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चंबा में वन विभाग की बड़ी लापरवाही, जंगल में सड़ रही लाखों की वन संपदा - Negligence of pine trees in Chamba

वन परिक्षेत्र के रेंज अधिकारी जगजीत चावला का कहना है कि 1 साल पहले भारी बर्फबारी से चीड़ के पेड़ टूट गए थे जिनको लेकर काउंटिंग कर दी गई है. इसमें करीब 5000 से अधिक पेड़ टूटे हैं जिनकी नंबरिंग भी कर दी गई है.

Negligence of pine trees
चंबा में चीड़ के पेड़ों की लापरवाही
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Published : Mar 28, 2020, 5:22 PM IST

चंबा: जिला में साल 2019 में भारी बर्फबारी होने के कारण सैकड़ों पेड़ों को नुकसान पहुंचा था. हिमपात होने से जंगलों में पेड़ टूटकर गिर गए थे. एक साल बीत जाने के बाद भी वन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

बता दें कि कई बार लोगों ने इस मामले को लेकर टीडी से भी मांग की थी, लेकिन विभाग ने मामले को लेकर कोई आवश्यक कदम नहीं उठाया. लोगों का कहना है कि कब तक दर्जनों टूटे हुए पेड़ जंगलों में सड़ने को मजबूर होते रहेंगे.

वीडियो.

लोगों का कहना है कि अगर स्थानीय लोगों को यह पेड़ इमारती लकड़ी के लिए दिए जाते तो एक तरफ से विभाग को राजस्व प्राप्त होगा और दूसरी तरफ लोगों के मकान बनाने में यह लकड़ी इस्तेमाल हो पाएगी, लेकिन विभाग कोई पहल करता हुआ यहां दिखाई नहीं दे रहा है.

वहीं, मसरूंड वन परिक्षेत्र के रेंज अधिकारी जगजीत चावला का कहना है कि 1 साल पहले भारी बर्फबारी से चीड़ के पेड़ टूट गए थे जिनको लेकर काउंटिंग कर दी गई है. इसमें करीब 5000 से अधिक पेड़ टूटे हैं जिनकी नंबरिंग भी कर दी गई है अब जैसे ही उच्च अधिकारियों से आदेश प्राप्त होंगे उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

ये भी पढ़ें: DDU में कोरोना वायरस के दो संदिग्ध मरीज, रिपोर्ट का इंतजार

चंबा: जिला में साल 2019 में भारी बर्फबारी होने के कारण सैकड़ों पेड़ों को नुकसान पहुंचा था. हिमपात होने से जंगलों में पेड़ टूटकर गिर गए थे. एक साल बीत जाने के बाद भी वन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

बता दें कि कई बार लोगों ने इस मामले को लेकर टीडी से भी मांग की थी, लेकिन विभाग ने मामले को लेकर कोई आवश्यक कदम नहीं उठाया. लोगों का कहना है कि कब तक दर्जनों टूटे हुए पेड़ जंगलों में सड़ने को मजबूर होते रहेंगे.

वीडियो.

लोगों का कहना है कि अगर स्थानीय लोगों को यह पेड़ इमारती लकड़ी के लिए दिए जाते तो एक तरफ से विभाग को राजस्व प्राप्त होगा और दूसरी तरफ लोगों के मकान बनाने में यह लकड़ी इस्तेमाल हो पाएगी, लेकिन विभाग कोई पहल करता हुआ यहां दिखाई नहीं दे रहा है.

वहीं, मसरूंड वन परिक्षेत्र के रेंज अधिकारी जगजीत चावला का कहना है कि 1 साल पहले भारी बर्फबारी से चीड़ के पेड़ टूट गए थे जिनको लेकर काउंटिंग कर दी गई है. इसमें करीब 5000 से अधिक पेड़ टूटे हैं जिनकी नंबरिंग भी कर दी गई है अब जैसे ही उच्च अधिकारियों से आदेश प्राप्त होंगे उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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