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आस्था के आगे बौनी पड़ी चुनौतियां, 14 किमी की चढ़ाई चढ़ डल झील तक पहुंचाया डेढ़ किंवटल का त्रिशूल - डेढ़ किंवटल का त्रिशूल

डल झील में पहली बार इतना बड़ा त्रिशूल स्थापित किया गया है. त्रिशूल लेकर जा रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि वे अपनी आस्था अनुसार इस त्रिशूल को भगवान शंकर के चरणों में चढ़ाया है.

डेढ़ किंवटल का त्रिशूल
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Published : Sep 6, 2019, 3:38 PM IST

चंबा: पंजाब के होशियारपुर से प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा पर आए शिवभक्तों की आस्था के आगे चुनौतियां भी बौनी पड़ गई. . हड़सर से डल झील तक शिवभक्त डेढ़ क्विंटल त्रिशूल को कंधों पर उठाकर पहाड़ चढ़ते नजर आ रहे हैं.

जहां पैदल चलना भी मुश्किल है वहां ये शिवभक्त डेढ़ क्विंटल त्रिशूल को अपने कंधे पर उठाकर सफर पूरा कर रहे हैं. बता दें कि इस त्रिशूल को होशियारपुर से हड़सर तक मालवाहक वाहन से लाया गया. इससे आगे का रास्ता पैदल तय करना था. इसलिए शिवभक्त भारी भरकम त्रिशूल को कंधों पर उठाते नजर आ रहे हैं. साथ ही रास्ते पर त्रिशूल लेकर गुजर रही इस टोली को देखकर हर श्रद्धालु भोलेनाथ के जयकारे लगाने से खुद को नहीं रोक पा रहे. शिवभक्तों ने अपने कंधों पर इस त्रिशूल को डल झील तक पहुंचाया. सच ही है कि आस्था के आगे पहाड़ सी चुनौतियां भी बौनी पड़ गई.

आस्था के आगे बौनी पड़ी चुनौतियां

डल झील में पहली बार इतना बड़ा त्रिशूल स्थापित किया गया है. त्रिशूल लेकर जा रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि वे अपनी आस्था अनुसार इस त्रिशूल को भगवान शंकर के चरणों में चढ़ाया है. पूजा-अर्चना करने के बाद इस त्रिशूल को डलझील के पास स्थित भोलेनाथ के मंदिर में स्थापित किया गया है. वहीं, यात्रा पर आने-जाने वाले अन्य यात्रियों ने भी इन यात्रियों की त्रिशूल को डल झील तक पहुंचाने में मदद की.

ये भी पढ़ें: मणिमहेश यात्रा: शिव भक्तों के लिए नैनीखड़ से लेकर भरमौर तक लंगर की धूम

चंबा: पंजाब के होशियारपुर से प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा पर आए शिवभक्तों की आस्था के आगे चुनौतियां भी बौनी पड़ गई. . हड़सर से डल झील तक शिवभक्त डेढ़ क्विंटल त्रिशूल को कंधों पर उठाकर पहाड़ चढ़ते नजर आ रहे हैं.

जहां पैदल चलना भी मुश्किल है वहां ये शिवभक्त डेढ़ क्विंटल त्रिशूल को अपने कंधे पर उठाकर सफर पूरा कर रहे हैं. बता दें कि इस त्रिशूल को होशियारपुर से हड़सर तक मालवाहक वाहन से लाया गया. इससे आगे का रास्ता पैदल तय करना था. इसलिए शिवभक्त भारी भरकम त्रिशूल को कंधों पर उठाते नजर आ रहे हैं. साथ ही रास्ते पर त्रिशूल लेकर गुजर रही इस टोली को देखकर हर श्रद्धालु भोलेनाथ के जयकारे लगाने से खुद को नहीं रोक पा रहे. शिवभक्तों ने अपने कंधों पर इस त्रिशूल को डल झील तक पहुंचाया. सच ही है कि आस्था के आगे पहाड़ सी चुनौतियां भी बौनी पड़ गई.

आस्था के आगे बौनी पड़ी चुनौतियां

डल झील में पहली बार इतना बड़ा त्रिशूल स्थापित किया गया है. त्रिशूल लेकर जा रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि वे अपनी आस्था अनुसार इस त्रिशूल को भगवान शंकर के चरणों में चढ़ाया है. पूजा-अर्चना करने के बाद इस त्रिशूल को डलझील के पास स्थित भोलेनाथ के मंदिर में स्थापित किया गया है. वहीं, यात्रा पर आने-जाने वाले अन्य यात्रियों ने भी इन यात्रियों की त्रिशूल को डल झील तक पहुंचाने में मदद की.

ये भी पढ़ें: मणिमहेश यात्रा: शिव भक्तों के लिए नैनीखड़ से लेकर भरमौर तक लंगर की धूम

Intro:अजय शर्मा, चंबा
पड़ोसी राज्य पंजाब के होशियारपुर से मणिमहेश यात्रा पर आए शिवभक्तों की भगवान भोले नाथ के प्रति गूढ़ आस्था के आगे पहाड़ सी चुनौतियां भी बौनी पड़ गई। कंधों पर 31 फुट लंबे और डेढ़ किवंटल त्रिशूल को उठाकर हड़सर से डल झील के 14 किमी पैदल सफर करने के उपरांत आज इसे डल झील में स्थापित कर दिया। शिव भक्तों ने यह त्रिशूल होशियारपुर से हड़सर तक मालवाहक वाहन से लाया गया था।
Body:जानकारी के अनुसार भारी भरकम त्रिशूल को आधा दर्जन शिव भक्त अपने कंधों पर उठाकर डल झील की ओर मंगलवार को निकले थे। रास्ते पर त्रिशूल लेकर गुजर रही इस टोली को देखकर हर श्रद्धालु भोले नाथ के जयकारे लगाने से खुद को नहीं रोक पा रहा था।
डलझील में पहली बार इतना बड़ा त्रिशूल स्थापित किया गया है। त्रिशूल लेकर जा रहे श्रद्धालुओं का कहना है कि वे अपनी आस्था अनुसार इस त्रिशूल को भगवान शंकर के चरणों में चढ़ाया हैं। बड़े शाही न्हौण को पूजा अर्चना करने के बाद इस त्रिशूल को डलझील के पास स्थित भोलेनाथ के मंदिर में स्थापित किया गया है। वहीं यात्रा पर आने-जाने यात्रियों ने भी इन यात्रियों की त्रिशूल को डल तक पहुंचाने में मदद की। Conclusion:उधर, त्रिशूल को डल की ओर ले जाते शिवभक्तों की विडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है और यह सबका केंद्र बनी हुई है।
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