हमीरपुर: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में एक विशेष वर्ग द्वारा प्रस्तुतियों को लेकर प्रदेश में बहस छिड़ गई है. इसी के तहत हिंदू जागरण मंच ने डीसी हमीरपुर देबश्वेता बनिक के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बुधवार को ज्ञापन भेजा गया है. हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से शिवरात्रि महोत्सव में प्रस्तुतियों के इस प्रकरण पर डीसी मंडी से माफी मांगने की बात कही है.
मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि सुजानपुर के राष्ट्रिय स्तरीय होली उत्सव में भी स्थानीय कलाकारों को तवज्जो दी जाए और लोक और देव संस्कृति का मान सम्मान हो इसका विशेष ध्यान रखा जाए. प्रस्तुतियों को विवादित करार देकर हिंदू जागरण मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि मंडी शिवरात्रि में हिंदू देवी-देवताओं का, देव संस्कृति का तिरस्कार किया गया है. हिमाचल प्रदेश के सम्पूर्ण हिंन्दु समाज की भावनाओं को आहत किया है. वह अति निंदनीय है जिसके लिए उपायुक्त मंडी को समस्त हिंदू समाज से क्षमा याचना करनी चाहिए.
जिस मंच से शिव महिमा का गुणगान होना चाहिए था उस मंच पर प्रशासन द्वारा ऐसे गायकों को बुलाकर मंडी प्रशासन ने देव संस्कृति का अपमान किया है. गौरतलब है कि सुजानपुर में राष्ट्रिय स्तरीय होली उत्सव का आयोजन 5 से 8 मार्च तक किया जाएगा. अभी तक इस आयोजन के दौरान सांस्कृतिक संध्या स्टार कलाकार फाइनल नहीं किए गए हैं. हिंदू जागरण मंच जिला इकाई हमीरपुर के संयोजक कुलदीप शर्मा का कहना है कि कार्यक्रम में ऐसे कलाकारों पर लोगों की गाढ़ी कमाई का लाखों रुपया लुटा दिया जिनका न तो देव संस्कृति से कोई संबंध है और न ही उसके लिए सम्मान.
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों बाद सुजानपुर का राष्ट्रीय होली मेला होने वाला है और प्रदेश के विभिन्न भागों में नलवाड़ी सहित कई मेले होने वाले हैं. ऐसे में हिन्दु जागरण मंच और समस्त हिन्दु समाज इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार और प्रशासन से मेलों में सांस्कृतिक संध्या के नाम पर इस प्रकार की प्रस्तुतियों पर रोक लगाने की मांग कर रहा है जिसका सनातन धर्म से या देव संस्कृति से कोई संबंध न हो. मेले में उन्हीं कलाकारों को आमंत्रित किया जाए जो हिमाचल प्रदेश की देव संस्कृति की पर्याप्त जानकारी रखते हो.
'मांसाहार' पर हो पूर्ण प्रतिबंध- मंच के सदस्यों ने कहा कि मेले में प्रस्तुतियां देव संस्कृति को प्रोत्साहन देने वाली हो. प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि किसी भी कलाकार को ऐसी प्रस्तुति देने की अनुमति न दी जाए जिससे देव संस्कृति का अपमान होने की आशंका हो. मेले सनातन संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं, इसलिए हिमाचल प्रदेश में किसी भी मेला क्षेत्र में 'मांसाहार' का पूर्ण प्रतिबंध हो. मेलों में प्रवासियों के पंजीकरण की मेला क्षेत्र में ही समुचित व्यवस्था की जाए जिससे स्थानीय समाज की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.