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इस कुंड में स्नान करने से महिलाओं को होती है संतान प्राप्ति!

अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से भरी हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से संवारने की जरूरत है.

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Published : Feb 1, 2020, 2:33 PM IST

Updated : Feb 1, 2020, 4:31 PM IST

kunti kund untouched himachal
कुंती कुंड अनछुआ हिमाचल

हमीरपुर: पहाड़ी राज्य हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से भरी हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से संवारने की जरूरत है. आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको बड़सर उपमंडल के दैण गांव के ठठियार में स्थित कुंती कुंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि हिमाचल में काफी समय बिताया था. हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के ठठियार गांव के साथ लगते घने जंगलों में आज भी पांडव काल के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं. जिस स्थान पर पांडवों ने कुछ समय बिताया था वहां पर कुंती कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है.

कुंती कुंड के लिए जाते समय दैण गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दाएं पांव का निशान देखने को मिलता है. कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नैनादेवी के पास था. बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है.

सरकार की बेरुखी से पौराणिक धरोहरों को देखने से पर्यटक वंचित रह जाते हैं. वहीं, दैण गांव के पान सिंह, संजीव कुमार, राम मूर्ति शर्मा, राजकुमार व सतीश ठाकुर (बिट्टू) का कहना है कि दैण से ठठियार तक कच्ची सड़क होने के कारण पर्यटक कुंती कुंड आने से कतराते हैं. सड़क की खस्ताहालत होने के कारण कुंती कुंड पहुंचने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

स्थानीय लोगों केशव चंद, राजन, पवन, सुशील व नीलकमल और अरविंद ने बताया कि अगर इस कुंड की सही तरीके से देखरेख की जाए तो यह जिला के प्रमुख तीर्थ स्थानों मे शामिल हो सकता है. ऐसे में दुर्भाग्य यह है कि कुंती कुंड तक पंहुचने के लिए रास्ता तक नहीं है.

भोटा से कुछ दूरी पर स्थित सौर पंचायत के गांव दैण का ऐतिहासिक कुंती कुंड सुविधाओं से महरूम है. इस कुंड के दर्शनों के लिए सालों पहले लोग पैदल यात्रा करके पहुंचते थे, लेकिन आज मूलभूत सुविधाओं के कारण यह दर्शनीय स्थल पहचान खोता जा रहा है.

कुंती कुंड से थोड़ी दूरी पर ही बाण गंगा स्थित है. मान्यता है कि अर्जुन ने यहां धनुष से तीर छोड़ा था, जिससे जलधारा प्रवाहित हुई थी, जिसे बाद में बाण गंगा के नाम से जाना जाने लगा.
अगर सरकार चाहे तो इस जगह को विकसित करने के लिए काम किया जा सकता है. इससे ये जगह विकसित होने के साथ-साथ यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक

कुंती कुंड तक पहुंचने के लिए चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा. हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर दैण गांव है. भोटा से वाया रोपड़ी मार्ग से होते हुए दैण गांव पहुंचा जा सकता है. दैण गांव से दो किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है.

वीडियो

ये भी पढ़ें: पॉलिटेक्निक कॉलेज बड़ू में छात्रों को फेल करने के लगे आरोप, प्रबंधन ने साधी चुप्पी

हमीरपुर: पहाड़ी राज्य हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से भरी हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से संवारने की जरूरत है. आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको बड़सर उपमंडल के दैण गांव के ठठियार में स्थित कुंती कुंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि हिमाचल में काफी समय बिताया था. हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के ठठियार गांव के साथ लगते घने जंगलों में आज भी पांडव काल के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं. जिस स्थान पर पांडवों ने कुछ समय बिताया था वहां पर कुंती कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है.

कुंती कुंड के लिए जाते समय दैण गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दाएं पांव का निशान देखने को मिलता है. कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नैनादेवी के पास था. बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है.

सरकार की बेरुखी से पौराणिक धरोहरों को देखने से पर्यटक वंचित रह जाते हैं. वहीं, दैण गांव के पान सिंह, संजीव कुमार, राम मूर्ति शर्मा, राजकुमार व सतीश ठाकुर (बिट्टू) का कहना है कि दैण से ठठियार तक कच्ची सड़क होने के कारण पर्यटक कुंती कुंड आने से कतराते हैं. सड़क की खस्ताहालत होने के कारण कुंती कुंड पहुंचने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

स्थानीय लोगों केशव चंद, राजन, पवन, सुशील व नीलकमल और अरविंद ने बताया कि अगर इस कुंड की सही तरीके से देखरेख की जाए तो यह जिला के प्रमुख तीर्थ स्थानों मे शामिल हो सकता है. ऐसे में दुर्भाग्य यह है कि कुंती कुंड तक पंहुचने के लिए रास्ता तक नहीं है.

भोटा से कुछ दूरी पर स्थित सौर पंचायत के गांव दैण का ऐतिहासिक कुंती कुंड सुविधाओं से महरूम है. इस कुंड के दर्शनों के लिए सालों पहले लोग पैदल यात्रा करके पहुंचते थे, लेकिन आज मूलभूत सुविधाओं के कारण यह दर्शनीय स्थल पहचान खोता जा रहा है.

कुंती कुंड से थोड़ी दूरी पर ही बाण गंगा स्थित है. मान्यता है कि अर्जुन ने यहां धनुष से तीर छोड़ा था, जिससे जलधारा प्रवाहित हुई थी, जिसे बाद में बाण गंगा के नाम से जाना जाने लगा.
अगर सरकार चाहे तो इस जगह को विकसित करने के लिए काम किया जा सकता है. इससे ये जगह विकसित होने के साथ-साथ यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक

कुंती कुंड तक पहुंचने के लिए चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा. हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर दैण गांव है. भोटा से वाया रोपड़ी मार्ग से होते हुए दैण गांव पहुंचा जा सकता है. दैण गांव से दो किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है.

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ये भी पढ़ें: पॉलिटेक्निक कॉलेज बड़ू में छात्रों को फेल करने के लगे आरोप, प्रबंधन ने साधी चुप्पी

Intro:Kunti Kund story

महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि हिमाचल में काफी समय बिताया था। हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के ठठियार गांव के साथ लगते घने जंगलों में आज भी पांडव काल के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं। जिस स्थान पर पांडवों ने कुछ समय बिताया था वहां पर कुंती कुंड आज भी मौजूद है। कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है।
हमीरपुर जिला के ठठियार गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दायें पांव का निशान देखने को मिलता है। बुजुर्ग कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नयनादेवी के पास था। बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है। इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं। मगर सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है। सरकार ने इसके विकसित करने के लिए कोई कार्य नहीं किया है।

सरकार की बेरुखी से पौराणिक धरोहरों को देखने से पर्यटक वंचित
ठठियार गांव के नेक चंद शर्मा, रणजीत शर्मा, राम मूर्ति शर्मा, राजकुमार व हेमराज का कहना हैं कि दैण से ठठियार तक कच्ची सड़क होने के कारण पर्यटक जहां आने से कतराते हैं। सड़क होने के बावजूद भी लोग वहां गाड़ी लेकर नहीं पहुंच सकते। एसडीएम बड़सर अक्षय सूद ने सड़क बनाने की कोशिश की थी। मगर फाइल लोक निर्माण विभाग के पास रुकी हुई है। लोगों का कहना है कि सरकार की बेरुखी से हजारों वर्ष पुराने स्थल को निहारने से पर्यटक वंचित रह रहे हैं।

पर्यटन स्थल को सुंदर बनाया जाएगा : उपायुक्त
उपायुक्त हमीरपुर मदन चौहान ने कहा कि पर्यटन स्थल को सुंदर बनाने के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को चाहिए कि पर्यटन स्थल को सुंदर बनाने के लिए प्रशासन का सहयोग लें, ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकें। इस स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण कार्य को शीघ्र पूर्ण करवाया जाएगा।

शीघ्र होगी निशानदेही : एसडीएम
बड़सर के एसडीएम अक्षय सूद ने कहा कि राजस्व विभाग के संबंधित पटवार सर्कल के पटवारी व काननूगो को सरकारी जमीन की निशानदेही करने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। ताकि इसकी रिपोर्ट आने के बाद लोक निर्माण विभाग सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर सके। सरकार व प्रशासन पर्यटक स्थालों को सुंदर बनाने के लिए प्रयासरत है, ताकि इसका लाभ पर्यटकों को मिल सके।

'इस स्थान पर महाभारत काल में पांडवों ने जहां पर कुछ समय व्यतीत किया था। इतिहासकार भी इस संस्थान की सुंदरता को और बढ़ावा देने के पक्षधर हैं। पर्यटन स्थल का लाभ पर्यटकों को मिलना चाहिए। इतिहास संकलन समिति भी तथ्य जुटाने का कार्य कर रही है। प्रशासन व सरकार को प्राचीन संस्कृति को उभारने के लिए तेजी से प्रयास करने चाहिए।Ó
चेत राम गर्ग, इतिहासकार एवं इतिहास शोध संकलन समिति नेरी के सदस्य।
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कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक
चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा। हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर ठठियार गांव है। भोटा से दैण-रोपड़ी मार्ग से होते हुए ठठियार गांव पहुंचा जा सकता है। ठठियार गांव से तीन किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है।Body:हमीरपुर जिला के ठठियार गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दायें पांव का निशान देखने को मिलता है। बुजुर्ग कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नयनादेवी के पास था। बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है। इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं। मगर सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है। सरकार ने इसके विकसित करने के लिए कोई कार्य नहीं किया है।

सरकार की बेरुखी से पौराणिक धरोहरों को देखने से पर्यटक वंचित
ठठियार गांव के नेक चंद शर्मा, रणजीत शर्मा, राम मूर्ति शर्मा, राजकुमार व हेमराज का कहना हैं कि दैण से ठठियार तक कच्ची सड़क होने के कारण पर्यटक जहां आने से कतराते हैं। सड़क होने के बावजूद भी लोग वहां गाड़ी लेकर नहीं पहुंच सकते। एसडीएम बड़सर अक्षय सूद ने सड़क बनाने की कोशिश की थी। मगर फाइल लोक निर्माण विभाग के पास रुकी हुई है। लोगों का कहना है कि सरकार की बेरुखी से हजारों वर्ष पुराने स्थल को निहारने से पर्यटक वंचित रह रहे हैं।

पर्यटन स्थल को सुंदर बनाया जाएगा : उपायुक्त
उपायुक्त हमीरपुर मदन चौहान ने कहा कि पर्यटन स्थल को सुंदर बनाने के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को चाहिए कि पर्यटन स्थल को सुंदर बनाने के लिए प्रशासन का सहयोग लें, ताकि उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा सकें। इस स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क निर्माण कार्य को शीघ्र पूर्ण करवाया जाएगा।

शीघ्र होगी निशानदेही : एसडीएम
बड़सर के एसडीएम अक्षय सूद ने कहा कि राजस्व विभाग के संबंधित पटवार सर्कल के पटवारी व काननूगो को सरकारी जमीन की निशानदेही करने के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। ताकि इसकी रिपोर्ट आने के बाद लोक निर्माण विभाग सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर सके। सरकार व प्रशासन पर्यटक स्थालों को सुंदर बनाने के लिए प्रयासरत है, ताकि इसका लाभ पर्यटकों को मिल सके।

'इस स्थान पर महाभारत काल में पांडवों ने जहां पर कुछ समय व्यतीत किया था। इतिहासकार भी इस संस्थान की सुंदरता को और बढ़ावा देने के पक्षधर हैं। पर्यटन स्थल का लाभ पर्यटकों को मिलना चाहिए। इतिहास संकलन समिति भी तथ्य जुटाने का कार्य कर रही है। प्रशासन व सरकार को प्राचीन संस्कृति को उभारने के लिए तेजी से प्रयास करने चाहिए।Ó
चेत राम गर्ग, इतिहासकार एवं इतिहास शोध संकलन समिति नेरी के सदस्य।
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कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक
चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा। हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर ठठियार गांव है। भोटा से दैण-रोपड़ी मार्ग से होते हुए ठठियार गांव पहुंचा जा सकता है। ठठियार गांव से तीन किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है।Conclusion:भोटा से कुछ दूरी पर स्थित सौर पचांयत का ऐतिहासिक कुंती कुंड बदहाली का शिकार है। वर्षों पहले इस कुंड के दर्शनों के लिए लोग पैदल यात्रा करके पहुंचते थे, लेकिन बदहाली के कारण यह दर्शनीय स्थल पहचान खोता जा रहा है। कुंती कुंड गुफा के दुर्लभ दर्शनों के लिए काफी भीड़ जमा रहती थी।

रविवार के दिन आस्था का सैलाब उमड़ पडता था, लेकिन समय के साथ-साथ कुंड की मान्यता भी मंद पड़ती गई। आलम यह कि कम ही लोग इस आस्था के केंद्र के बारे में जानते हैं। यहां पर हर रविवार को भंडारा लगता है।

यहां स्थित बाण गंगा में श्रद्धालु स्नान करके अपनी मन की मुरादें पाते थे। मान्यता है कि छह हजार वर्ष पहले अर्जुन ने यहां धनुष से तीर छोड़ा था, जिससे जलधारा प्रवाहित हुई थी। बाद में इसे बाण गंगा के नाम से जाना जाने लगा। यहां पर भीम के पैरों के निशान भी मौजूद हैं, जबकि उनका दूसरा पैर न्यानादेवी में है। इस धार्मिक स्थल पर आने वाले श्रद्धालु जो भी मनोकमना मांगते थे, वह जरूर पूरी होती है। क्षेत्र के देण में बाबा बालक नाथ ने तपस्या की थी। आज भी वहां पर कुटिया मौजूद है, यहां पर एक सफेद रंग का नाग भी रहता है जो, दुध पीकर चला जाता था। यहां एक काला कुंड भी मौजूद है। स्थानीय लोगों विपन, अजीत, राजन, पवन, सुशील व सन्नी, अनिकेत ने बताया कि अगर इस कुंड की सही तरीके से देखरेख की जाए तो यह जिला के प्रमख तीर्थ स्थानों मे शामिल होता। ऐसे में दुर्भाग्य यह है कि कुंती कुंड तक पंहुचने के लिए रास्ता तक नहीं है। उन्होंने बताया कि कुंड के रास्ते में चीड़ के पेड़ काफी संख्या मे गिरे हुए हैं। सीपीएस इंद्रदत्त लखनपाल से भी इस विषय पर चर्चा हुई है। समस्या का समाधान नहीं निकल पाया। क्षेत्र के बाबा मंडु राम का कहना है कि इस स्थान पर बाबा धर्मगिरी की समाधि भी है। जिस पर पीपल का पेड़ उग आया है। उन्होंने बताया कि धर्मगिरी महाराज बहुत बडे संत थे। उन्होंने प्रशासन से इस पवित्र कुंती कुंड के उत्थान की मांग की है। उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि कुंड के जीर्णोंधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
Last Updated : Feb 1, 2020, 4:31 PM IST
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