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लोगों के मानसिक तनाव को दूर करने के साथ बागवानों की आर्थिक सेहत सुधारेगा एवोकाडो, जानिए इसकी खासियत

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Published : Mar 2, 2021, 9:47 PM IST

मानसिक तनाव से राहत देने वाला मैक्सिकन फल एवोकाडो हिमाचल के निचले क्षेत्रों में उगाया जाएगा. अनुसंधान के दृष्टि से केंद्रीय उद्यान अनुसंधान केंद्र चेताली कर्नाटक के 500 पौधे हिमाचल को दिए गए हैं. हिमाचल में इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं. सरकार की यह मुहिम अगर रंग लाती है तो हिमाचल के बागवानों के लिए यह आर्थिकी की दृष्टि से प्रदान साबित होगी.

avcado fruit in Himachal pradesh
हिमाचल प्रदेश में एवोकाडो फल

हमीरपुरः मानसिक तनाव से राहत देने वाला मैक्सिकन फल एवोकाडो (Avocado) हिमाचल के निचले क्षेत्रों में उगाया जाएगा. उत्तरी अमेरिका में बहुतायत में पाए जाने वाले इस फल में औषधीय गुण तो हैं, ही लेकिन यह एकमात्र ऐसा अकेला फल है जिसके सेवन से मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है. भागदौड़ भरी इस जिंदगी में हर दूसरा व्यक्ति तनाव से ग्रस्त है. ऐसे में हिमाचल में इस फल की पैदावार होने से जहां एक तरफ लोगों को तनाव से मुक्ति के लिए फल मिलेगा. तो वहीं, दूसरी ओर बागवानों के लिए आमदनी का एक अच्छा जरिया भी उपलब्ध होगा. उद्यान विकास परियोजना के तहत हिमाचल में इसके 500 से अधिक पौधे लगाए जाएंगे विभाग की दर्जनों नर्सरी में इन पौधों को तैयार किया जा रहा है.

उद्यान विभाग की नर्सरी में की जा रही पौधों की हार्डनिंग

अनुसंधान के दृष्टि से केंद्रीय उद्यान अनुसंधान केंद्र चेताली कर्नाटक के 500 पौधे हिमाचल को दिए गए हैं. इन पौधों की हार्डनिंग उद्यान विभाग की नर्सरी में की जा रही है. इस प्रक्रिया में पौधों को धीरे-धीरे विकसित कर प्रकृति में डाला जाता है, ताकि स्थानीय पर्यावरण के हिसाब से पौधे विकसित हो सके. यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो निचले हिमाचल के बागवानों के लिए यह वरदान साबित होगा. ऐसा नहीं है कि यह बहुत मुश्किल है क्योंकि हमीरपुर जिला के दो बागवानों ने इसका सफल प्रयोग कर भी लिया है.

विशेष रिपोर्ट.

आठ वर्षों से की जा रही एवोकाडो की पैदावार

हमीरपुर शहर में चिकित्सकों का एक परिवार पिछले सात-आठ वर्षों से एवोकाडो की पैदावार कर रहा है. डॉक्टर आरती चौहान और उनके पति डॉक्टर अनिल चौहान के घर के आंगन के बगीचे में ही एवोकाडो के दो छोटे पौधे और एक बड़ा पेड़ है. यह परिवार हर साल 20 से 30 किलो फसल की पैदावार एक पेड़ से हासिल कर रहा है यह पेड़ लगभग 12 साल का है.

औषधीय गुणों के लिए मशहूर है एवोकाडो

डॉक्टर आरती चौहान का कहना है कि उन्होंने सोलन से अपने रिश्तेदार के यहां से एवोकाडो का एक पौधा करीब 12 साल पहले लाया था. 7 साल बाद इस पेड़ में फल देना शुरू किए. अगस्त माह में हर साल पौधे इस पेड़ पर फल लगते हैं. इन दिनों पेड़ पर फ्लावरिंग होना भी शुरू हो गई है. डॉक्टर आरती का कहना है कि उनकी बेटी ने इस पेड़ के बीज से ही दो और पौधे तैयार कर लिए हैं. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल डॉ अनिल चौहान का कहना है कि अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर यह फल सिर्फ कैंसर और अन्य लोगों पर कारगर होने के साथ ही तनाव से मुक्ति देने में भी काफी लाभकारी है. विभिन्न शोध में यह पाया गया है कि यह इकलौता ऐसा फल है, जो मानसिक तनाव से मुक्ति देता है.

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फोटो.

डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से एवोकाडो हुआ तैयार

नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 11 के लाहलड़ी गांव के प्रगतिशील बागवान प्रविन्द्र कुमार ने एवोकाडो पौधा तैयार करने में सफलता हासिल की है. डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से एवोकाडो पौधों को तैयार किया है. प्रविन्द्र कुमार ने बताया कि अपने भाई से एवोकाडो के पौधे लिए थे और घर के साथ लगाए थे, लेकिन कुछ दिनों पहले ओलावृष्टि में भी कुछ पौधे खराब हुए. फिर भी कुछ पौधे सफल हो पाए हैं और अच्छी हालत में हैं. उन्होंने बताया कि एवोकाडो की नर्सरी भी तैयार हो रही है. बागवान प्रविन्द्र कुमार के एवोकाडो पौधे को उगाए जाने पर लोगों ने भी खुशी जाहिर की है. स्थानीय निवासी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एवोकाडो फल हमीरपुर में मिलेगा और प्रविन्द्र की मेहनत रंग लाई है.

विभिन्न बीमारियों से बचाव

एवोकाडो फल खाने से कैंसर, मधुमेह, वजन घटाने, दिल की बीमारी, ताकत, ब्लड प्रेशर, विटामिन-ए और विटामिन-बी और विटामिन-ई के साथ फाइबर मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होता है. एवोकाडो एक पॉपुलर सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है.

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फोटो.

हिमाचल को एवोकाडो के 500 पौधे

जिला उद्यान विभाग की खंड विकास अधिकारी मोना सिंह का कहना है कि एवोकाडो पौधे के बहुत फायदे हैं और इसके प्रयोग से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि एवोकाडो मैक्सिको में पाया जाता है और हिमाचल में भी अब कई बागवान इसको उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग के आगामी दिनों में एवोकाडो पौधों को उगाने के लिए काम करने जा रहा है, ताकि बागवान इससे लाभान्वित हो सकें. केंद्रीय उद्यान अनुसंधान केंद्र चेताली कर्नाटक के 500 पौधे हिमाचल को अनुसंधान के दृष्टि से दिया गया है. इन पौधों की हार्डनिंग उद्यान विभाग की नर्सरियों में की जा रही है. हमीरपुर जिला को 10 प्राप्त हुए हैं.

वैज्ञानिक नाम: पर्सिया अमरीकाना

एवोकाडो को वैज्ञानिक भाषा में पर्सिया अमरीकाना कहा जाता है. माना जाता है कि इस खास फल की उत्पत्ति लगभग सात हजार साल पहले दक्षिणी मैक्सिको और कोलंबिया में हुई थी. यह एक बड़े आकार का बेरी की तरह दिखने वाला गूदेदार फल है, जिसके बीच एक बड़ा बीज मौजूद रहता है. खास बड़े आकार के कारण ही इसे एलीगेटर पियर्स के नाम से भी जाना जाता है. विश्व भर में इसकी कई किस्में प्रचलित हैं, जिनमें से हास एवोकाडो सबसे लोकप्रिय है. पोषक तत्वों के मामले में हास एवोकाडो सबसे खास है. इसलिए इसकी खेती विश्व के कई देशों में की जाती है.

रंग लाएगी सरकार की मुहिम!

निचले हिमाचल में बागवानी की दृष्टि से वर्तमान समय में कोई खास कार्य नहीं किया जा रहा है. लोग बागवानी से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं. ऐसे में सरकार ऊपरी हिमाचल की तरह ही लोगों को बागवानी से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में मैक्सिकन फ्रूट एवोकाडो को पैदा करने के लिए भी बागवानों को प्रेरित किया जा रहा है. यदि सरकार की यह मुहिम रंग लाती है, तो बागवानों को इस फल के बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे.

बाहरी देशों से भी आयात किया जाता है एवोकाडो

देश के कई राज्यों में यहां फलक 500 से 700 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस फल को बाहरी देशों से भी आयात किया जाता है जबकि देश के कई राज्यों में थोड़ी बहुत मात्रा में इसकी पैदावार भी हो रही है, लेकिन बड़े स्तर पर इसकी पैदावार के लिए अभी तक किसी भी राज्य को सफलता नहीं मिली है. ऐसे में अब हिमाचल में इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं. सरकार की यह मुहिम अगर रंग लाती है तो हिमाचल के बागवानों के लिए यह आर्थिकी की दृष्टि से प्रदान साबित होगी.

ये भी पढ़ें- पालमपुर में बनेगा शिप एंड गोट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

हमीरपुरः मानसिक तनाव से राहत देने वाला मैक्सिकन फल एवोकाडो (Avocado) हिमाचल के निचले क्षेत्रों में उगाया जाएगा. उत्तरी अमेरिका में बहुतायत में पाए जाने वाले इस फल में औषधीय गुण तो हैं, ही लेकिन यह एकमात्र ऐसा अकेला फल है जिसके सेवन से मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है. भागदौड़ भरी इस जिंदगी में हर दूसरा व्यक्ति तनाव से ग्रस्त है. ऐसे में हिमाचल में इस फल की पैदावार होने से जहां एक तरफ लोगों को तनाव से मुक्ति के लिए फल मिलेगा. तो वहीं, दूसरी ओर बागवानों के लिए आमदनी का एक अच्छा जरिया भी उपलब्ध होगा. उद्यान विकास परियोजना के तहत हिमाचल में इसके 500 से अधिक पौधे लगाए जाएंगे विभाग की दर्जनों नर्सरी में इन पौधों को तैयार किया जा रहा है.

उद्यान विभाग की नर्सरी में की जा रही पौधों की हार्डनिंग

अनुसंधान के दृष्टि से केंद्रीय उद्यान अनुसंधान केंद्र चेताली कर्नाटक के 500 पौधे हिमाचल को दिए गए हैं. इन पौधों की हार्डनिंग उद्यान विभाग की नर्सरी में की जा रही है. इस प्रक्रिया में पौधों को धीरे-धीरे विकसित कर प्रकृति में डाला जाता है, ताकि स्थानीय पर्यावरण के हिसाब से पौधे विकसित हो सके. यदि यह प्रयोग सफल रहता है, तो निचले हिमाचल के बागवानों के लिए यह वरदान साबित होगा. ऐसा नहीं है कि यह बहुत मुश्किल है क्योंकि हमीरपुर जिला के दो बागवानों ने इसका सफल प्रयोग कर भी लिया है.

विशेष रिपोर्ट.

आठ वर्षों से की जा रही एवोकाडो की पैदावार

हमीरपुर शहर में चिकित्सकों का एक परिवार पिछले सात-आठ वर्षों से एवोकाडो की पैदावार कर रहा है. डॉक्टर आरती चौहान और उनके पति डॉक्टर अनिल चौहान के घर के आंगन के बगीचे में ही एवोकाडो के दो छोटे पौधे और एक बड़ा पेड़ है. यह परिवार हर साल 20 से 30 किलो फसल की पैदावार एक पेड़ से हासिल कर रहा है यह पेड़ लगभग 12 साल का है.

औषधीय गुणों के लिए मशहूर है एवोकाडो

डॉक्टर आरती चौहान का कहना है कि उन्होंने सोलन से अपने रिश्तेदार के यहां से एवोकाडो का एक पौधा करीब 12 साल पहले लाया था. 7 साल बाद इस पेड़ में फल देना शुरू किए. अगस्त माह में हर साल पौधे इस पेड़ पर फल लगते हैं. इन दिनों पेड़ पर फ्लावरिंग होना भी शुरू हो गई है. डॉक्टर आरती का कहना है कि उनकी बेटी ने इस पेड़ के बीज से ही दो और पौधे तैयार कर लिए हैं. मेडिकल कॉलेज हमीरपुर से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल डॉ अनिल चौहान का कहना है कि अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर यह फल सिर्फ कैंसर और अन्य लोगों पर कारगर होने के साथ ही तनाव से मुक्ति देने में भी काफी लाभकारी है. विभिन्न शोध में यह पाया गया है कि यह इकलौता ऐसा फल है, जो मानसिक तनाव से मुक्ति देता है.

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डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से एवोकाडो हुआ तैयार

नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 11 के लाहलड़ी गांव के प्रगतिशील बागवान प्रविन्द्र कुमार ने एवोकाडो पौधा तैयार करने में सफलता हासिल की है. डेढ़ साल की कड़ी मेहनत से एवोकाडो पौधों को तैयार किया है. प्रविन्द्र कुमार ने बताया कि अपने भाई से एवोकाडो के पौधे लिए थे और घर के साथ लगाए थे, लेकिन कुछ दिनों पहले ओलावृष्टि में भी कुछ पौधे खराब हुए. फिर भी कुछ पौधे सफल हो पाए हैं और अच्छी हालत में हैं. उन्होंने बताया कि एवोकाडो की नर्सरी भी तैयार हो रही है. बागवान प्रविन्द्र कुमार के एवोकाडो पौधे को उगाए जाने पर लोगों ने भी खुशी जाहिर की है. स्थानीय निवासी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एवोकाडो फल हमीरपुर में मिलेगा और प्रविन्द्र की मेहनत रंग लाई है.

विभिन्न बीमारियों से बचाव

एवोकाडो फल खाने से कैंसर, मधुमेह, वजन घटाने, दिल की बीमारी, ताकत, ब्लड प्रेशर, विटामिन-ए और विटामिन-बी और विटामिन-ई के साथ फाइबर मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होता है. एवोकाडो एक पॉपुलर सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है.

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हिमाचल को एवोकाडो के 500 पौधे

जिला उद्यान विभाग की खंड विकास अधिकारी मोना सिंह का कहना है कि एवोकाडो पौधे के बहुत फायदे हैं और इसके प्रयोग से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि एवोकाडो मैक्सिको में पाया जाता है और हिमाचल में भी अब कई बागवान इसको उगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग के आगामी दिनों में एवोकाडो पौधों को उगाने के लिए काम करने जा रहा है, ताकि बागवान इससे लाभान्वित हो सकें. केंद्रीय उद्यान अनुसंधान केंद्र चेताली कर्नाटक के 500 पौधे हिमाचल को अनुसंधान के दृष्टि से दिया गया है. इन पौधों की हार्डनिंग उद्यान विभाग की नर्सरियों में की जा रही है. हमीरपुर जिला को 10 प्राप्त हुए हैं.

वैज्ञानिक नाम: पर्सिया अमरीकाना

एवोकाडो को वैज्ञानिक भाषा में पर्सिया अमरीकाना कहा जाता है. माना जाता है कि इस खास फल की उत्पत्ति लगभग सात हजार साल पहले दक्षिणी मैक्सिको और कोलंबिया में हुई थी. यह एक बड़े आकार का बेरी की तरह दिखने वाला गूदेदार फल है, जिसके बीच एक बड़ा बीज मौजूद रहता है. खास बड़े आकार के कारण ही इसे एलीगेटर पियर्स के नाम से भी जाना जाता है. विश्व भर में इसकी कई किस्में प्रचलित हैं, जिनमें से हास एवोकाडो सबसे लोकप्रिय है. पोषक तत्वों के मामले में हास एवोकाडो सबसे खास है. इसलिए इसकी खेती विश्व के कई देशों में की जाती है.

रंग लाएगी सरकार की मुहिम!

निचले हिमाचल में बागवानी की दृष्टि से वर्तमान समय में कोई खास कार्य नहीं किया जा रहा है. लोग बागवानी से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं. ऐसे में सरकार ऊपरी हिमाचल की तरह ही लोगों को बागवानी से जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में मैक्सिकन फ्रूट एवोकाडो को पैदा करने के लिए भी बागवानों को प्रेरित किया जा रहा है. यदि सरकार की यह मुहिम रंग लाती है, तो बागवानों को इस फल के बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे.

बाहरी देशों से भी आयात किया जाता है एवोकाडो

देश के कई राज्यों में यहां फलक 500 से 700 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. इस फल को बाहरी देशों से भी आयात किया जाता है जबकि देश के कई राज्यों में थोड़ी बहुत मात्रा में इसकी पैदावार भी हो रही है, लेकिन बड़े स्तर पर इसकी पैदावार के लिए अभी तक किसी भी राज्य को सफलता नहीं मिली है. ऐसे में अब हिमाचल में इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं. सरकार की यह मुहिम अगर रंग लाती है तो हिमाचल के बागवानों के लिए यह आर्थिकी की दृष्टि से प्रदान साबित होगी.

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