हमीरपुर: पहाड़ी राज्य हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगहों के बारे में जानकारी देते हैं, जो प्राकृतिक खूबसूरती से भरी हैं. इन जगहों को सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से संवारने की जरूरत है. आज अनछुआ हिमाचल की इस सीरीज में हम आपको बड़सर उपमंडल के दैण गांव के ठठियार में स्थित कुंती कुंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं.
महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान देवभूमि हिमाचल में काफी समय बिताया था. हमीरपुर जिला के बड़सर उपमंडल के ठठियार गांव के साथ लगते घने जंगलों में आज भी पांडव काल के साक्षात प्रमाण मौजूद हैं. जिस स्थान पर पांडवों ने कुछ समय बिताया था वहां पर कुंती कुंड आज भी मौजूद है. कहते हैं कि जिन स्त्रियों को संतान नहीं होती उन्हें इस कुंड में स्नान करने मात्र से संतान सुख मिलता है.
कुंती कुंड के लिए जाते समय दैण गांव के जंगल में आज भी एक जगह पर महाबली भीम के दाएं पांव का निशान देखने को मिलता है. कहते हैं कि भीम का एक पैर हमीरपुर के इस जंगल में है तो दूसरा नैनादेवी के पास था. बैसाखी के दिन जहां शाही स्नान होता है. इस दौरान दूर-दूर से लोग आते हैं, लेकिन सरकार व जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते आज ये जगह गुमनामी के अंधेरे में खोई हुई है.
सरकार की बेरुखी से पौराणिक धरोहरों को देखने से पर्यटक वंचित रह जाते हैं. वहीं, दैण गांव के पान सिंह, संजीव कुमार, राम मूर्ति शर्मा, राजकुमार व सतीश ठाकुर (बिट्टू) का कहना है कि दैण से ठठियार तक कच्ची सड़क होने के कारण पर्यटक कुंती कुंड आने से कतराते हैं. सड़क की खस्ताहालत होने के कारण कुंती कुंड पहुंचने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
स्थानीय लोगों केशव चंद, राजन, पवन, सुशील व नीलकमल और अरविंद ने बताया कि अगर इस कुंड की सही तरीके से देखरेख की जाए तो यह जिला के प्रमुख तीर्थ स्थानों मे शामिल हो सकता है. ऐसे में दुर्भाग्य यह है कि कुंती कुंड तक पंहुचने के लिए रास्ता तक नहीं है.
भोटा से कुछ दूरी पर स्थित सौर पंचायत के गांव दैण का ऐतिहासिक कुंती कुंड सुविधाओं से महरूम है. इस कुंड के दर्शनों के लिए सालों पहले लोग पैदल यात्रा करके पहुंचते थे, लेकिन आज मूलभूत सुविधाओं के कारण यह दर्शनीय स्थल पहचान खोता जा रहा है.
कुंती कुंड से थोड़ी दूरी पर ही बाण गंगा स्थित है. मान्यता है कि अर्जुन ने यहां धनुष से तीर छोड़ा था, जिससे जलधारा प्रवाहित हुई थी, जिसे बाद में बाण गंगा के नाम से जाना जाने लगा.
अगर सरकार चाहे तो इस जगह को विकसित करने के लिए काम किया जा सकता है. इससे ये जगह विकसित होने के साथ-साथ यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
कैसे पहुंचे पर्यटक स्थल तक
कुंती कुंड तक पहुंचने के लिए चंडीगढ़ या पठानकोट से पहले हमीरपुर पहुंचना पड़ेगा. हमीरपुर से 24 किलोमीटर दूर दैण गांव है. भोटा से वाया रोपड़ी मार्ग से होते हुए दैण गांव पहुंचा जा सकता है. दैण गांव से दो किलोमीटर दूर घने जंगल में यह पर्यटन स्थल मौजूद है.
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