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कोरोनाकाल में शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब हो रही मोटी कमाई

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Published : Apr 13, 2021, 6:29 PM IST

कोरोना काल में हमीरपुर के प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. बाजार में अब इस स्ट्रॉबेरी की कीमत 200 से 250 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से मिल रही रही है. प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी के पौधे महाराष्ट्र से मंगवाए थे.

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फोटो

हमीरपुरः कोरोना संकटकाल में आपदा को अवसर में बदलना लोगों ने बखूबी सीखा है. हमीरपुर जिला के 24 वर्षीय प्राकृत लखनपाल ने भी ठीक ऐसा ही कर दिखाया है. कोरोना काल में हमीरपुर के प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. बाजार में अब इस स्ट्रॉबेरी की कीमत 200 से 250 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से मिल रही रही है. जानकारी के अनुसार प्राकृत लखनपाल ने रिटेल मैनेजमेंट में एमबीए किया हुआ है, लेकिन शौक ने उन्हें सफल बागवान बना दिया.

प्राकृत ने इंटरनेट के जरिए देश में स्ट्रॉबेरी के बेहतरीन पौधों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि महाराष्ट्र के सोलापुर में अच्छे उत्पादन वाले स्ट्रॉबेरी के पौधे मिलते हैं. कोरोनाकाल में सड़क से इन पौधों को सोलापुर से मंगवाना आसान नहीं था. प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी के करीब एक हजार पौधों की डिमांड संबंधित कंपनी को भेजी और हवाई मार्ग से महाराष्ट्र से चंडीगढ़ मंगवाए. चंडीगढ़ से हमीरपुर तक सड़क के जरिए यह पौधे लाए गए. इसके बाद उन्होंने नवंबर-दिसंबर माह में विकासनगर में अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे रोपे. यहां एक निजी स्कूल के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी का सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया.

साथ ही खरपतवार से फसल को बचाने के लिए स्ट्रॉबेरी के पौधों के आसपास पॉलिथीन का इस्तेमाल किया गया. प्राकृत के पिता पंकज लखनपाल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनके बड़े बेटे ने महाराष्ट्र से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाए थे, जिनसे वर्तमान में अच्छी पैदावार हुई है. बेटे ने बंजर जमीन पर नींबू और संतरे समेत विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधे भी लगाए हैं.

ये भी पढ़ें: जानिए क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग, आपकी ये सावधानी साइबर ठगों को दिखाएगी ठेंगा

हमीरपुरः कोरोना संकटकाल में आपदा को अवसर में बदलना लोगों ने बखूबी सीखा है. हमीरपुर जिला के 24 वर्षीय प्राकृत लखनपाल ने भी ठीक ऐसा ही कर दिखाया है. कोरोना काल में हमीरपुर के प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. बाजार में अब इस स्ट्रॉबेरी की कीमत 200 से 250 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से मिल रही रही है. जानकारी के अनुसार प्राकृत लखनपाल ने रिटेल मैनेजमेंट में एमबीए किया हुआ है, लेकिन शौक ने उन्हें सफल बागवान बना दिया.

प्राकृत ने इंटरनेट के जरिए देश में स्ट्रॉबेरी के बेहतरीन पौधों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि महाराष्ट्र के सोलापुर में अच्छे उत्पादन वाले स्ट्रॉबेरी के पौधे मिलते हैं. कोरोनाकाल में सड़क से इन पौधों को सोलापुर से मंगवाना आसान नहीं था. प्राकृत ने स्ट्रॉबेरी के करीब एक हजार पौधों की डिमांड संबंधित कंपनी को भेजी और हवाई मार्ग से महाराष्ट्र से चंडीगढ़ मंगवाए. चंडीगढ़ से हमीरपुर तक सड़क के जरिए यह पौधे लाए गए. इसके बाद उन्होंने नवंबर-दिसंबर माह में विकासनगर में अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे रोपे. यहां एक निजी स्कूल के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी का सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया.

साथ ही खरपतवार से फसल को बचाने के लिए स्ट्रॉबेरी के पौधों के आसपास पॉलिथीन का इस्तेमाल किया गया. प्राकृत के पिता पंकज लखनपाल ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनके बड़े बेटे ने महाराष्ट्र से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाए थे, जिनसे वर्तमान में अच्छी पैदावार हुई है. बेटे ने बंजर जमीन पर नींबू और संतरे समेत विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधे भी लगाए हैं.

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