हमीरपुर: कोरोना संकट में हर वर्ग के कर्मचारी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, लेकिन कुछ वर्गों के अब धीरे-धीरे हालात सुधरने लगे हैं. वहीं, ट्रांसपोर्ट से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों की हालात सुधरने के बजाए बिगड़ती जा रही है.
इन कर्मचारियों का लोहड़ी का त्यौहार भी फीका ही रहा है. ईटीवी भारत ने बुधवार को बस स्टैंड हमीरपुर इस व्यवसाय से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों से बातचीत की और उनके हालात ही जाने.
एचआरटीसी बस के परिचालक विनोद ने कहा कि लोहड़ी पर्व है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिला है. पिछले महीने भी वेतन में लेट मिला था. माता-पिता से पैसे लेकर गुजारा करना पड़ रहा है.
निजी बस के परिचालक का विकास का कहना है कि वेतन तो दूर की बात है वह कमीशन पर ही अब काम कर रहे हैं, लेकिन कमीशन तो तभी मिलेगी जब बस का तेल खर्च पूरा होगा. एचआरटीसी बस के चालक का रामलाल का कहना है कि वेतन पिछले महीने भी लेट ही मिला था जिस वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
'बस मालिक की तरफ से दिहाड़ी दी जाती है'
निजी बस के परिचालक का दिनेश का कहना है कि बस मालिक की तरफ से दिहाड़ी दी जाती है, लेकिन यह सब बस पर होने वाली रोजाना सेल पर निर्भर करता है. एचआरटीसी बस के चालक रमेश चंद का कहना है कि पिछले महीने भी वेतन बहुत लेट मिला था इस बार भी यही हाल है जिस वजह से त्योहार में भी उन्हें दिक्कत पेश आ रही है.
'कर्मचारियों के वेतन का कोई मैसेज ही नहीं आया'
बस अड्डा हमीरपुर के प्रभारी देवराज का कहना है कि अभी तक उन्हें कर्मचारियों के वेतन का कोई मैसेज ही नहीं आया है और ना ही कोई लिमिट आई है इस बारे में उन्होंने अधीक्षक से बात की थी उम्मीद है कि एक हफ्ता 2 दिन में वेतन मिल जाएगा.
आपको बता दें कि कोरोना संकटकाल में लगातार परिवहन के पेशे से जुड़े जिन कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है पहले एक तरफ जहां ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद था तो वहीं, लॉकडाउन खुलने के बाद भी हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.