चंबा: कोरोना संकट के बीच उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के इस साल के आयोजन को लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई संकेत नहीं मिला है. हिमाचल सरकार की ओर से यात्रा को लेकर गाइडलाइन जारी करने के बाद ही यात्रा का स्वरूप तय होगा.
जन्माष्टमी से राधाअष्टमी तक अधिकारिक तौर पर चलने वाली मणिमहेश यात्रा में इस बार कोरोना संकट के चलते कुछ अलग ही व्यवस्था देखने को मिलेगी. मंगलवार को उपमंडल मुख्यालय भरमौर स्थित मिनी सचिवालय के सभागार में मणिमहेश न्यास की एक बैठक का आयोजन हुआ.
बैठक की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष एवं एडीएम भरमौर पृथी पाल सिंह ने की, जबकि भरमौर-पांगी के विधायक जिया लाल कपूर बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर मौजूद रहे. बैठक में न्यास के अध्यक्ष ने कहा कि मणिमहेश यात्रा के आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार की जो भी दिशा निर्देश व गाइडलाइन होगी उसके निर्धारित मापदंडों के मुताबिक यात्रा का स्वरूप तय किया जाएगा.
ट्रस्ट के अध्यक्ष ने कहा कि दिसंबर माह में मणिमहेश न्यास के सदस्यों, चौरासी मंदिर परिसर, भरमाणी माता व हड़सर के पुजारियों, के साथ बैठक में विचार विमर्श के बाद ही सहमति से बाइलॉज का प्रारूप तैयार करवाया गया, जिसमें ट्रस्ट के तमाम खर्चों के उपरांत आय में से 30 से 35 प्रतिशत की राशि पुजारियों को देय किए जाने का नीतिगत फैसला लिया गया.
अध्यक्ष ने कहा कि मणिमहेश ट्रस्ट के अपने अधिकारी व कर्मचारी रखे जाएंगे, जिसमें एक सब डिविजनल ऑफिसर रैंक का अधिकारी, कनिष्ठ अभियंता, सुपरवाइजर, इलेक्ट्रिशियन, दो ड्राइवर, तथा अधीक्षक, क्लर्क स्टोर कीपर, प्लंबर, सफाई व्यवस्था के लिए सुपरवाइजर के पद भी सृजित किए जाएंगे और यह अधिकारी व कर्मचारी यात्रा का प्रबंधन देखेंगे, ताकि प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों के कम समय अवधि के कारण भरमौर के विकासात्मक कार्य प्रभावित ना हों.
वहीं, बैठक में विधायक जियालाल कपूर ने कहा कि मणिमहेश यात्रा के बढ़ते स्वरूप को देखते हुए आय के साधनों में भी बढ़ोतरी के लिए साधन जुटाने के लिए और श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए लोगों का रचनात्मक सहयोग भी लाजमी रहेगा.
वहीं, बैठक में न्यास के अध्यक्ष पृथी पाल सिंह ने कहा कोरोना वायरस महामारी के चलते यात्रा के स्वरूप के लिए मणिमहेश ट्रस्ट की अपनी वेबसाइट तैयार की जा रही है, ताकि श्रद्धालु ऑनलाइन यात्रा के लिए आवेदन कर सकें. इसके लिए अमरनाथ यात्रा के पैटर्न पर भी स्टडी की जा रही है. उन्होंने कहा कि गौरीकुंड और धनछो में हिम ऊर्जा विभाग के दो-दो किलोवाट के मिनी पावर हाउस भी स्थापित किए जाएंगे, ताकि यात्रा के दौरान विद्युत आपूर्ति की समस्या से निजात मिल सके.