हमीरपुर: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने पर देशभर में कानून जानकारों के बीच बहस शुरू हो गई है. हिमाचल में भी कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं जबकि भाजपा की तरफ से इस निर्णय को सही ठहराने के लिए लगातार बयान सामने आ रहे हैं. कांग्रेस पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष की लोकसभा सदस्यता रद्द की जाने के फैसले को हिमाचल कांग्रेस प्रवक्ता एडवोकेट रोहित शर्मा ने गैरकानूनी करार दिया है.
लोकसभा सचिवालय की तरफ से जिस अनुच्छेद और एक्ट के तहत यह आदेश जारी किए गए हैं उस को आधार बनाकर ही एडवोकेट रोहित शर्मा ने सवाल उठाए हैं. राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रदद किए जाने के मामले का आदेश गैर कानूनी है. एडवोकेट रोहित शर्मा ने कहा कि जारी आदेशों में अनुच्छेद 102 (ई) और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट का हवाला दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस सेक्शन 8 के सब सेक्शन 4 में स्पष्ट कहा गया है कि यदि इस तरह का कोई मामला आता है तो 90 दिन तक इंतजार किए जाने का प्रावधान है. 90 दिन के भीतर यदि जजमेंट के खिलाफ कोई अपील आती है तो उसके निर्णय आने तक सदस्यता रद्द नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि सेक्ट्री जनरल की तरफ से दिया गया आदेश ना तो न्याय संगत है और ना ही तर्कसंगत है.
एडवोकेट रोहित शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी से केंन्द्र सरकार को भय हो रहा है और इसी के चलते इस तरह की कार्रवाई अमल में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की बौखलाहट सदस्यता रद्द करने के फैसले के बाद जग जाहिर हुई है. एक्ट की पूरी तरह से अवहेलना है और न्यायालय में जाकर इसको निश्चित तौर पर चुनौती दी जाएगी. कानूनी तौर पर कांग्रेस पार्टी इस निर्णय को चैलेंज करेगी. इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा बौखलाहट में है.
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