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निवेश के बहाने बड़े औद्योगिक घरानों के पास संसाधनों को गिरवी रखने की तैयारी में जयराम सरकार: राणा

आरोप लगाते हुए विधायक राजेंद्र राणा ने जयराम सरकार आए दिन हिमाचल में एक लाख करोड़ के नए निवेश का एमओयू साइन होने का दावा कर रही है. हकीकत यह है कि निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गिरवी रखने का षड्यंत्र रचा जा रहा है.

कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा (फाइल फोटो)
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Published : Aug 17, 2019, 10:58 PM IST

हमीरपुर: विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार पर निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन को बेचने और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गरीबी रखने के आरोप लगाए हैं. राणा का कहना है कि हिमाचल ऑन सेल की तैयारी में बैठी सरकार सैर सपाटे में व्यस्त हैं, जबकि प्रदेश की आर्थिक हालत खराब हो गई है.

आरोप लगाते हुए विधायक ने कहा कि जयराम सरकार आए दिन हिमाचल में एक लाख करोड़ के नए निवेश का एमओयू साइन होने का दावा कर रही है. हकीकत यह है कि निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गिरवी रखने का षड्यंत्र रचा जा रहा है.

प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां स्थापित होना अच्छी बात है, लेकिन एमओयू में हिमाचली हितों को दरकिनार कर बिल्डरों और बड़े उद्योगपतियों को ही लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा व नीयत गलत है. इसे कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी. हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा. 10 साल के लिए हिमाचल को औद्योगिक पैकेज मिल चुका है.

इसमें 25 हजार करोड़ का निवेश हुआ था, लेकिन वर्तमान में कई उद्योगपति औद्योगिक इकाइयां बंद कर प्रदेश से पलायन कर चुके हैं. ऐसे में जयराम सरकार को औद्योगिक घरानों को यहां पेश आ रही समस्याओं और परेशानियों को समझकर उन्हें दूर करने की दिशा में भी कदम उठाने चाहिए थे. प्रदेश में धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. सरकार आए दिन लोन लेकर प्रदेश को कर्ज के बोझ तले डुबो रही है.

ये भी पढ़ें- मानसून सत्र 19 से: कांग्रेस करेगी सवालों की बौछार, सत्तापक्ष भी पलटवार को तैयार

हमीरपुर: विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार पर निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन को बेचने और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गरीबी रखने के आरोप लगाए हैं. राणा का कहना है कि हिमाचल ऑन सेल की तैयारी में बैठी सरकार सैर सपाटे में व्यस्त हैं, जबकि प्रदेश की आर्थिक हालत खराब हो गई है.

आरोप लगाते हुए विधायक ने कहा कि जयराम सरकार आए दिन हिमाचल में एक लाख करोड़ के नए निवेश का एमओयू साइन होने का दावा कर रही है. हकीकत यह है कि निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गिरवी रखने का षड्यंत्र रचा जा रहा है.

प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां स्थापित होना अच्छी बात है, लेकिन एमओयू में हिमाचली हितों को दरकिनार कर बिल्डरों और बड़े उद्योगपतियों को ही लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा व नीयत गलत है. इसे कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी. हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा. 10 साल के लिए हिमाचल को औद्योगिक पैकेज मिल चुका है.

इसमें 25 हजार करोड़ का निवेश हुआ था, लेकिन वर्तमान में कई उद्योगपति औद्योगिक इकाइयां बंद कर प्रदेश से पलायन कर चुके हैं. ऐसे में जयराम सरकार को औद्योगिक घरानों को यहां पेश आ रही समस्याओं और परेशानियों को समझकर उन्हें दूर करने की दिशा में भी कदम उठाने चाहिए थे. प्रदेश में धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. सरकार आए दिन लोन लेकर प्रदेश को कर्ज के बोझ तले डुबो रही है.

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Intro:निवेश के बहाने बड़े औद्योगिक घरानों के पास प्रदेश के संसाधनों को गिरवी रखने की तैयारी में जयराम सरकार:राणा
हमीरपुर.
जिला के विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से कांग्रेसी विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार पर निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन को बेचने और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गरीबी रखने के आरोप लगाए हैं. राणा का कहना है कि हिमाचल ऑन सेल की तैयारी में बैठी सरकार सैर सपाटे में व्यस्त है, जबकि प्रदेश की आर्थिक हालत खराब हो गई है।
आरोप लगाते हुए विधायक ने जयराम सरकार आए दिन हिमाचल में एक लाख करोड़ के नए निवेश का एमओयू साइन होने का दावा कर रही है। हकीकत यह है कि निवेश के बहाने प्रदेश की जमीन और संसाधनों को बड़े औद्योगिक घरानों के पास गिरवी रखने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां स्थापित होना अच्छी बात है, लेकिन एमओयू में हिमाचली हितों को दरकिनार कर बिल्डरों और बड़े उद्योगपतियों को ही लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा व नीयत गलत है। इसे कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी। हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा। 10 साल के लिए हिमाचल को औद्योगिक पैकेज मिल चुका है।

इसमें 25 हजार करोड़ का निवेश हुआ था, लेकिन वर्तमान में कई उद्योगपति औद्योगिक इकाइयां बंद कर प्रदेश से पलायन कर चुके हैं। ऐसे में जयराम सरकार को औद्योगिक घरानों को यहां पेश आ रही समस्याओं और परेशानियों को समझकर उन्हें दूर करने की दिशा में भी कदम उठाने चाहिए थे। प्रदेश में धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है। सरकार आए दिन लोन लेकर प्रदेश को कर्ज के बोझ तले डुबो रही है।  


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