हमीरपुर: नगर परिषद हमीरपुर में विकास कार्य में हुए भ्रष्टाचार के मामले में नए सिरे से जांच के लिए एक बार फिर सीआईडी की टीम हमीरपुर शहर पहुंच गई है. इस मामले में सीआईडी की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट से हमीरपुर न्यायालय संतुष्ट नहीं हुआ था.
अब न्यायालय ने सीआईडी क्राइम को शिकायतकर्ता की ओर से सौंपी गई शिकायत में शामिल विभिन्न बिंदुओं की नए सिरे से जांच कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी किए हैं. न्यायालय के आदेशों के बाद सीआईडी शिमला से एडिशनल एसपी विनोद कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम हमीरपुर पहुंच गई है.
नगर परिषद के ईओ किशोरी लाल ठाकुर ने कहा कि गुरुवार को उनके पास सीआईडी के कुछ अधिकारी भ्रष्टाचार से संबंधित एक मामले में पूछताछ के लिए आए थे, लेकिन यह मामला नगर परिषद के पिछले कार्यकाल का है. उस दौरान वे हमीरपुर में सेवारत नहीं थे.
सीआईडी की टीम ने शुक्रवार को इस मामले में नगर परिषद हमीरपुर के ईओ किशोरी लाल से भी पूछताछ की, लेकिन ईओ ने बताया कि यह मामला उनसे पहले का है. इस बारे में संबंधित वार्ड के पार्षद और लोग ही अधिक जानकारी प्रदान कर सकते हैं. अब सीआईडी संबंधित वार्ड के बाशिंदों, ठेकेदारों और पूर्व पार्षदों से दोबारा इस मामले में पूछताछ कर सकती है. जांच रिपोर्ट में विकास कार्यों के बिना टेंडर के साबित होने पर पूर्व पार्षदों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है.
वर्ष 2011 से 2015 में नगर परिषद में वार्ड नंबर चार में पेवर ब्लॉक और दुगनेड़ी स्थित ठोस कचरा प्रबंधन प्लॉट सड़क मार्ग पर टारिंग को लेकर तीन अलग-अलग ठेकेदारों को दस लाख रुपये की लागत से होने वाले कार्य सौंपे गए. इनमें से एक महिला पार्षद का पति भी ठेके में शामिल था, जबकि कानून के मुताबिक किसी भी जनप्रतिनिधि या नगर परिषद के कर्मचारी का कोई रिश्तेदार टेंडर हासिल नहीं कर सकता.
बिना टेंडर कार्य करवाने और पार्षद के पति को टेंडर सौंपने से जुड़े इस मामले की जिला प्रशासन हमीरपुर, जिला पुलिस और नगर परिषद हमीरपुर में लिखित में शिकायत हुई. शिकायत के बाद एसडीएम स्तर के अधिकारी ने इस मामले की जांच की. इसमें पाया गया कि रास्ते में पेबर ब्लॉक बिछाने का काम बिना टेंडर किया गया.
इसके साथ ही सड़क पर टारिंग का काम नहीं हुआ. साथ ही जांच में यह भी पाया गया कि ठेकेदार एक महिला पार्षद का पति है. इसके चलते तीनों ही निर्माण कार्यों की पेमेंट न करने के आदेश जारी हुए, लेकिन नगर परिषद के कुछ पार्षदों ने प्रस्ताव पारित कर तीनों ठेकेदारों को भुगतान कर दिया.
नगर परिषद की पूर्व वाइस चेयरमैन जितेंद्र शर्मा समेत कुछ पार्षदों ने इसका विरोध भी किया. इसी बीच मामले की जांच सीआईडी को सौंपी दी गई. सीआईडी ने जांच रिपोर्ट में कहा कि कार्य करने वाला ठेकेदार एक महिला पार्षद का पति है, लेकिन शेष कार्य हुए हैं.
बताया जा रहा है कि इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश कर दी गई, लेकिन शिकायकर्ता ने आपत्ति जताते हुए दोबारा कोर्ट में अर्जी दे दी. इस पर जिला न्यायालय ने अब दोबारा सभी बिंदुओं पर जांच करने के आदेश जारी किए हैं.
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