ETV Bharat / state

8 साल से बिस्तर पर पड़े पिता की बेटी कर रही सेवा, आर्थिक मदद की दरकार

उपमंडल बड़सर की झंझियाणी पंचायत के तहत वार्ड नंबर 5 में मनसा राम पिछले 8 सालों से बिस्तर पर हैं. अधरंग और कई रोगों से पीड़ित मानसा राम बात भी नहीं कर पाते. बिस्तर पर ही उनको खाना खिलाने से लेकर शेष देखभाल करने का काम उनकी बेटी सुरेखा ठाकुर ही करती हैं. सुरेखा के पास न तो पिता के इलाज लायक धन है और न ही सरकार की तरफ से उनको पिता के इलाज का कोई आश्वासन मिला है. मगर सुरेखा बेटी हैं अनमोल के नारे को चरितार्थ कर रही हैं.

8-year-old father's daughter in bed in Barsar is taking care
फोटो
author img

By

Published : Jan 13, 2021, 12:44 PM IST

बड़सर/हमीरपुरः उपमंडल बड़सर की झंझियाणी पंचायत के तहत वार्ड नंबर 5 में मनसा राम पिछले 8 सालों से बिस्तर पर हैं. अधरंग और कई रोगों से पीड़ित मानसा राम बात भी नहीं कर पाते. बिस्तर पर ही उनको खाना खिलाने से लेकर शेष देखभाल करने का काम उनकी बेटी सुरेखा ठाकुर ही करती हैं. मनसा राम की पत्नी के देहांत के बाद पिछले 8 साल से इनकी बेटी सुरेखा ही इनके लिए एकमात्र सहारा है.

मात्र 8 हजार मासिक पेंशन से उनके लिए दवाई और इलाज का खर्चा नहीं हो पाता है, जिसके चलते बिना इलाज के ही मनसा राम जीवन के दिन गिन रहे हैं. सुरेखा की 3 बहनों की शादी हो चुकी है और घर में बीमार पिता का स्थायी रूप से देखभाल का जिम्मा अब सुरेखा पर ही है.

सरकार से मदद की लगाई गुहार

आर्थिक तंगी के कारण इस कारण सुरेखा की शिक्षा ना आगे बढ़ा सकी है और न ही उसकी शादी हो पाई है क्योंकि बीमार पिता को देखने वाला कोई नहीं है. सुरेखा के पास न तो पिता के इलाज लायक धन है और न ही सरकार की तरफ से उनको पिता के इलाज का कोई आश्वासन मिला है. मगर सुरेखा बेटी हैं अनमोल के नारे को चरितार्थ कर रही हैं. लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से उनके लिए कोई इलाज का प्रावधान हो जाए तो अस्पताल में मनसा राम की दशा में सुधार भी संभव है.

सड़क भी नसीब नहीं

मनसा राम के घर तक सड़क भी नहीं बनी है. सरकारी भूमि में तय रास्ता आज तक सड़क में तब्दील न हो सका. जेसीबी से कच्ची सड़क निकालने की कोशिश की मगर वह भी रोक दी गई. मरीज को कंधे पर उठाकर ले जाना ही एकमात्र हल है.

बड़सर/हमीरपुरः उपमंडल बड़सर की झंझियाणी पंचायत के तहत वार्ड नंबर 5 में मनसा राम पिछले 8 सालों से बिस्तर पर हैं. अधरंग और कई रोगों से पीड़ित मानसा राम बात भी नहीं कर पाते. बिस्तर पर ही उनको खाना खिलाने से लेकर शेष देखभाल करने का काम उनकी बेटी सुरेखा ठाकुर ही करती हैं. मनसा राम की पत्नी के देहांत के बाद पिछले 8 साल से इनकी बेटी सुरेखा ही इनके लिए एकमात्र सहारा है.

मात्र 8 हजार मासिक पेंशन से उनके लिए दवाई और इलाज का खर्चा नहीं हो पाता है, जिसके चलते बिना इलाज के ही मनसा राम जीवन के दिन गिन रहे हैं. सुरेखा की 3 बहनों की शादी हो चुकी है और घर में बीमार पिता का स्थायी रूप से देखभाल का जिम्मा अब सुरेखा पर ही है.

सरकार से मदद की लगाई गुहार

आर्थिक तंगी के कारण इस कारण सुरेखा की शिक्षा ना आगे बढ़ा सकी है और न ही उसकी शादी हो पाई है क्योंकि बीमार पिता को देखने वाला कोई नहीं है. सुरेखा के पास न तो पिता के इलाज लायक धन है और न ही सरकार की तरफ से उनको पिता के इलाज का कोई आश्वासन मिला है. मगर सुरेखा बेटी हैं अनमोल के नारे को चरितार्थ कर रही हैं. लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से उनके लिए कोई इलाज का प्रावधान हो जाए तो अस्पताल में मनसा राम की दशा में सुधार भी संभव है.

सड़क भी नसीब नहीं

मनसा राम के घर तक सड़क भी नहीं बनी है. सरकारी भूमि में तय रास्ता आज तक सड़क में तब्दील न हो सका. जेसीबी से कच्ची सड़क निकालने की कोशिश की मगर वह भी रोक दी गई. मरीज को कंधे पर उठाकर ले जाना ही एकमात्र हल है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.