चंबा: जनजातीय समुदाय के हितों की लड़ाई लड़ने वाले पांगी निवासी डॉ. हरीश शर्मा स्विटजरलैंड के जिनेवा में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के कार्यक्रम में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. कार्यक्रम में विश्वभर के विभिन्न देशों से आए 20 प्रतिनिधि भाग लेंगे.
बता दें कि इस कार्यक्रम ऑनलाइन साक्षात्कार होता है जो कि तीन राउंड में होता है. इसमें जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए कार्य कर रहे लोग ही हिस्सा लेते हैं. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदाय के उत्थान को लेकर चर्चा करना रहेगा. इसमें मूल आदिवासी अधिकार, वन अधिकार, सामुदायिक अधिकार, विकास का अधिकार व रक्षा का अधिकार आदि विषय चर्चा का केंद्र रहेंगे.
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भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. शर्मा संयुक्त राष्ट्र में जनजातीय समुदायों की चुनौतियों पर प्रकाश डालेंगे, जिनका दशकों से जनजातीय लोग का सामना कर रहे हैं. ये अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम उनके लिए संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न तंत्रों पर मार्गदर्शन और जानकारी हासिल करने के बाद भारत में जनजातीय समुदाय के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक रूप से मजबूत करने में लाभदायक सिद्ध होगा.
बता दें कि डॉ. शर्मा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो कि बीते कई वर्षों से जनजातीय समुदाय के लोगों के हितों के लिए कार्य कर रहे हैं. साथ ही मानवाधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं. उन्होंने अब तक जनजातीय समुदाय के वन अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है.
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डॉ. शर्मा ने किन्नौर जिले में मेगा हाइड्रोपावर परियोजना के निर्माण के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के साथ-साथ पंगवाल समुदाय के हकों के लिए भी कई बार आवाज बुलंद की है. बहरहाल, डॉ. शर्मा द्वारा समूचे भारत के जनजातीय समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व करना समुदाय के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा. उनके चयन से जनजातीय क्षेत्र के लोगों में उम्मीद की नई किरण जगी है.