने से अंकुश के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव में शाम 5 बजे तक पंहुचने की बात कही थी, लेकिन अब शुक्रवार दोपहर तक पंहुचने की उम्मीद है.