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शहीद अंकुश ठाकुर के जज्बे को सलाम, BSC की पढ़ाई छोड़ ज्वाइन की थी आर्मी

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Published : Jun 20, 2020, 2:48 PM IST

शहीद अंकुश ठाकुर एक निजी यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई छोड़कर भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. शहीद अपने परिवार से भारतीय सेना में सेवाएं देने वाली चौथी पीढ़ी से थे.

Salute to the spirit of martyr Ankush Thakur
शहीद अंकुश ठाकुर

हमीरपुर: जिला के भोरंज तहसील के कड़ोहता गांव के 21 वर्षीय वीर सपूत शहीद सैनिक अंकुश ठाकुर का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अतिम संस्कार किया गया. शहीद अंकुश ठाकुर की चिता को उनके छोटे भाई आदित्य ने मुखाग्नि दी.

बता दें कि शहीद अंकुष ठाकुर एक निजी यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई छोड़कर भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. माता-पिता चाहते थे कि बेटा पहले अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी करे, लेकिन देश सेवा के जज्बे के चलते अंकुश ने पढ़ाई को बीच में छोड़कर सेना में भर्ती होना सही समझा. शहीद अंकुश ठाकुर अपने परिवार से भारतीय सेना में सेवाएं देने वाली चौथी पीढ़ी से थे. उनके पिता हवलदार अनिल कुमार, दादा कैप्टन सीता राम और परदादा भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं.

करीब 10 महीने पहले ही वह छुट्टी काट कर शहीद अंकुश ठाकुर ने सियाचिन में ड्यूटी ज्वाइन की थी, लेकिन 15 जून की रात भारत-चीन एलएसी के समीप गलवान में चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सेना पर हमला कर दिया. इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिनमें हमीरपुर जिला के अंकुश ठाकुर भी शामिल थे.

शहीद जवान के क्षेत्र के युवाओं ने अपने बड़े भाई की शहादत पर बोला है कि भारतीय सेना को चीन से बदला लेना चाहिए. अंकुश के बाद अब उनके गांव के युवाओं में भी सेना में भर्ती होने का जज्बा जागा है.

ये भी पढ़ें: शहीद अंकुश ठाकुर का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, नम आंखों से लोगों ने दी अंतिम विदाई

हमीरपुर: जिला के भोरंज तहसील के कड़ोहता गांव के 21 वर्षीय वीर सपूत शहीद सैनिक अंकुश ठाकुर का शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अतिम संस्कार किया गया. शहीद अंकुश ठाकुर की चिता को उनके छोटे भाई आदित्य ने मुखाग्नि दी.

बता दें कि शहीद अंकुष ठाकुर एक निजी यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई छोड़कर भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. माता-पिता चाहते थे कि बेटा पहले अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी करे, लेकिन देश सेवा के जज्बे के चलते अंकुश ने पढ़ाई को बीच में छोड़कर सेना में भर्ती होना सही समझा. शहीद अंकुश ठाकुर अपने परिवार से भारतीय सेना में सेवाएं देने वाली चौथी पीढ़ी से थे. उनके पिता हवलदार अनिल कुमार, दादा कैप्टन सीता राम और परदादा भी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं.

करीब 10 महीने पहले ही वह छुट्टी काट कर शहीद अंकुश ठाकुर ने सियाचिन में ड्यूटी ज्वाइन की थी, लेकिन 15 जून की रात भारत-चीन एलएसी के समीप गलवान में चीनी सैनिकों ने धोखे से भारतीय सेना पर हमला कर दिया. इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिनमें हमीरपुर जिला के अंकुश ठाकुर भी शामिल थे.

शहीद जवान के क्षेत्र के युवाओं ने अपने बड़े भाई की शहादत पर बोला है कि भारतीय सेना को चीन से बदला लेना चाहिए. अंकुश के बाद अब उनके गांव के युवाओं में भी सेना में भर्ती होने का जज्बा जागा है.

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