हमीरपुर: लंबलू बाजार में गुरुवार को आठ पंचायतों के ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान एक बकरे ने भी सरकार से गुहार लगाई है. ये अनोखा प्रदर्शन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर में हुआ है. प्रदर्शन करने वालों ने बकरे के गले में एक बकरे के गले पोस्टर डालकर लंबलू बाजार में आक्रोश रैली निकाली.
क्यों किया प्रदर्शन- आठ पंचायतों के ये ग्रामीण लंबलू में डिग्री कॉलेज, पीएचसी और पशु औषधालय को डी-नोटिफाई करने का विरोध कर रहे थे. गौरतलब है कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सुक्खू सरकार ने पूर्व की सरकार के दौरान खोले गए कई संस्थानों को डीनोटिफाई कर दिया था. जिसपर बीजेपी ने भी प्रदेशभर में प्रदर्शन किया था और इस मुद्दे को सदन से लेकर सड़क तक उठाया था.
प्रदर्शन में बकरे का इस्तेमाल क्यों किया था ?- इन ग्रामीणों के प्रदर्शन में सबसे खास वो बकरा था जिसे लेकर ग्रामीण लंबलू बाजार पहुंचे थे. जहां लंबलू ग्राम पंचायत प्रधान करतार सिंह चौहान की अगुवाई में करीब 200 लोगों ने नारेबाजी की और आक्रोश रैली निकाली. इस बकरे के गले में एक पोस्टर टांगा गया था जिसपर लिखा था कि 'पशु अस्पताल की जरूरत मुझे भी है सरकार, अंतिम इच्छा समझकर ही सही पूरी कर दो'.
सरकार को 3 महीने का अल्टीमेटम- सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले ग्रामीणों ने कहा कि उनके इलाके में डीनोटिफाई किए गए संस्थानों को फिर से खोला जाए. इसके लिए सरकार को 3 महीने का अल्टीमेटम भी दिया गया है और 3 महीने में कोई हल नहीं निकला तो उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है. क्षेत्रीय विकास मंच लम्बलू की ओर से ये विरोध स्वरूप निकाली गई आक्रोश रैली लंबलू बाजार पुल से उप तहसील कार्यालय तक निकाली गई और डीनोटिफाई किए संस्थानों को री-नोटिफाई करने की मांग की गई. ग्रामीणों की ओर से लंबलू नायब तहसीलदार रमेश गारला को ज्ञापन भी सौंपा गया
लंबलू ग्राम पंचायत प्रधान करतार सिंह चौहान ने कहा कि इस क्षेत्र के साथ हर सरकार में भेदभाव हुआ है. शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लोग मुसीबतों का सामना कर रहे हैं. 85 साल के करतार सिंह चौहान ने कहा कि जनता की लगातार मांग पर भाजपा सरकार के कार्यकाल में लम्बलू क्षेत्र में प्राइमरी हेल्थ सेंटर, डिग्री कॉलेज और पशु औषधालय को खोला गया था. लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इन सभी संस्थाओं को डी नोटिफाइ कर दिया. सरकार ने आश्वासन दिया था कि सर्वेक्षण के बाद जरूरी संस्थानों को खोल दिया जाएगा लेकिन लगभग एक साल बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ है और संस्थान बंद पड़े हैं इसलिये आक्रोश रैली के जरिये सरकार से गुहार लगाई है.
"मुख्यमंत्री हमारे जिले के हैं मैंने उनसे कहा कि इस कस्बे में आकर देखें कि कितनी परेशानियां हैं. खुद आकर देखें की यहां इन संस्थानों की कितनी जरूरत है. ये अभी सिर्फ आक्रोश है इसे हम आंदोलन में नहीं बदल रहे हैं. सरकार को 3 महीने का वक्त देते हैं, इस दौरान 3 संस्थान लौटा दो. इस इलाके में कोई विकास नहीं हुआ था. हमीरपुर का होने के नाते मुख्यमंत्री से हमें काफी उम्मीद है."- करतार सिंह चौहान, प्रधान, लंबलू ग्राम पंचायत
आमरण अनशन के लिए भी तैयार- करतार सिंह चौहान ने कहा कि काफी मशक्कत के बाद पूर्व की बीजेपी सरकार ने अंत में 3 संस्थान दिए लेकिन वो भी डीनोटिफाइ कर दिए हैं. हमारी अपील है कि हमारे 3 संस्थान लौटाएं और हमें अन्य संस्थानों की भी उम्मीद है. हम सांकेतिक प्रदर्शन के बाद आमरण अनशन तक करने के लिए तैयार हूं. कैहरवी पंचायत प्रधान गौरव शर्मा ने कहा कि क्षेत्रीय विकास मंच लंबलू के साथ आठ ग्राम पंचायतों के लोगों ने तीन संस्थानों को डी नोटिफाइ करने की मांग आक्रोश रैली के जरिये रखी है. अगर 3 महीने में ग्रामीणों की मांगों को नहीं माना जाता है तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे.
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