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मंत्री वीरेंद्र कंवर से मिला धमरोल पंचायत का प्रतिनिधिमंडल, दो पंचायतें बनाने की लगाई गुहार

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से मिला. पंचायत प्रतिनिधिमंडल ने वीरेंद्र कंवर से कहा कि धमरोल पंचायत की आबादी करीब 6000 है और यहां पर 3890 मतदाता हैं.

वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज मंत्री
वीरेंद्र कंवर, पंचायती राज मंत्री
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Published : Sep 23, 2020, 1:28 PM IST

भोरंज: उपमंडल भोरंज की ग्राम पंचायत धमरोल का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को थाना कलां में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से मिला. पंचायत प्रतिनिधिमंडल ने वीरेंद्र कंवर से कहा कि धमरोल पंचायत की आबादी करीब 6000 है और यहां पर 3890 मतदाता हैं.

ऐसे में इतनी बड़ी पंचायत की दो अलग-अलग पंचायतें बनाई जाएं. जन कल्याण समिति कुलदीप चंद की अगुवाई में ग्राम पंचायत धमरोल के 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जोल, कोहटा, सरसोहली और दर गांवों को अलग करके दूसरी पंचायत बनाने की मांग की.

लोगों ने कहा कि ये गांव चारों ओर जंगल से घिरे हैं. वहीं, पंचायत कार्यालय भी इन गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर है. पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने प्रतिनिधिमंडल की बात को ध्यान से सुना और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.

बता दें कि पिछले कई सालों से जोल, कोहटा, दर और सरसोली अलग पंचायत की मांग कर रहे हैं. ये ग्रामीण धमरोल पंचायत में आते हैं. वहां, के ग्रामीणों ने जागृति एबं जनकल्याण समिति ग्राम सुधार जोल के प्रधान कुलदीप चंद की अध्यक्षता में हमीरपुर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा, जिसमें धमरोल-2 अलग पंचायत बनाने की मांग की गई.

पिछली पंचायती राज विभाग की तरफ से नई बनने वाली जिन पंचायतों की लिस्ट मे जोल का नाम शामिल नहीं था. जोल को धमरोल-2 पंचायत बनाए जाने की मांग करीब एक दशक पुरानी है.

इस मांग को लेकर जोल, कोहटा, दर और सरसोली के ग्रामीणों ने दिसम्बर 2005 में हुए पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था, लेकिन नेताओं के आश्वासन पर ऐसा हो न सका. हालांकि करीब 7-8 वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने इस संबंध में सारी औपचारिकताएं पूरी कर मामला आगे भेज दिया था, लेकिन पहले डी-लिमिटेशन और बाद में चुनाव आचार संहिता के कारण जोल को पंचायत का दर्जा हासिल न हो सका. जोल को धमरोल पंचायत का डोडरा क्वार भी कहा जाता है.

यह गांव चारों ओर से जंगल से घिरा है. पूर्व हिस्से में इसकी सीमा मंडी जिला से लगती है, जहां से सीर खड्ड बहती है. पश्चिमी ओर को धमरोल पंचायत मुख्यालय पहुंचने से पहले ग्रामीणों को चैंथ खड्ड पार करनी पड़ती है. इसके बगल में दर, सरसोली, कोहटा गांव पड़ते हैं और यदि सड़क मार्ग से धमरोल पहुंचना हो तो वाया भौर धमरोल पंचायत घर की दूरी सात किलोमीटर है. आबादी करीब 10 हजार के आसपास है. भगौलिक परिस्थितियां और पंचायत मुख्यालय से दूरी और आबादी के आधार पर ही जोल को पंचायत बनाने की मांग उठती रही है.

जंगली रास्ता होने पर हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहा है. बसें भी समय-समय पर ही चलती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मांग के बाबजूद भी अलग पंचायत बनाने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे ग्रामीणों में रोष है. जल्द ही रणनीति बनाकर अलग पंचायत के मसले को मुख्यमंत्री व पंचायती राज मंत्री के समक्ष उठाया जाएगा.

भोरंज: उपमंडल भोरंज की ग्राम पंचायत धमरोल का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को थाना कलां में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर से मिला. पंचायत प्रतिनिधिमंडल ने वीरेंद्र कंवर से कहा कि धमरोल पंचायत की आबादी करीब 6000 है और यहां पर 3890 मतदाता हैं.

ऐसे में इतनी बड़ी पंचायत की दो अलग-अलग पंचायतें बनाई जाएं. जन कल्याण समिति कुलदीप चंद की अगुवाई में ग्राम पंचायत धमरोल के 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जोल, कोहटा, सरसोहली और दर गांवों को अलग करके दूसरी पंचायत बनाने की मांग की.

लोगों ने कहा कि ये गांव चारों ओर जंगल से घिरे हैं. वहीं, पंचायत कार्यालय भी इन गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर है. पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने प्रतिनिधिमंडल की बात को ध्यान से सुना और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.

बता दें कि पिछले कई सालों से जोल, कोहटा, दर और सरसोली अलग पंचायत की मांग कर रहे हैं. ये ग्रामीण धमरोल पंचायत में आते हैं. वहां, के ग्रामीणों ने जागृति एबं जनकल्याण समिति ग्राम सुधार जोल के प्रधान कुलदीप चंद की अध्यक्षता में हमीरपुर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा, जिसमें धमरोल-2 अलग पंचायत बनाने की मांग की गई.

पिछली पंचायती राज विभाग की तरफ से नई बनने वाली जिन पंचायतों की लिस्ट मे जोल का नाम शामिल नहीं था. जोल को धमरोल-2 पंचायत बनाए जाने की मांग करीब एक दशक पुरानी है.

इस मांग को लेकर जोल, कोहटा, दर और सरसोली के ग्रामीणों ने दिसम्बर 2005 में हुए पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था, लेकिन नेताओं के आश्वासन पर ऐसा हो न सका. हालांकि करीब 7-8 वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने इस संबंध में सारी औपचारिकताएं पूरी कर मामला आगे भेज दिया था, लेकिन पहले डी-लिमिटेशन और बाद में चुनाव आचार संहिता के कारण जोल को पंचायत का दर्जा हासिल न हो सका. जोल को धमरोल पंचायत का डोडरा क्वार भी कहा जाता है.

यह गांव चारों ओर से जंगल से घिरा है. पूर्व हिस्से में इसकी सीमा मंडी जिला से लगती है, जहां से सीर खड्ड बहती है. पश्चिमी ओर को धमरोल पंचायत मुख्यालय पहुंचने से पहले ग्रामीणों को चैंथ खड्ड पार करनी पड़ती है. इसके बगल में दर, सरसोली, कोहटा गांव पड़ते हैं और यदि सड़क मार्ग से धमरोल पहुंचना हो तो वाया भौर धमरोल पंचायत घर की दूरी सात किलोमीटर है. आबादी करीब 10 हजार के आसपास है. भगौलिक परिस्थितियां और पंचायत मुख्यालय से दूरी और आबादी के आधार पर ही जोल को पंचायत बनाने की मांग उठती रही है.

जंगली रास्ता होने पर हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहा है. बसें भी समय-समय पर ही चलती हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मांग के बाबजूद भी अलग पंचायत बनाने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे ग्रामीणों में रोष है. जल्द ही रणनीति बनाकर अलग पंचायत के मसले को मुख्यमंत्री व पंचायती राज मंत्री के समक्ष उठाया जाएगा.

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