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अब कचरे और बचे हुए फल-सब्जी से तैयार होगा बायोडीजल, कांगड़ा के छात्रों ने कर दिखाया ये कमाल - Kangra students Made Biodiesel

Kangra students Made Biodiesel From Garbage: अब कचरे और बचे हुए फल-सब्जी से बायोडीजल तैयार होगा. ये कमाल कांगड़ा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बालकरूपी के छात्रों ने कर दिखाया है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 18, 2023, 8:03 AM IST

Updated : Dec 18, 2023, 10:04 AM IST

कांगड़ा के छात्रों ने कचरे से बनाया बायोडीजल

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बालकरूपी की छात्रों ने रसोई घर से निकलने वाले कचरे और बचे हुए खाने, सब्जी, फलों के छिलकों से ईको फ्रेंडली बायोडीजल तैयार किया है. इस बायोडीजल का प्रयोग करने से कार्बन उत्सर्जन नाम मात्र होगा. इस बायोडीजल से मात्र फल और सब्जियों की सड़न से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बराबर होगा. इस ईंधन में कार्बन उत्सर्जन नाम मात्र ही होने की वजह से इसे ईको फ्रेंडली बायोडीजल कहना गलत नहीं होगा.

कांगड़ा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बालकरूपी के स्टूडेंट्स शायना और शिवम ने इस ईको फ्रेंडली बायोडीजल को बनाया है. इन छात्रों ने इस प्रोटोटाइप को वे टू मेंदू स्मार्ट सोलर एनर्जी इनटू सस्टेनेबल बायोडीजल एंड इलेक्ट्रिसिटी नाम दिया है. रसायन विज्ञान के प्रवक्ता तिलक राणा के मार्गदर्शन में इन छात्रों ने यह मॉडल प्रोटोटाइप तैयार किया है. इस बायोडीजल को सिर्फ तीन हजार की लागत से प्रेशर कुकर, हीटर और सोलर पैनल के इस्तेमाल कर तैयार किया गया है.

Kangra students made biodiesel from garbage
कांगड़ा के छात्रों ने बनाया कचरे से बायोडीजल

तिलक राणा ने बताया कि केवल चार किलो कचरे में एक लीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है. वहीं, अगर इथनोल बनाने के समय सड़न प्रक्रिया के लिए गुड़ का इस्तेमाल करें तो उत्पादन में कई गुना इजाफा हो सकता है. एक लीटर बायोडीजल की लागत बड़े स्तर पर उत्पादन करने पर करीब 20 रुपये के लगभग आएगी. वहीं, बायोडीजल बनाने की प्रक्रिया के दौरान बचे कचरे को जैविक खाद के रूप में खेतों में उपयोग किया जा सकता है.

बता दें कि इन छात्रों ने ड्यूल एक्सेस सोलर पैनल विकसित किया है. सोलर पैनल रोशनी को सेंस करते हुए सूर्य की तरफ घूमेगा, जिससे दिनभर सौर ऊर्जा से बिजली तैयार होगी. वहीं, सौर ऊर्जा से तैयार बिजली को बैटरी में स्टोर करने के बाद इसे कचरे से इथनोल बनाए गए तरल पदार्थ को कंटेनर में वाष्पीकरण प्रक्रिया से गुजारा जाएगा. प्रोटाइप में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल कर पाइप के जरिए वाष्पीकरण कर संघनन प्रक्रिया से भाप को पानी में बदला जाएगा. इसके बाद कॉपर की पाइप से संघनन प्रक्रिया से भाप बने पानी को गुजारा जाएगा जिससे बायोडीजल तैयार होगा.

ये भी पढ़ें: रामपुर के दत्तनगर में आधुनिक मिल्क प्लांट बनकर तैयार, जल्द होगा ट्रायल, 4 जिलों के पशुपालकों को मिलेगा लाभ

कांगड़ा के छात्रों ने कचरे से बनाया बायोडीजल

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बालकरूपी की छात्रों ने रसोई घर से निकलने वाले कचरे और बचे हुए खाने, सब्जी, फलों के छिलकों से ईको फ्रेंडली बायोडीजल तैयार किया है. इस बायोडीजल का प्रयोग करने से कार्बन उत्सर्जन नाम मात्र होगा. इस बायोडीजल से मात्र फल और सब्जियों की सड़न से होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बराबर होगा. इस ईंधन में कार्बन उत्सर्जन नाम मात्र ही होने की वजह से इसे ईको फ्रेंडली बायोडीजल कहना गलत नहीं होगा.

कांगड़ा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बालकरूपी के स्टूडेंट्स शायना और शिवम ने इस ईको फ्रेंडली बायोडीजल को बनाया है. इन छात्रों ने इस प्रोटोटाइप को वे टू मेंदू स्मार्ट सोलर एनर्जी इनटू सस्टेनेबल बायोडीजल एंड इलेक्ट्रिसिटी नाम दिया है. रसायन विज्ञान के प्रवक्ता तिलक राणा के मार्गदर्शन में इन छात्रों ने यह मॉडल प्रोटोटाइप तैयार किया है. इस बायोडीजल को सिर्फ तीन हजार की लागत से प्रेशर कुकर, हीटर और सोलर पैनल के इस्तेमाल कर तैयार किया गया है.

Kangra students made biodiesel from garbage
कांगड़ा के छात्रों ने बनाया कचरे से बायोडीजल

तिलक राणा ने बताया कि केवल चार किलो कचरे में एक लीटर बायोडीजल तैयार किया जा सकता है. वहीं, अगर इथनोल बनाने के समय सड़न प्रक्रिया के लिए गुड़ का इस्तेमाल करें तो उत्पादन में कई गुना इजाफा हो सकता है. एक लीटर बायोडीजल की लागत बड़े स्तर पर उत्पादन करने पर करीब 20 रुपये के लगभग आएगी. वहीं, बायोडीजल बनाने की प्रक्रिया के दौरान बचे कचरे को जैविक खाद के रूप में खेतों में उपयोग किया जा सकता है.

बता दें कि इन छात्रों ने ड्यूल एक्सेस सोलर पैनल विकसित किया है. सोलर पैनल रोशनी को सेंस करते हुए सूर्य की तरफ घूमेगा, जिससे दिनभर सौर ऊर्जा से बिजली तैयार होगी. वहीं, सौर ऊर्जा से तैयार बिजली को बैटरी में स्टोर करने के बाद इसे कचरे से इथनोल बनाए गए तरल पदार्थ को कंटेनर में वाष्पीकरण प्रक्रिया से गुजारा जाएगा. प्रोटाइप में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल कर पाइप के जरिए वाष्पीकरण कर संघनन प्रक्रिया से भाप को पानी में बदला जाएगा. इसके बाद कॉपर की पाइप से संघनन प्रक्रिया से भाप बने पानी को गुजारा जाएगा जिससे बायोडीजल तैयार होगा.

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Last Updated : Dec 18, 2023, 10:04 AM IST
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