चंबा: ईटीवी भारत हिमाचल की खास सीरीज रहस्य में हम हिमाचल से जुड़ी ऐसी मान्यताओं, मंदिरों के बारे में अपने पाठकों को अवगत करवाते हैं जो विज्ञान के लिए तो अनसुलझी पहेली हैं ही, बल्कि आम लोगों के लिए भी ये किसी अचंभे से कम नहीं है.
रहस्य सीरीज के इस भाग में हम बात करेंगे हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में स्थित मां भद्रकाली के भलेई मंदिर के बारे में. भद्रकाली माता के मंदिर का नाम यहां बसे छोटे से गांव भलेई के नाम पर पड़ा है. मंदिर के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर भद्रकाली भलेई माता के मंदिर में देश के कोने-कोने से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
आम दिनों के मुकाबले नवरात्रि में दर्शनार्थियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है. माता भद्रकाली में आस्था रखने वाले लोगों का मानना है कि यहां सच्चे मन में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. मां भद्रकाली का ये मंदिर चंबा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है.
कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई की मूर्ति भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं. मां भलेई का ये मंदिर चंबा जिला के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण चंबा के राजा प्रताप सिंह ने करवाया था.
महिलाओं का प्रवेश था वर्जित
मां भद्रकाली के इस मंदिर में 60 के दशक तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. इसके बाद मां भलेई की एक भक्त दुर्गा बहन को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि सबसे पहले वे मां भलेई के दर्शन करेंगी, जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन करने लगीं.
जब मां की मूर्ति को चुरा ले गए चोर
मां भलेई के मंदिर को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे. चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो एक चमत्कार हुआ. चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता.
इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे. बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया.
मां भलेई की मूर्ति को आता है पसीना
माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है. पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी. मां भलेई की मूर्ति से आने वाला पसीना लोगों के बीच रहस्य बना हुआ है. कई बार पुरात्व वैज्ञानिकों ने भी इस बारे में खोजबीन की लेकिन कुछ भी समझ में नहीं आया.
मंदिर की बनावट और वास्तुकला
मंदिर के निर्माण को लेकर भी एक कथा प्रचलित है. लोगों का कहना है कि मंदिर को बनाने के लिए मां भलेई ने ही चंबा के राजा प्रताप सिंह को धन उपलब्ध करवाया था. हजारों साल पहले बने इस मंदिर की वास्तुकला को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है.
भलेई माता की चतुर्भुजी मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और ये खुद से प्रकट हुई थी. माता के बाएं हाथ में खप्पर और दाएं हाथ में त्रिशूल है. मंदिर के मुख्य दरबार पर उड़ीसा के कलाकारों की कारीगरी का शानदार नमूना देखा जा सकता है.
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है. यहां से बस पकड़ कर श्रद्धालु जिला चंबा मुख्यालय पहुंच सकते हैं. इसके बाद जिला मुख्यालय से दिनभर समयानुसार मां भलेई के मंदिर के लिए बसें चलती रहती हैं.