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पिता के हुनर को जिंदा रखने की बेटी ने ठानी, 25 दिन में तैयार की मां काली की मूर्ति

जिला चंबा की एक बेटी ने पिता के हुनर को जिंदा रखने का बीड़ा उठाया है. लता ने इस वर्ष भी काली माता की मूर्ति बनाकर पिता की कला को संजोए रखने का कार्य शुरू कर दिया है. काली माता की मूर्ति को मां ज्वाला जी मन्दिर से सुल्तानपुर वार्ड के माई का बाग मोहल्ला में लाई गई माता की ज्योत के साथ रखा जाएगा.

goddess mahakali statue
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Published : Apr 14, 2021, 11:07 AM IST

Updated : Apr 14, 2021, 2:24 PM IST

चंबा: पिता के हुनर को जिंदा रखने के लिए जिला चंबा की एक बेटी ने बीड़ा उठाया है. चंबा के चमेशनी मोहल्ले की रहने वाली लता के पिता पूर्ण चन्द का निधन चार वर्ष पहले हो गया था. उनके पिता पूर्ण चन्द मूर्तिकला के बेहतरीन कारीगर थे. लता ने पिता के मूर्तिकला के हुनर को जिंदा रखने की सोच को लेकर यह काम शुरू किया है. लता ने इस वर्ष भी काली माता की मूर्ति बनाकर पिता की कला को संजोए रखने का कार्य शुरू कर दिया है. काली माता की मूर्ति को मां ज्वाला जी मन्दिर से सुल्तानपुर वार्ड के माई का बाग मोहल्ला में लाई गई माता की ज्योत के साथ रखा जाएगा.

वीडियो देखें.

लता इस तरह तैयार करती हैं मूर्तियां

जिला मुख्यालय के साथ लगते मोहल्ला चमेशनी की रहने वाली 37 वर्षीय लता ने बताया कि उसने मां काली की मूर्ति को बनाने में पराली, लाल मिट्टी गुरीन्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस, कच्ची रस्सी, मलमल का कपड़ा और अलग-अलग रंगों का प्रयोग करते हुए, करीब 20-25 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद मां काली की मूर्ति तैयार की है. लता ने पिछले वर्ष कारोना काल के दौरान श्रीराम लीला क्लब चंबा के लिए रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले बनाऐ थे.

पिता के निधन के बाद बंद कर दिया था काम

लता ने बताया कि उनके पिता श्रीराम लीला क्लब चंबा के बहुत पुराने सदस्य थे और क्लब के साथ लगभग 40-45 वर्षों के साथ जुड़े हुए थे और सेवा करते थे. लता ने ये भी बताया कि जब उनके पिता पूर्ण चन्द मां काली मूर्ति को बनाते थे तो वो उनके साथ मूर्ति बनाने में सहायता करती थी. मगर, पिता के निधन के बाद उन्होंने यह काम बंद कर दिया था.

लता ने बनाई मां काली की मूर्ति
लता ने बनाई मां काली की मूर्ति

पिता का हुनर जिंदा रखने की कोशिश

हालांकि, कई बार लोग लता के पास आकर मूर्ति बनाने के लिए आग्रह करते थे. इसके बाद लता ने पिता के हुनर को जिन्दा रखने के लिए दोबारा से मूर्ति बनाने का फैसला लिया. लता का कहना है कि आज के समय लड़के-लड़की में कुछ भी फर्क नहीं है. आज की लड़कियां भी किसी से कम नहीं हैं. चाहे किसी भी फील्ड में ही क्यूं न हों, बस उनके ऊपर विश्वास, भरोसा और यकीन करें, जैसा उनके परिवारवालों ने उन पर रखा है.

ये भी पढ़ेंः कृषि कानून गतिरोध : भूपेंद्र सिंह मान सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से अलग हुए

चंबा: पिता के हुनर को जिंदा रखने के लिए जिला चंबा की एक बेटी ने बीड़ा उठाया है. चंबा के चमेशनी मोहल्ले की रहने वाली लता के पिता पूर्ण चन्द का निधन चार वर्ष पहले हो गया था. उनके पिता पूर्ण चन्द मूर्तिकला के बेहतरीन कारीगर थे. लता ने पिता के मूर्तिकला के हुनर को जिंदा रखने की सोच को लेकर यह काम शुरू किया है. लता ने इस वर्ष भी काली माता की मूर्ति बनाकर पिता की कला को संजोए रखने का कार्य शुरू कर दिया है. काली माता की मूर्ति को मां ज्वाला जी मन्दिर से सुल्तानपुर वार्ड के माई का बाग मोहल्ला में लाई गई माता की ज्योत के साथ रखा जाएगा.

वीडियो देखें.

लता इस तरह तैयार करती हैं मूर्तियां

जिला मुख्यालय के साथ लगते मोहल्ला चमेशनी की रहने वाली 37 वर्षीय लता ने बताया कि उसने मां काली की मूर्ति को बनाने में पराली, लाल मिट्टी गुरीन्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस, कच्ची रस्सी, मलमल का कपड़ा और अलग-अलग रंगों का प्रयोग करते हुए, करीब 20-25 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद मां काली की मूर्ति तैयार की है. लता ने पिछले वर्ष कारोना काल के दौरान श्रीराम लीला क्लब चंबा के लिए रावण, मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले बनाऐ थे.

पिता के निधन के बाद बंद कर दिया था काम

लता ने बताया कि उनके पिता श्रीराम लीला क्लब चंबा के बहुत पुराने सदस्य थे और क्लब के साथ लगभग 40-45 वर्षों के साथ जुड़े हुए थे और सेवा करते थे. लता ने ये भी बताया कि जब उनके पिता पूर्ण चन्द मां काली मूर्ति को बनाते थे तो वो उनके साथ मूर्ति बनाने में सहायता करती थी. मगर, पिता के निधन के बाद उन्होंने यह काम बंद कर दिया था.

लता ने बनाई मां काली की मूर्ति
लता ने बनाई मां काली की मूर्ति

पिता का हुनर जिंदा रखने की कोशिश

हालांकि, कई बार लोग लता के पास आकर मूर्ति बनाने के लिए आग्रह करते थे. इसके बाद लता ने पिता के हुनर को जिन्दा रखने के लिए दोबारा से मूर्ति बनाने का फैसला लिया. लता का कहना है कि आज के समय लड़के-लड़की में कुछ भी फर्क नहीं है. आज की लड़कियां भी किसी से कम नहीं हैं. चाहे किसी भी फील्ड में ही क्यूं न हों, बस उनके ऊपर विश्वास, भरोसा और यकीन करें, जैसा उनके परिवारवालों ने उन पर रखा है.

ये भी पढ़ेंः कृषि कानून गतिरोध : भूपेंद्र सिंह मान सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से अलग हुए

Last Updated : Apr 14, 2021, 2:24 PM IST
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