हमीरपुर: हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने 100 दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया है. 100 दिन के कार्यकाल में रोजगार एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. सरकार के गठन के महज 15 दिन के भीतर ही कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में पेपर लीक का भंडाफोड़ विजिलेंस ने किया. जांच के दौरान पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के 3 साल की भर्तियों में भ्रष्टाचार सामने आया. प्रदेश कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया. हिमाचल में 900 के लगभग संस्थान सरकार ने डिनोटिफाई किए.
विपक्ष ने इन संस्थानों को डिनोटिफाई करने का विरोध किया, लेकिन इन सबके बीच में कर्मचारी चयन आयोग को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भंग करने का ऐलान किया. डिनोटिफाई पर प्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच प्रदेश सरकार ने आयोग को लेकर यह बड़ा फैसला लिया था. सरकारी नौकरी की भर्तियों में धांधली सामने आने पर लोगों का खोया विश्वास फिर से सरकारी तंत्र में जागे इसके लिए सरकार के यह प्रयास सराहे गए. 100 दिन के कार्यकाल के भीतर हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरी की सबसे बड़ी भर्ती एजेंसी कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में लोगों का विश्वास जगाने के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई बड़े निर्णय लिए.
सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद अभी तक इस मामले में बड़े मास्टरमाइंड अथवा व्हाइट कॉलर अधिकारियों को पकड़ने में विजिलेंस ने हिम्मत नहीं दिखाई है, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से इस मामले में कतई भी लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए गए हैं. 100 दिन के भीतर सरकार ने आयोग को तो भंग कर दिया, लेकिन अभी तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. हिमाचल प्रदेश लोक सेवा चयन आयोग को फिलहाल यह जिम्मा सरकार की तरफ से दिया गया है, लेकिन अदालती मामलों के बीच भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है.
पहले आयोग की फंगक्शनिंग को किया सस्पेंड, फिर किया भंग- हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में 23 दिसंबर 2022 को पेपर लीक प्रकरण सामने आया था. इस प्रकरण के सामने आने के बाद कर्मचारी चयन आयोग की गोपनीय शाखा में तैनात महिला कर्मचारी उमा आजाद को मुख्य आरोपी बनाया गया था, बाद में इस मामले में कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व सचिव जितेंद्र पर अभियोग चलाने की मंजूरी 1 मार्च को सरकार की तरफ से दी गई. हालांकि इससे पहले कर्मचारी चयन आयोग की फंगक्शनिंग को सस्पेंड किया गया और बाद में इसे भंग कर दिया गया.
इन दोनों बड़े निर्णय के बाद प्रदेश सरकार की तरफ से आयोग के पूर्व सचिव के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी मिली तो विजिलेंस ने जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 965 पेपर लीक प्रकरण की एफआईआर में उनका नाम भी जोड़ा गया. अभी तक इस मामले में कुल 4 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और एक दर्जन के लगभग पोस्ट कोड की भर्ती प्रक्रिया में धांधली सामने आई है.
आयोग भंग लेकिन 61 कर्मचारियों का माई-बाप कौन?- कर्मचारी चयन आयोग को भंग करने के बाद सरकार की तरफ से ओएसडी तैनात किया गया हैं, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अनुपम ठाकुर को यह अतिरिक्त जिम्मा दिया गया है. लेकिन कर्मचारी चयन आयोग के 61 कर्मचारियों की जिम्मेवारी तय नहीं की गई है कि वह क्या करेंगे और किसको रिपोर्ट करेंगे. पिछले लगभग 3 महीने से यह कर्मचारी रोजाना कर्मचारी चयन आयोग के कार्यालय के बाहर पहुंच रहे हैं, लेकिन ना तो इन्हें अंदर एंट्री मिल रही है और ना ही इनसे अन्य किसी विभाग और कार्यालय में कोई काम लिया जा रहा है. बिना काम के यह कर्मचारी 3 महीने से भंग किए जा चुके आयोग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और वेतन के भुगतान को लेकर भी इन्हें दिक्कतें पेश आ रही हैं.
भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए सड़कों पर उतरे युवा- भंग किए गए कर्मचारी चयन आयोग के कामकाज को शीघ्र शुरू करने की मांग को लेकर विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के अभ्यर्थी अब सड़कों पर उतर आए हैं. हमीरपुर जिला मुख्यालय से पिछले दिनों छात्र सत्याग्रह का आगाज किया गया था. इन अभ्यर्थियों ने शिमला जाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात की और आयोग के तहत आयोजित की गई. विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के नतीजे शीघ्र घोषित करने की मांग भी उठाई. युवाओं का स्पष्ट कहना है कि कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से शीघ्र अति शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सकती है. इसके लिए कोई अन्य एजेंसी कार्य नहीं कर सकती है. ऐसे में आयोग को एक बार फिर से शुरू करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में 7000 पदों पर सरकारी नौकरी पर विराम, अदालत में सैकड़ों मामले विचाराधीन