हमीरपुर: करतार सिंह सौंखले को बैंबू आर्ट के लिए केंद्र सरकार पद्मश्री सम्मान से नवाजेगी. करतार सिंह सौंखले न केवल बांस की कारीगरी करते हैं, बल्कि उन्हें कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां उकेरने में भी महारत हासिल है.
कांच की बोतल में बनाई कलाकृतियां
1959 में हमीरपुर जिला की नारा पंचायत के रटेहड़ा गांव में जन्मे करतार सिंह सौंखले बचपन से ही बांस की कारीगरी में रुचि रखते थे. साल 2000 में उन्होंने कांच की बोतलों के अंदर बांस की कलाकृतियां बनानीं शुरू की. उनकी इस बेजोड़ कारीगरी को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. उन्होंने कांच की बोतलों अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम की कलाकृतियां बनाई हैं.
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया
इसके अलावा एफिल टावर के साथ कई ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतों की कलाकृतियां भी उन्होंने अपनी कारीगरी के माध्यम से कांच की बोतलों में बनाई हैं. वह एनआईटी हमीरपुर में चीफ फार्मसिस्ट के पद से मार्च 2019 में सेवानिवृत्त हुए हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गलोड़ स्कूल से पूरी हुई और इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन डिग्री कॉलेज बिलासपुर से पूरी की थी. इसके बाद फैमिली एंड वेलफेयर विभाग के अंतर्गत उन्होंने डी फार्मा की पढ़ाई भी पूरी की, लेकिन बांस की कारीगरी के हुनर को उन्होंने अपने अंदर जिंदा रखा और नौकरी के दौरान ही वह कलाकृतियां बनाने में जुटे रहे. उन्हें अपने इन कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है.
सरकार का जताया आभार
एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें ग्रैंड मास्टर, इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें एक्सीलेंसी अवॉर्ड से सम्मानित किया है. अब भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इस सम्मान के लिए उनका चयन किया गया है इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के आभारी हैं. उनका कहना है कि बचपन से ही उन्हें कलाकृतियां बनाने का शौक था जो कि बाद में जुनून में बदल गया.