हमीरपुर: प्रदेश में लाखों फर्जी डिग्रियां बिकने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में हायर एजुकेशन देने वाले 8 प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कुलपतियों की नियुक्तियों को लेकर प्रदेश सरकार की कारगुजारी कठघरे में है. यह साबित करती है कि चाहे शिक्षा हो या स्वास्थ्य, सत्ता संरक्षण में प्रत्यक्ष और परोक्ष भ्रष्टाचार लगातार चला हुआ है. यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष और सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने कही.
सरकार ने नियमों की उड़ाई धज्जियां
राजेंद्र राणा ने कहा कि शिक्षा में चले भ्रष्टाचार प्रदेश के भविष्य के लिए घातक साबित हो रहा है, लेकिन सरकार को प्रदेश के भविष्य से ज्यादा दलालों और चहेतों की चिंता है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट में कुलपतियों की अपॉयंटमेंट के लिए निर्धारित नियमों को दरकिनार किया गया है. इन अहम पदों पर सरकार ने जहां एक नियमों को ताक पर रखा है वहीं निर्धारित आयु सीमा की भी धज्जियां उड़ाई हैं. प्राइवेट एजुकेशन रैगुलेटरी कमीशन की जांच बता रही है कि 8 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में वीसी की नियुक्तियों में सरकार ने यूजीसी के नियमों को ताक पर रखते हुए अपने चेहतों को इन पदों पर बैठाया है.
सरकार को देना पडे़गा जवाब
राजेंद्र राणा ने कहा कि यूजीसी के नियमों को ताक पर रखने की इस मनमानी से सरकार का असली चेहरा जनता के सामने आया है. प्राइवेट एजुकेशन रैगुलेटरी कमीशन की जांच के बाद अब सरकार के चेहते कुलपतियों को इस्तीफे तक देने पड़े हैं. अरनी यूनिवर्सिटी के वीसी भी जांच की जद में आकर अनफिट करार दिए गए हैं. इस यूनिवर्सिटी से पहले भी एक अन्य वीसी की छुट्टी की गई थी. राजेंद्र राणा ने कहा कि शिक्षा विभाग में चरम पर पहुंचे भ्रष्टाचार की यह जीती जागती मिसाल कायम हुई है, जिसपर सरकार को जवाब देना होगा.
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