भोरंज/हमीरपुर: उपमण्डल भोरंज में पांच घंटे सिविल अस्पताल भोरंज के गेट पर बिताने वाले कोरोना पॉजिटिव दंपति की पुकार जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने सुन ली है. दंपति को कोविड अस्पताल हमीरपुर शिफ्ट किया गया है.
बता दें कि शनिवार सुबह कोरोना संक्रमित टैक्सी चालक के घर एंबुलेंस भेजकर उन्हें कोविड-19 अस्पताल हमीरपुर में शिफ्ट कर दिया है. गांव लडवीं का रहने वाला टैक्सी चालक कुछ दिन से बीमार था. वह शुक्रवार को अपनी पत्नी सहित भोरंज अस्पताल में इलाज के लिए आया था. टैक्सी चालक को बुखार, सांस लेने में समस्या और मधुमेह की बीमारी है. भोरंज अस्पताल में टैक्सी चालक की चेकअप के दौरान डॉक्टर ने उन्हें पहले कोविड-19 टेस्ट करवाने के लिए कहा था.
सिविल अस्पताल के गेट पर बैठे रहे कोरोना संक्रमित
सैंपल टेस्टिंग के दौरान टैक्सी चालक और उसकी पत्नी दोनों कोरोना संक्रमित निकले. ऐसे में डॉक्टरों ने उन्हें दोपहर में दवाइयों की किट देकर घर होम आइसोलेशन में रहने के लिए कहा था, लेकिन उनके पास कोई निजी वाहन नहीं था, जिसके चलते दंपति ने अस्पताल प्रशासन से उन्हें घर छोड़ने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने की मांग की थी. वहीं, अस्पताल प्रशासन ने उन्हें एंबुलेंस की सुविधा न होने का हवाला दिया. इसके चलते संक्रमित पति-पत्नी अस्पताल गेट पर शाम साढ़े पांच बजे तक बैठा रहे. शाम करीब पौने छह बजे दोनों एक ट्राला के पीछे बैठ घर पहुंचे.
शनिवार को कोविड अस्पताल हमीरपुर किया गया शिफ्ट
हलांकि दंपति ने जिला प्रशासन से भी सम्पर्क करने की कोशिश की. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की नींद खुली. शनिवार सुबह टैक्सी चालक को हमीरपुर कोविड अस्पताल शिफ्ट किया. टैक्सी चालक ने कहा कि रात को सांस लेने और बुखार की समस्या हो गई थी, शनिवार करीब सुबह 11 बजे उन्हें एंबुलेंस से हमीरपुर कोविड अस्पताल शिफ्ट किया गया. यहां ऑक्सीजन भी लगाई गई और अन्य टेस्ट भी किए गए हैं. उधर इस बारे भोरंज अस्पताल बीएमओ डॉ ललित कालिया ने कहा कि करोना संक्रमित व्यक्ति की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जिला कोविड-19 अस्पताल हमीरपुर में शिफ्ट कर दिया गया है.
परिजनों ने आने से कर दिया था इंकार
जिला के भोरंज सिविल अस्पताल में लडवीं गांव के दंपति कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद दोनों ट्राले में घर पहुंचाने के मामले में नया खुलासा हुआ है. ईटीवी भारत ने इस मामले में जब डीसी हमीरपुर देवश्वेता बनिक से बातचीत की उनका कहना था कि इन मरीजों के परिजनों को इस बारे में सूचना दी गई थी, लेकिन उन्हें देने के लिए कोई भी आगे नहीं आया. इस पर बीएमओ ने उनको घर पहुंचाने के लिए प्रबंध किया.
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