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रैन बसेरा संचालक ने हमीरपुर नगर परिषद के अधिकारियों पर लगाया जालसाजी का आरोप - नगर परिषद पर आरोप

जिला के नालटी रोड पर दो दिन पहले ही एक रैन बसेरे को नगर परिषद हमीरपुर ने प्रशासन और पुलिस के माध्यम से कब्जे में लिया है. वहींं, अब संबंधित ठेकेदार ने इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों पर संगीन आरोप लगाए हैं. ठेकेदार का दावा है कि राजस्व विभाग की निशानदेही में रैन बसेरा के भवन वाली भूमि वन विभाग की निकली है.

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Published : Sep 4, 2020, 3:22 PM IST

हमीरपुर: नगर परिषद हमीरपुर ने नालटी रोड पर जिस दो मंजिला रैन बसेरा में कथित तौर पर ठेकेदार के कब्जे के मामले में नया मोड़ आ गया है. संबंधित ठेकेदारों ने नीलामी प्रक्रिया में नगर परिषद के अधिकारियों पर जालसाजी करने के आरोप लगाए हैं.

दो दिन पहले ही इस रैन बसेरे को नगर परिषद हमीरपुर ने प्रशासन और पुलिस के माध्यम से कब्जे में लिया है. वहींं, अब संबंधित ठेकेदार ने इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों पर संगीन आरोप लगाए हैं.

ठेकेदार का दावा है कि राजस्व विभाग की निशानदेही में रैन बसेरा के भवन वाली भूमि वन विभाग की निकली है. यही नहीं बीते बुधवार को नगर परिषद ने रैन बसेरा के जिन कमरों के जिन तालों को तोड़ कब्जा छुड़ाने का दावा किया, जांच में पता चला है कि वे ताले खुद नगर परिषद ने ही रैन बसेरा में लगाए थे.

वीडियो.

मुकेश कटोच का कहना है कि नगर परिषद पर धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए इस मामले में अपनी वकील के माध्यम से पिछले दो वर्षों से नगर परिषद को कानूनी नोटिस भी भेजे हैं. कटोच ने बताया कि वर्ष 2016 में नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से उन्होंने रैन बसेरा को तीन लाख रुपये सालाना किराया पर हासिल किया.

भारी भरकम बोली लगाने के बाद उन्होंने नगर परिषद के खाते में तीन लाख रुपये जमा करवाए. इसके बाद उन्होंने रेंट एग्रीमेंट तैयार करने और रैन बसेरा की टपकती छतों को ठीक करने, रैन बसेरा तक पक्की सड़क बनाने के लिए कहा.

तीन लाख रुपये लेने के वक्त नगर परिषद ने शीघ्र सभी मांगों को एक हफ्ते में पूरा करने की बात कही, लेकिन नगर परिषद ने न तो वर्ष 2020 तक एग्रीमेंट बनाया, न टपकती छत की मरम्मत करवाई और न ही रैन बसेरा तक पर्यटकों के पहुंचने के लिए सड़क बनाई.

इस बारे में जब उन्होंने वन विभाग में आरटीआई दी तो पता चला कि रैन बसेरा की जमीन वन विभाग की है. कटोच ने कहा कि उन्होंने नगर परिषद में 6 लाख 30 हजार रुपये किराया के रूप में जमा करवाए, लेकिन रैन बसेरा में चतुर्थ श्रेणी कर्मी के परिवार समेत रहने से यहां ठहरने वाले पर्यटक कई बार शोर शराबे के कारण आधी रात को कमरा खाली कर चले गए. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ.

कटोच ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2019 में ही रैन बसेरे पर कब्जा छोड़ दिया था, जिसके बाद नप ने ही ताले लगाए थे, लेकिन बीते रोज नगर परिषद की ओर से ताला तोड़ कर झूठ का प्रचार किया. उन्होंने कहा कि उनके साथ नगर परिषद ने धोखाधड़ी की है, जिसकी लड़ाई अब न्यायालय में लड़ी जाएगी.

नगर परिषद की ओर से अपने लगाए तालों को खुद तोड़ने का आरोप इस भवन को किराये पर लेने वाले ठेकेदार मुकेश कटोच ने लगाए हैं. मुकेश कटोच मंडल भाजपा हमीरपुर के पूर्व में मीडिया प्रभारी, युवा मोर्चा के सचिव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य समेत भाजपा के विभिन्न अग्रणी संगठनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं.

उधर, नगर परिषद के ईओ किशोरी लाल ठाकुर ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के आरोप निराधार हैं, लेकिन रेंट एग्रीमेंट क्यों नहीं बनाया, इसके बारे में जांच की जाएगी. उन्होंने माना कि रैन बसेरा में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी लंबे समय से परिवार समेत रह रहा है.

पढ़ें: HPPSC में चयन की पुरानी व्यवस्था रहेगी जारी, इंटरव्यू के अंकों के आधार पर सिलेक्शन

हमीरपुर: नगर परिषद हमीरपुर ने नालटी रोड पर जिस दो मंजिला रैन बसेरा में कथित तौर पर ठेकेदार के कब्जे के मामले में नया मोड़ आ गया है. संबंधित ठेकेदारों ने नीलामी प्रक्रिया में नगर परिषद के अधिकारियों पर जालसाजी करने के आरोप लगाए हैं.

दो दिन पहले ही इस रैन बसेरे को नगर परिषद हमीरपुर ने प्रशासन और पुलिस के माध्यम से कब्जे में लिया है. वहींं, अब संबंधित ठेकेदार ने इस मामले में नगर परिषद के अधिकारियों पर संगीन आरोप लगाए हैं.

ठेकेदार का दावा है कि राजस्व विभाग की निशानदेही में रैन बसेरा के भवन वाली भूमि वन विभाग की निकली है. यही नहीं बीते बुधवार को नगर परिषद ने रैन बसेरा के जिन कमरों के जिन तालों को तोड़ कब्जा छुड़ाने का दावा किया, जांच में पता चला है कि वे ताले खुद नगर परिषद ने ही रैन बसेरा में लगाए थे.

वीडियो.

मुकेश कटोच का कहना है कि नगर परिषद पर धोखाधड़ी के आरोप लगाते हुए इस मामले में अपनी वकील के माध्यम से पिछले दो वर्षों से नगर परिषद को कानूनी नोटिस भी भेजे हैं. कटोच ने बताया कि वर्ष 2016 में नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से उन्होंने रैन बसेरा को तीन लाख रुपये सालाना किराया पर हासिल किया.

भारी भरकम बोली लगाने के बाद उन्होंने नगर परिषद के खाते में तीन लाख रुपये जमा करवाए. इसके बाद उन्होंने रेंट एग्रीमेंट तैयार करने और रैन बसेरा की टपकती छतों को ठीक करने, रैन बसेरा तक पक्की सड़क बनाने के लिए कहा.

तीन लाख रुपये लेने के वक्त नगर परिषद ने शीघ्र सभी मांगों को एक हफ्ते में पूरा करने की बात कही, लेकिन नगर परिषद ने न तो वर्ष 2020 तक एग्रीमेंट बनाया, न टपकती छत की मरम्मत करवाई और न ही रैन बसेरा तक पर्यटकों के पहुंचने के लिए सड़क बनाई.

इस बारे में जब उन्होंने वन विभाग में आरटीआई दी तो पता चला कि रैन बसेरा की जमीन वन विभाग की है. कटोच ने कहा कि उन्होंने नगर परिषद में 6 लाख 30 हजार रुपये किराया के रूप में जमा करवाए, लेकिन रैन बसेरा में चतुर्थ श्रेणी कर्मी के परिवार समेत रहने से यहां ठहरने वाले पर्यटक कई बार शोर शराबे के कारण आधी रात को कमरा खाली कर चले गए. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ.

कटोच ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2019 में ही रैन बसेरे पर कब्जा छोड़ दिया था, जिसके बाद नप ने ही ताले लगाए थे, लेकिन बीते रोज नगर परिषद की ओर से ताला तोड़ कर झूठ का प्रचार किया. उन्होंने कहा कि उनके साथ नगर परिषद ने धोखाधड़ी की है, जिसकी लड़ाई अब न्यायालय में लड़ी जाएगी.

नगर परिषद की ओर से अपने लगाए तालों को खुद तोड़ने का आरोप इस भवन को किराये पर लेने वाले ठेकेदार मुकेश कटोच ने लगाए हैं. मुकेश कटोच मंडल भाजपा हमीरपुर के पूर्व में मीडिया प्रभारी, युवा मोर्चा के सचिव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य समेत भाजपा के विभिन्न अग्रणी संगठनों में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं.

उधर, नगर परिषद के ईओ किशोरी लाल ठाकुर ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के आरोप निराधार हैं, लेकिन रेंट एग्रीमेंट क्यों नहीं बनाया, इसके बारे में जांच की जाएगी. उन्होंने माना कि रैन बसेरा में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी लंबे समय से परिवार समेत रह रहा है.

पढ़ें: HPPSC में चयन की पुरानी व्यवस्था रहेगी जारी, इंटरव्यू के अंकों के आधार पर सिलेक्शन

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