हमीरपुर: सियासत के पावर सेंटर हमीरपुर में राष्ट्रीय स्तर की स्वायत्त संस्था सवालों में घिरी हुई है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान एनआईटी हमीरपुर में इन दिनों एक नहीं बल्कि कईं विषयों पर बवाल मचा हुआ है. कहीं एनआईटी को 13 साल बाद मिलेगा रेगुलर रजिस्ट्रार मिलने की अटकले हैं तो कहीं इसमें गोलमाल के सवाल सोशल मीडिया पर उठ रहे हैं. सवाल महज सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई खुफिया एजेंसी तो अंदर खाते एनआईटी में चल रही गतिविधियों की तह तक जाने में भी जुट गई है.
माना जा रहा है कि इन तमाम गतिविधियों की रिपोर्ट सीधा मिनिस्ट्री को जाएगी. असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में धांधली को लेकर तो बाकायदा शिकायत भी की गई है. ऐसे में एनआईटी हमीरपुर में कुछ साल पहले का वह दौर याद आने लगा है जिसमें देशभर में इस राष्ट्रीय स्तर के संस्थान की भर्ती धांधली को लेकर किरकिरी हुई थी. नतीजा यह रहा था कि तत्कालीन निदेशक विनोद यादव को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था भर्ती धांधली के चलते उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था.
वजह सिर्फ एक नहीं है बल्कि बहुत है. कहीं भर्ती को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो कहीं आउट सोर्स कर्मियों की सेवाओं को लेकर बवाल मचा हुआ है. कुल मिलाकर तमाम गुणा भाग से राष्ट्रीय स्तर का यह संस्थान अपनी छवि में सुधार करने के बजाए पिछड़ता ही जा रहा है. यही वजह है कि इस बार तो रैंकिंग में 200 पायदान में भी प्रदेश के सबसे पुराने संस्थानों में शामिल एनआईटी हमीरपुर को जगह नहीं मिल पाई है. इस रिपोर्ट में हम सिलसिलेवार तरीके से एनआईटी हमीरपुर में विभिन्न विषयों पर उठ रहे सवालों पर चर्चा करेंगे.
नंबर दो कि कुर्सी के लिए पुरानी है कसरत, 13 वर्ष से महज जुगाड़ तंत्र से व्यवस्था: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर को 13 साल बाद रेगुलर रजिस्ट्रार मिलने की पूरी उम्मीद है. 14 लोगों ने इंटरव्यू दिए जिनके रिजल्ट की घोषणा का इंतजार हो रहा है. इन 14 लोगों में वर्ष 2010 में एनआईटी के रेगुलर रजिस्ट्रार रहे मनीष जिंदल का नाम भी शामिल है. एनआईटी हमीरपुर में निदेशक के बाद नंबर दो रजिस्ट्रार को माना जाता है तमाम प्रशासनिक कार्य रजिस्ट्रार के हवाले होते हैं.
साढ़े चार हजार स्टूडेंट्स और दर्जनों फेकेल्टी स्टाफ और सैंकड़ों रेगुलर और आउटसोर्स कर्मचारियों वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर में पिछले 13 वर्षों से रेगुलर रजिस्ट्रार की नियुक्ति नहीं हो सकी. हालात ऐसे हैं कि पिछले 13 वर्षों से प्रबंधन ने अपनी इच्छा के मुताबिक प्रोफेसरों को ही समय-समय पर चॉइस के अनुसार कार्यकारी कार्यभार देकर जुगाड़ तंत्र चलाया है. वर्तमान में राजेश्वर बांश्टू बतौर कार्यकारी रजिस्ट्रार कार्य कर रहे हैं. वर्ष 2010 में एनआईटी हमीरपुर में रेगुलर रजिस्ट्रार के रूप में मनीष कुमार जिंदल तैनात थे. उनके जाने के बाद इसी संस्थान के 5 प्रोफेसर कार्यकारी रजिस्ट्रार रहे हैं. इनमें एसके सिंघा, सुशील चौहान, सुनील चौधरी, योगेश गुप्ता व वर्तमान में राजेश्वर बांश्टू शामिल हैं.
डिप्टी रजिस्ट्रार की भर्ती में भी कई उतार-चढ़ाव: संस्थान में खाली पड़े डिप्टी रजिस्ट्रार के एक पद के लिए भी लिखित परीक्षा हो चुकी है. लिखित परीक्षा में 43 आवेदकों ने भाग लिया. इनमें से 10 लोग शॉर्टलिस्ट किए गए हैं. शॉर्टलिस्ट किए गए इन 10 लोगों में एक अभ्यर्थी का नाम माना जा रहा है. एनआईटी हमीरपुर में डिप्टी रजिस्ट्रार के 3 पद हैं जिनमें से दो पद पहले से ही भरे हुए हैं लेकिन एक पद काफी समय से खाली चल रहा था. इस भर्ती में संस्थान के कुछ लोग अंदर खाते सवाल उठा रहे हैं माना जा रहा है कि तमाम प्रक्रिया तो औपचारिकता मात्र है नाम पहले ही तय हो गया है. इन सबके बीच एनआईटी हमीरपुर की आधिकारिक वेबसाइट पर खूब सक्रियता देखने को मिल रही है इस भर्ती प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेजों को कई दफा संशोधित किया जा चुका है.
ये है प्रबंधन का तर्क: एनआईटी के निदेशक डॉ एचएम सूर्यवंशी का कहना है कि नियमों के तहत ही भर्ती प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है. तमाम तरह के सवाल महज हवाई है. पूर्ण पारदर्शिता के साथ भर्ती प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है . कार्यकारी रजिस्ट्रार राजेश्वर वास्तु से बात की गई तो उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार के साक्षात्कार 19 जून को हो गए हैं जबकि डिप्टी रजिस्ट्रार के साक्षात्कार मंगलवार 20 जून को लिए गए. उन्होंने कहा कि फाइनल नामों बी ओ जी की बैठक में प्रस्तावित किया जाएगा. यहां पर प्रस्ताव पारित होने के बाद उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को जॉइनिंग लेटर दिया जाएगा.
सहायक प्रोफेसर की भर्ती पर भी सवाल: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर में होने वाली असीस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड-2 की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं. बताया जा रहा है कि इन पदों के लिए आवेदन करने वाले पात्र अभ्यर्थियों को भी 27 जून को प्रस्तावित इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया है. इन अभ्यर्थियों ने एनआईटी प्रबंधन पर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है. आपको बता दें कि एनआईटी हमीरपुर में असीस्टेंट प्रोफेसर ग्रेड-1 और ग्रेड-2 के पद रेगुलर बेसिस पर भरे जाने हैं. लेकिन जिस तरह से इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने शुरू हुए हैं तो एक बार फिर से संस्थान में तीन साल पुराना माहौल बनता हुआ नजर आने लगा है.
इन विभागों में एपी के पद भरे जाने हैं: डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीयरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ मैकेनिकल इंजीयरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन, डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साईंस एंड इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ मेटीरियल साईंस एंड इंजीनियरिंग, डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर, डिपार्टमेंट ऑफ मैथेमेटिक्स एंड साईंटिफिक कंप्यूटिंग, डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड फोटोनिक्स साईंस, डिपार्टमेंट ऑफ कैमिस्ट्री, डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमिनिटीस एंड सोशल साईंस, डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्ट्डीज, और डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी स्ट्डी में असीस्टेंट. प्रोफेसर के पद भरे जाएंगे. एनआईटी के कार्यकारी रजिस्ट्रार राजेश्वर बांश्टू ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान तीन श्रेणी तय की जाती है.
एक वो जो नॉट इलिजिबल यानि उन्होंने अप्लाई तो किया होता है पर पर नॉम्र्स को फुलफिल नहीं कर रहे होते. दूसरे लिजिबल बट नॉट शॉर्टलिस्टेड यानि इलिजिबल तो थे लेकिन मैरिट में नहीं आ रहे होते और तीसरे होते हैं शार्टलिस्टेड जिन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. अब जो लोग आरोप लगा रहे हैं वे देख लें कि किसी क्राइटेरिया में आते हैं. बाकी संस्थान को पावर होती है कि उसने क्या क्राइटेरिया फिक्स करना है.
एनआईटी हमीरपुर परिसर की दुकानों के टेंडर आवंटन सवालों में: 3 साल बाद एनआईटी हमीरपुर के परिसर में स्थित 26 दुकानों के लिए टैंडर का मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि इसमें विजिलेंस जांच की मांग की जा रही है. बकायदा इसकी शिकायत निदेशक को लिखित तौर पर की गई है. गर्मा गया है. हमीरपुर की दरोगन निवासी सोनिया चौहान ने संस्थान के निदेशक को पत्र लिखकर टैंडर आबंटन प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि बीते 10 वर्षों से अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए टैंडर प्रक्रिया में गोलमाल किया जाता है तथा खूब भाई-भतीजावाद होता है. मीडिया में आकर बाकायदा विजिलेंस जांच की मांग उठाई जा रही है. एनआईटी के कार्यकारी रजिस्ट्रार राजेश्वर बांश्टू ने कहा कि 10 दिन के भीतर टेंडर के मुताबिक दुकान खोलने के आदेश दिए गए हैं 16 जून को यह टेंडर हो चुके हैं. उनका कहना है कि आवंटन में किसी भी तरह की कोई धांधली नहीं हुई है पूर्ण पारदर्शिता के साथ यह कार्य किया गया है जांच की मांग करने वाले सरकारी तंत्र में स्वतंत्र है.
मुंबई के एक ठेकेदार विनोद ठाकुर ने संस्थान के निदेशक को पत्र लिखकर टेंडर आंवटन प्रकिया पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि बीते दस सालों से अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में गोलमाल किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस बारे में विजीलेंस में भी शिकायत दी है. उन्होंने कहा कि 26 टेंडरों के लिए पूरी तरह से धांधली हुई है और टेंडर प्रक्रिया के लिए अपने चहेतों को टेंडर दिए गए है. उन्होंने कहा कि सभी ठेकेदार एनआईटी प्रबंधन से पूरी तरह से दुखी हो चुके है और धोखे से टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई है. जिसका सभी ठेकेदार विरोध कर रहे है.
शशि कुमार चौहान ने बताया कि एनआईटी में पिछले महीने में दुकानों के आवंटन के लिए टेंडर मांगे थे जिसमें टेंडर डालने के बाद अगले दिन खुलने थे, लेकिन कोओडिनेटर रजनीश ने कोई बहाना बनाकर टेंडर न खोलने की बात कही. वहीं 15 दिन बीतने के बाद भी टेंडर के बारे में जबाव न आने पर पता चला कि टैंडर खुल गए है. उन्होंने बताया कि बाद में फोन आने पर बुलाने पर यह बताया कि किसी और न कम रेट में टेंडर को दे दिया है. उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया को किस के सामने पूरा किया है इस बात को बताया जाए.
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