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डलहौजी विधायक आशा कुमारी का 65वां जन्मदिन, जानें उनका राजनीतिक सफर

डलहौजी विधायक आशा कुमारी का बुधवार को 65वां जन्मदिन हैं. उनके जन्मदिन पर सुबह से ही उनके प्रसंशकों ने सोशल मीडिया के जरिये बधाई देना शुरू कर दिया. डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के लोगों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आशा कुमारी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है.

Asha Kumari
आशा कुमारी
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Published : Sep 23, 2020, 4:15 PM IST

डलहौजी: हिमाचल प्रदेश की शिक्षा मंत्री रही आशा कुमारी का बुधवार को 65वां जन्मदिन हैं. उनके जन्मदिन पर सुबह से ही उनके प्रसंशकों ने सोशल मीडिया के जरिये बधाई देना शुरू कर दिया. डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के लोगों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आशा कुमारी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है.

राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाली आशा कुमारी प्रदेश की राजनीति में जाना पहचाना नाम है. हिमाचल की कांग्रेस में मौजूदा महिलाओं में आशा कुमारी सबसे अनुभवी चेहरे के तौर पर खड़ी दिखती हैं. छात्र राजनीति से कदम बढ़ाने वाली आशा कुमारी के पास हिमाचल में ही बतौर विधायक 6 बार चुने जाने के साथ संगठन की जिम्मेदारी निभाने का भी अनुभव है.

23 सितंबर 1955 को छत्तीसगढ़ (मध्य प्रदेश) के अंबिकापुर जनपद के सरगगूजा गांव में देवेंद्र कुमारी व एमएस सिंघदेव के घर में जन्मी आशा कुमारी पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उन्हें कांग्रेस की राजनीति और प्रशासनिक दक्षता के गुर विरासत में मिले हैं. आशा की मां देवेंद्र कुमारी मध्य प्रदेश सरकार में वित्त एवं सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाल चुकी हैं. वहीं, पिता मध्य प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव भी रहे हैं.

19 अप्रैल 1979 को आशा कुमारी का विवाह चंबा रियासत के राजकुमार बृजेंद्र कुमार से हुआ. मध्य प्रदेश में छात्र राजनीति का जाना पहचाना चेहरा बन चुकी आशा कुमारी ने परिणय सूत्र में बंधने के थोड़े समय बाद ही हिमाचल की राजनीति में प्रवेश किया. वर्ष 1985 में आशा कुमारी ने बीजेपी के ज्ञान धवन को चुनाव में मात देकर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया.

सत्ता विरोधी लहर में 1990 में वह बीजेपी के गंधर्व सिंह से चुनाव हार गईं, लेकिन 1993 में आशा ने अपनी हार का बदला लिया और तेजतर्रार आशा कुमारी को वीरभद्र सिंह ने प्राथमिक शिक्षा मंत्री की जिम्मेवारी दी. वर्ष 1998 व 2003 दो चुनावों में आशा कुमारी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गईं. अपनी सबसे नजदीकी सहेली रेणु चड्ढा को कड़े मुकाबलों में हराया.

वहीं, 2008 में आशा कुमारी, रेणू चड्ढा से मुकाबला हार गईं. 2013 में रेणु चड्ढा को बड़े अंतर से मात दी. अबकी बार भी आशा कुमारी मोदी लहर के बावजूद कड़े मुकाबले में डीएस ठाकुर को हराकर छठी बार विधानसभा पहुंची, जबकि जिला चंबा की अन्य चारों सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा.

महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय भोपाल में आशा कुमारी ने बतौर एनएसयूआई संस्थापक सदस्य के रूप में कदम रखा और एनएसयूआई की महासचिव बनीं. भोपाल विश्वविद्यालय में बतौर एनएसयूआई अध्यक्ष छात्र हितों की पैरवी की. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव पद पर काबिज रहकर पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम किया. 2011 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सचिव बनीं.

आशा कुमारी 26 जून 2016 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनीं और उन्हें कांग्रेस कार्य समिति में भी स्थान मिला. वर्ष 2018 में आशा कुमारी राहुल गांधी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति की स्थाई सदस्य बनी. इसके अलावा चंडीगड़, हरियाणा और झारखंड में भी पार्टी की अहम जिम्मेदारियां संभाली.

ये भी पढ़ें: नए कृषि विधेयक पर घटिया राजनीति कर रहे हैं विपक्षी दल के नेता: शांता कुमार

डलहौजी: हिमाचल प्रदेश की शिक्षा मंत्री रही आशा कुमारी का बुधवार को 65वां जन्मदिन हैं. उनके जन्मदिन पर सुबह से ही उनके प्रसंशकों ने सोशल मीडिया के जरिये बधाई देना शुरू कर दिया. डलहौजी विधानसभा क्षेत्र के लोगों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आशा कुमारी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी है.

राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाली आशा कुमारी प्रदेश की राजनीति में जाना पहचाना नाम है. हिमाचल की कांग्रेस में मौजूदा महिलाओं में आशा कुमारी सबसे अनुभवी चेहरे के तौर पर खड़ी दिखती हैं. छात्र राजनीति से कदम बढ़ाने वाली आशा कुमारी के पास हिमाचल में ही बतौर विधायक 6 बार चुने जाने के साथ संगठन की जिम्मेदारी निभाने का भी अनुभव है.

23 सितंबर 1955 को छत्तीसगढ़ (मध्य प्रदेश) के अंबिकापुर जनपद के सरगगूजा गांव में देवेंद्र कुमारी व एमएस सिंघदेव के घर में जन्मी आशा कुमारी पोस्ट ग्रेजुएट हैं. उन्हें कांग्रेस की राजनीति और प्रशासनिक दक्षता के गुर विरासत में मिले हैं. आशा की मां देवेंद्र कुमारी मध्य प्रदेश सरकार में वित्त एवं सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाल चुकी हैं. वहीं, पिता मध्य प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव भी रहे हैं.

19 अप्रैल 1979 को आशा कुमारी का विवाह चंबा रियासत के राजकुमार बृजेंद्र कुमार से हुआ. मध्य प्रदेश में छात्र राजनीति का जाना पहचाना चेहरा बन चुकी आशा कुमारी ने परिणय सूत्र में बंधने के थोड़े समय बाद ही हिमाचल की राजनीति में प्रवेश किया. वर्ष 1985 में आशा कुमारी ने बीजेपी के ज्ञान धवन को चुनाव में मात देकर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया.

सत्ता विरोधी लहर में 1990 में वह बीजेपी के गंधर्व सिंह से चुनाव हार गईं, लेकिन 1993 में आशा ने अपनी हार का बदला लिया और तेजतर्रार आशा कुमारी को वीरभद्र सिंह ने प्राथमिक शिक्षा मंत्री की जिम्मेवारी दी. वर्ष 1998 व 2003 दो चुनावों में आशा कुमारी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गईं. अपनी सबसे नजदीकी सहेली रेणु चड्ढा को कड़े मुकाबलों में हराया.

वहीं, 2008 में आशा कुमारी, रेणू चड्ढा से मुकाबला हार गईं. 2013 में रेणु चड्ढा को बड़े अंतर से मात दी. अबकी बार भी आशा कुमारी मोदी लहर के बावजूद कड़े मुकाबले में डीएस ठाकुर को हराकर छठी बार विधानसभा पहुंची, जबकि जिला चंबा की अन्य चारों सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा.

महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय भोपाल में आशा कुमारी ने बतौर एनएसयूआई संस्थापक सदस्य के रूप में कदम रखा और एनएसयूआई की महासचिव बनीं. भोपाल विश्वविद्यालय में बतौर एनएसयूआई अध्यक्ष छात्र हितों की पैरवी की. हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव पद पर काबिज रहकर पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम किया. 2011 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सचिव बनीं.

आशा कुमारी 26 जून 2016 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनीं और उन्हें कांग्रेस कार्य समिति में भी स्थान मिला. वर्ष 2018 में आशा कुमारी राहुल गांधी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति की स्थाई सदस्य बनी. इसके अलावा चंडीगड़, हरियाणा और झारखंड में भी पार्टी की अहम जिम्मेदारियां संभाली.

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