ETV Bharat / state

वनों में आगजनी की घटनाओं में आई कमी, लॉकडाउन में यह वजहें रही प्रमुख

हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष वनों में आगजनी की घटनाओं में कमी आई है. इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस के कारण लगाया गया लॉकडाउन और वन विभाग की ओर से पाइन नीडल्स को इकट्ठा करके पाइन नीडल्स इंटरप्राइजेज को बेचना है. हिमाचल प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले इस साल 70 फ़ीसदी जंगल कम जले हैं.

forest burns
forest burns
author img

By

Published : Jul 18, 2020, 4:05 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से इस वर्ष वनों में आग की घटनाओं में कमी आई है. वहीं, वन विभाग की ओर से पाइन नीडल्स को इकट्ठा करके पाइन नीडल्स इंटरप्राइजेज को बेचने के कारण भी आगजनी की घटनाओं में कमी आई है.

भरेड़ी वन खंड अधिकारी जगत राम ने बताया कि जिला हमीरपुर में पाइन नीडल्स के लिए दो इंटरप्राइजेज यूनिट्स स्थापित किए गए है. उन्होंने कहा कि वन विभाग के कर्मचारी पाइन नीडल्स को इकट्ठा कर इन दो इंटरप्राइजेज यूनिट्स को भेज रहे हैं.

जगत राम का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से 3 गाड़ियां पाइन नीडल्स इंटरप्राइजेज यूनिट्स को भेजी गई है. उन्होंने कहा कि इस कार्य को वन विभाग के कर्मचारी बखूबी अंजाम दे रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

आपको बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष जंगलों में आगजनी की घटनाओं से करोड़ों रुपये की वन संपदा राख होती है, जिसमें सैकड़ों वन्यजीव भी आग की भेंट चढ़ जाते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से जंगलों में आगजनी की घटनाओं में कमी आई है.

ये भी पढ़ें:नदी के घुमाव से कहीं ज्यादा पेचीदा भारत-नेपाल सीमा विवाद

लॉकडाउन के समय लोग घरों से बाहर नहीं निकल पाए, जिस कारण जंगलों में इंसानी गतिविधियां ना के बराबर रही. जगत राम ने बताया कि इस वर्ष आगजनी की घटनाओं में विराम लगा है. उन्होंने कहा कि इस बार 70 फीसदी जंगल कम जले हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ शरारती तत्वों की ओर से भी जंगलों में आग लगाई जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई भी जंगलों की तरफ नहीं जा पाया. उन्होंने कहा कि लोग जंगलों में बीड़ी सिगरेट जला कर फेंक देते हैं, जिससे पूरे जंगल आग से जलकर राख हो जाते हैं.

बता दें कि इस बार मई महीने तक रुक-रुक कर बारिश होने से भी आगजनी की घटनाओं में कमी आंकी जा रही है. वन विभाग का कहना है कि अप्रैल व मई महीने में बारिश होने के चलते जंगलों में आगजनी की घटनाएं ना के बराबर रही.

पिछले वर्षो की अपेक्षा इस बार वन विभाग को फायर सीजन में 30 फीसदी नुकसान हुआ है. वहीं, वन विभाग की ओर से जंगलों पर निगरानी भी रखी गई थी और ग्रामीणों को घास में आग लगाने से पहले वन विभाग की परमिशन लेना अनिवार्य किया गया था.

ये भी पढ़ें: निजी स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों में बहस

भोरंज/हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से इस वर्ष वनों में आग की घटनाओं में कमी आई है. वहीं, वन विभाग की ओर से पाइन नीडल्स को इकट्ठा करके पाइन नीडल्स इंटरप्राइजेज को बेचने के कारण भी आगजनी की घटनाओं में कमी आई है.

भरेड़ी वन खंड अधिकारी जगत राम ने बताया कि जिला हमीरपुर में पाइन नीडल्स के लिए दो इंटरप्राइजेज यूनिट्स स्थापित किए गए है. उन्होंने कहा कि वन विभाग के कर्मचारी पाइन नीडल्स को इकट्ठा कर इन दो इंटरप्राइजेज यूनिट्स को भेज रहे हैं.

जगत राम का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से 3 गाड़ियां पाइन नीडल्स इंटरप्राइजेज यूनिट्स को भेजी गई है. उन्होंने कहा कि इस कार्य को वन विभाग के कर्मचारी बखूबी अंजाम दे रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

आपको बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष जंगलों में आगजनी की घटनाओं से करोड़ों रुपये की वन संपदा राख होती है, जिसमें सैकड़ों वन्यजीव भी आग की भेंट चढ़ जाते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन से जंगलों में आगजनी की घटनाओं में कमी आई है.

ये भी पढ़ें:नदी के घुमाव से कहीं ज्यादा पेचीदा भारत-नेपाल सीमा विवाद

लॉकडाउन के समय लोग घरों से बाहर नहीं निकल पाए, जिस कारण जंगलों में इंसानी गतिविधियां ना के बराबर रही. जगत राम ने बताया कि इस वर्ष आगजनी की घटनाओं में विराम लगा है. उन्होंने कहा कि इस बार 70 फीसदी जंगल कम जले हैं.

उन्होंने कहा कि कुछ शरारती तत्वों की ओर से भी जंगलों में आग लगाई जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई भी जंगलों की तरफ नहीं जा पाया. उन्होंने कहा कि लोग जंगलों में बीड़ी सिगरेट जला कर फेंक देते हैं, जिससे पूरे जंगल आग से जलकर राख हो जाते हैं.

बता दें कि इस बार मई महीने तक रुक-रुक कर बारिश होने से भी आगजनी की घटनाओं में कमी आंकी जा रही है. वन विभाग का कहना है कि अप्रैल व मई महीने में बारिश होने के चलते जंगलों में आगजनी की घटनाएं ना के बराबर रही.

पिछले वर्षो की अपेक्षा इस बार वन विभाग को फायर सीजन में 30 फीसदी नुकसान हुआ है. वहीं, वन विभाग की ओर से जंगलों पर निगरानी भी रखी गई थी और ग्रामीणों को घास में आग लगाने से पहले वन विभाग की परमिशन लेना अनिवार्य किया गया था.

ये भी पढ़ें: निजी स्कूल प्रबंधन व अभिभावकों में बहस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.