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राधास्वामी चैरिटेबल अस्पताल भोटा में जल्द OPD शुरू करने की मांग, लोगों ने चक्का जाम की दी चेतावनी

पंचायत प्रधानों व आम लोगों ने मिलकर प्रशासन व सरकार से राधास्वामी चैरिटेबल हॉस्पिटल भोटा को आम जनता के लिए खोलने की मांग करते हुए एसडीएम बड़सर के माध्यम से उपायुक्त हमीरपुर को एक ज्ञापन सौंपा है.

एसडीएम बड़सर
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Published : Jul 27, 2020, 9:50 PM IST

बड़सर: हिमाचल प्रदेश में अपनी तरह का एक अकेला चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा जिला हमीरपुर के भोटा में पिछले लगभग 30 वर्षों से चलाया जा रहा है. 70 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर के 850 गांवों के लगभग 90 हजार लोग मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लेते हैं.

पीजीआई व ब्यास से आने वाली टीम द्वारा यहां मुफ्त ऑपरेशन व ओपीडी के अलावा दवाइयां भी लोगों को कम दरों पर उपलब्ध करवाई जाती हैं. खास बात ये है कि अस्पताल संचालन का हर महीने करोड़ों रुपये का खर्च ट्रस्ट द्वारा स्वयं वहन किया जाता है और बीमारों व तीमारदारों से कोई पैसा नहीं लिया जाता, लेकिन पिछले तीन महीनों से इस अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाने के बाद से लोगों को मिलने वाली सुविधाओं पर ताला लग गया है.

विभिन्न पंचायत प्रधानों व आम लोगों ने प्रशासन व सरकार से इसे आम जनता के लिए खोलने की मांग करते हुए एसडीएम बड़सर के माध्यम से डीसी हमीरपुर को एक ज्ञापन सौंपा है. लोगों के हस्ताक्षर युक्त इस ज्ञापन में कहा गया है कि अस्पताल को आम जनता के लिए खोलने की मांग पहले भी डीसी हमीरपुर व प्रदेश सरकार से की जा चुकी है, लेकिन प्रसाशन द्वारा जनता के हित में कोई निर्णय नहीं लिया गया.

ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि अगर शीघ्र ही इस अस्पताल में चल रहे कोविड केयर सेंटर को नहीं बदला जाता है, तो क्षेत्र की जनता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी. इस दौरान अगर जनता को कोई असुविधा होती है तो उसका जिम्मेवार प्रशासन होगा.

पूर्व सेक्रेटरी भोटा सत्संग डॉ. कश्मीर के अनुसार क्षेत्र की जनता इस समय स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रही है. भोटा अस्पताल में कम दामों पर मिलने वाली दवाइयां लोगों को बाहर से ऊंचे दामों पर लेनी पड़ रही हैं. जबकि लोगों को डॉक्टरी परामर्श भी नहीं मिल पा रहा है.

हर महीने होने वाले आंखों के व अन्य ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहे, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. लोगों का कहना है कि केवल कुछ कोविड-19 मरीजों के लिए पूरे क्षेत्र की जनता को मुसीबत में डालना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके विरोध में 31 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

पढ़ें: विजय दिवस पर शहीदों को याद करने के बजाए आम खाते रहे कांग्रेस नेताः महेंद्र सिंह ठाकुर

बड़सर: हिमाचल प्रदेश में अपनी तरह का एक अकेला चैरिटेबल हॉस्पिटल राधास्वामी सत्संग ब्यास द्वारा जिला हमीरपुर के भोटा में पिछले लगभग 30 वर्षों से चलाया जा रहा है. 70 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर के 850 गांवों के लगभग 90 हजार लोग मुफ्त चिकित्सा सुविधाओं का लाभ लेते हैं.

पीजीआई व ब्यास से आने वाली टीम द्वारा यहां मुफ्त ऑपरेशन व ओपीडी के अलावा दवाइयां भी लोगों को कम दरों पर उपलब्ध करवाई जाती हैं. खास बात ये है कि अस्पताल संचालन का हर महीने करोड़ों रुपये का खर्च ट्रस्ट द्वारा स्वयं वहन किया जाता है और बीमारों व तीमारदारों से कोई पैसा नहीं लिया जाता, लेकिन पिछले तीन महीनों से इस अस्पताल को कोविड केयर सेंटर बनाने के बाद से लोगों को मिलने वाली सुविधाओं पर ताला लग गया है.

विभिन्न पंचायत प्रधानों व आम लोगों ने प्रशासन व सरकार से इसे आम जनता के लिए खोलने की मांग करते हुए एसडीएम बड़सर के माध्यम से डीसी हमीरपुर को एक ज्ञापन सौंपा है. लोगों के हस्ताक्षर युक्त इस ज्ञापन में कहा गया है कि अस्पताल को आम जनता के लिए खोलने की मांग पहले भी डीसी हमीरपुर व प्रदेश सरकार से की जा चुकी है, लेकिन प्रसाशन द्वारा जनता के हित में कोई निर्णय नहीं लिया गया.

ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि अगर शीघ्र ही इस अस्पताल में चल रहे कोविड केयर सेंटर को नहीं बदला जाता है, तो क्षेत्र की जनता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी. इस दौरान अगर जनता को कोई असुविधा होती है तो उसका जिम्मेवार प्रशासन होगा.

पूर्व सेक्रेटरी भोटा सत्संग डॉ. कश्मीर के अनुसार क्षेत्र की जनता इस समय स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रही है. भोटा अस्पताल में कम दामों पर मिलने वाली दवाइयां लोगों को बाहर से ऊंचे दामों पर लेनी पड़ रही हैं. जबकि लोगों को डॉक्टरी परामर्श भी नहीं मिल पा रहा है.

हर महीने होने वाले आंखों के व अन्य ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहे, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है. लोगों का कहना है कि केवल कुछ कोविड-19 मरीजों के लिए पूरे क्षेत्र की जनता को मुसीबत में डालना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके विरोध में 31 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

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