ETV Bharat / state

PM से परीक्षा पर चर्चा के लिए एक भी सरकारी स्कूल के बच्चे का चयन नहीं, अब शिक्षा मंत्री ने दिया ये तर्क - सरकारी स्कूलों में बच्चों का संवाद कौशल

प्रधानमंत्री मोदी से परीक्षा पर चर्चा के लिए सरकारी स्कूल के एक भी बच्चे का चयन नहीं हुआ है. शुक्रवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने हमीरपुर के विभागीय अधिकारियों से बैठक की. इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में बच्चों का संवाद कौशल कमजोर है.

discuss exam with PM
शिक्षा मंत्री ने हमीरपुर के विभागीय अधिकारियों से बैठक की.
author img

By

Published : Jan 3, 2020, 5:54 PM IST

हमीरपुर: प्रधानमंत्री मोदी से परीक्षा पर चर्चा के लिए सरकारी स्कूल के एक भी बच्चे का चयन नहीं हुआ है. इसको लेकर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने अजीबो-गरीब तर्क दिया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूल के बच्चों का संवाद कौशल सही नहीं है.

शुक्रवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने हमीरपुर के विभागीय अधिकारियों से बैठक की. इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में बच्चों का संवाद कौशल कमजोर है.

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का संवाद कौशल बेहतर होगा. केंद्र और प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावों के साथ खर्च कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि निजी स्कूलों के बच्चों की संवाद कौशल और वाद-विवाद की क्षमता सरकारी स्कूलों के बच्चों से बेहतर हो सकती है. सरकार प्रयत्न कर रही है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों का संवाद कौशल भी बेहतर हो और इसके लिए बैग-फ्री-डे भी शुरू किया गया है.

वहीं, निजी स्कूलों में यह व्यवस्था काफी पहले से शुरू है. भारद्वाज ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को डांट नहीं सकते हैं और निजी स्कूलों में ऐसा नहीं होता.

पीएम मोदी 20 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा करेंगे इसके लिए प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चे का से चयन नहीं हुआ है, जिससे सरकारी स्कूल में पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं. वहीं, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल कम होने के कारण उनका चयन नहीं हो सका है.

हमीरपुर: प्रधानमंत्री मोदी से परीक्षा पर चर्चा के लिए सरकारी स्कूल के एक भी बच्चे का चयन नहीं हुआ है. इसको लेकर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने अजीबो-गरीब तर्क दिया है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूल के बच्चों का संवाद कौशल सही नहीं है.

शुक्रवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने हमीरपुर के विभागीय अधिकारियों से बैठक की. इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में बच्चों का संवाद कौशल कमजोर है.

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर कैसे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का संवाद कौशल बेहतर होगा. केंद्र और प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावों के साथ खर्च कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि निजी स्कूलों के बच्चों की संवाद कौशल और वाद-विवाद की क्षमता सरकारी स्कूलों के बच्चों से बेहतर हो सकती है. सरकार प्रयत्न कर रही है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों का संवाद कौशल भी बेहतर हो और इसके लिए बैग-फ्री-डे भी शुरू किया गया है.

वहीं, निजी स्कूलों में यह व्यवस्था काफी पहले से शुरू है. भारद्वाज ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक विद्यार्थियों को डांट नहीं सकते हैं और निजी स्कूलों में ऐसा नहीं होता.

पीएम मोदी 20 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा करेंगे इसके लिए प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में एक भी बच्चे का से चयन नहीं हुआ है, जिससे सरकारी स्कूल में पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं. वहीं, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल कम होने के कारण उनका चयन नहीं हो सका है.

Intro:पीएम से परीक्षा पर चर्चा के लिए सरकारी स्कूल के एक भी बच्चे का चयन नहीं, शिक्षा मंत्री ने दिया अजीबोगरीब तर्क
हमीरपुर.
तमाम तामझाम और करोड़ों रुपए के खर्च के बावजूद भी सरकारी स्कूल के बच्चों का संवाद कौशल सही नहीं है यह हम नहीं बल्कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज कह रहे हैं । जी हां। उनका कहना भी गलत नहीं है दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ परीक्षा पर चर्चा के लिए हिमाचल प्रदेश से महज निजी स्कूलों से बच्चों के चयन हुआ है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज हमीरपुर में विभागीय अधिकारियों की बैठक लेने पहुंचे थे इस दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह माना है कि निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में बच्चों का संवाद कौशल कमजोर है। अब बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर कैसे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का संवाद कौशल बेहतर होगा। केंद्र और प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपए सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावों के साथ खर्च कर रही है.




Body:बाइट
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि हो सकता है कि निजी स्कूलों के बच्चों की संवाद कौशल और वाद-विवाद की क्षमता सरकारी स्कूलों के बच्चों से बेहतर हो. सरकार पर्यटन कर रही है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों का संवाद कौशल भी बेहतर हुआ और इसके लिए बैग फ्री डे भी शुरू किया गया है जबकि निजी स्कूलों में यह व्यवस्था काफी पहले से शुरू है. भारद्वाज ने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक का विद्यार्थियों को डांट डपट नहीं सकते हैं जबकि निजी स्कूलों में ऐसा नहीं होता.


Conclusion:जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी से परीक्षा पर चर्चा के लिए सरकारी स्कूल के एक भी बच्चे का प्रदेशभर से चयन नहीं हुआ है। जिससे सरकारी स्कूल में पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। वही अब शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम्युनिकेशन स्किल कम होने के कारण शायद उनका चयन नहीं हो सका है शिक्षा मंत्री का यह भी कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षक डांट डपट भी नहीं सकते हैं जबकि निजी स्कूलों में ऐसा नहीं है। तो क्या महज मसला शिक्षकों की तरफ से डांट डपट ना होने का है. इस पर मंत्री जी का कहना है की ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि लेकिन यह कोई आज या काल की बात नहीं है संवाद कौशल विकसित करने के लिए समय लगेगा लेकिन मंत्री जी को यह तो मानना ही पड़ेगा कि सरकारी स्कूलों और प्रदेश का शिक्षा बोर्ड तथा विभाग निजी स्कूलों की व्यवस्था से कहीं पहले से कार्य कर रहा है. ऐसे में सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों का संवाद कौशल बेहतर होने में और कितना समय लगेगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.