चंबा: हिमाचल प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर सुविधाएं देने को लेकर दावे करती है, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत लोगों से कोसों दूर है. चंबा जिला के अंतर्गत आने वाले भावला और कल्हेल पंचायत के 3 दर्जन गांव आजादी के 7 दशकों के बाद सड़क सुविधा से कोसों दूर है. यहां आज भी लोगों को 10 से 12 किलोमीटर पैदल सफर तय करके सड़क तक पहुंचना पड़ता है, जिसके चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
चुनाव जीतने के बाद किसी को नहीं रहता याद
बताते चलें कि भावला और कल्हेल पहले एक ही पंचायत हुआ करती थी, लेकिन हाल ही में कल्हेल से अलग होकर भावला पंचायत का निर्माण हुआ है, लेकिन इन दोनों पंचायतों में सड़क सुविधा ना होना लोगों की परेशानी बढ़ाने का काम कर रहा है. क्या नेता क्या राजनेता सब ने लोगों के साथ भद्दा मजाक किया है.
मरीजों को पालकी के सहारे मुख्य मार्ग तक लाया जाता है
ग्रामीणों ने कई बार मंत्रियों से जिला प्रशासन से मांग की है लेकिन कोई असर नहीं हुआ. यह मुश्किल तब बढ़ जाती है, जब इन इलाकों में कोई बीमार हो जाए और उसे पालकी के सहारे 10 से 12 किलोमीटर पैदल सफर तय करके सड़क तक पहुंचना पड़ता है. वनहाल सोह आदि कई गांव है जहां 7 दशक से लोग बीमार होने पर पालकी के सहारे ही मरीजों को सड़क तक पहुंचाते हैं. कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है, लेकिन प्रशासन और अंधी सरकार लोगों की सुनने को तैयार नहीं है.
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सच्चाई से कोसों दूर सरकार
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कहने में तो अच्छा लगता है लेकिन इन जगहों के बच्चों को पढ़ने के लिए कई किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता है. सरकार के इन नारों से बेटियों की सच्चाई कोसों दूर है, अगर सच में सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है तो कभी साहब भावला पंचायत की बच्चियों से भी पूछो कि उन्हें 12वीं की पढ़ाई करने के लिए 12 किलोमीटर जाना पड़ता है तो ऐसे में कैसे पड़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया.
मंत्री व सांसदों तक आवाज पहुंचाने के बाद नहीं हुआ हल
वहीं, दूसरी ओर स्थानीय युवाओं का कहना है कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी आज तक उनकी भावला पंचायत और कल्हेल पंचायत के सैकड़ों गांव तक सड़क सुविधा नहीं पहुंच पाई, जिसके चलते उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हर बार पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर विधायकों और सांसदों तक आवाज पहुंचाई गई लेकिन कोई सुनवाई है.
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