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हिमाचल में हर घर को देशी गाय देगी सरकार! 2022 तक प्रदेश में पूरी तरह जैविक कृषि करने का लक्ष्य

राज्यपाल के अलावा अब प्रदेश कृषि मंत्री ने भी जैविक खेती की दिशा में अपने कदम बढ़ा लिए हैं. कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय का कहना है कि आज प्रदेश में जहर युक्त भोजन हर थाली में परोसा जा रहा है. जिसका नतीजा हर साल अस्पताल में बढ़ते कैंसर के मरीजों से लगाया जा सकता है.

Target to organic farming in Himachal till 2022
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Published : Jun 19, 2019, 3:03 PM IST

शिमला: आज देश भर में हो रहे रसायनों और विषैले छिड़काव से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. इन रसायनों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित अब सरकारें जैविक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रही हैं. हिमाचल प्रदेश में इस दिशा में खुद सूबे के राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस मुहिम को बढ़ाने में जुटे हैं.

राज्यपाल के अलावा अब प्रदेश कृषि मंत्री ने भी इस दिशा में अपने कदम बढ़ा लिए हैं. कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय का कहना है कि आज प्रदेश में जहर युक्त भोजन हर थाली में परोसा जा रहा है. जिसका नतीजा हर साल अस्पताल में बढ़ते कैंसर के मरीजों से लगाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 2022 हर घर मे देशी गाय देने पर विचार कर रही है और इसके लिए सरकार सब्सिडी दे रही है. जिससे प्राकृतिक खेती की तरफ हर घर को मोड़ा जा सके. इसके लिए पंचायत स्तर पर काम किया जा रहा है और हर साल प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का दायरा अब हर साल बढ़ रहा है.

कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय.

आपको बता दें कि अच्छी पैदावार के लिए खेतों और बागीचों में रसायनों का प्रयोग किया जाता है. जिसके फलस्वरूप हर फल और सब्जी में जहर की मात्रा अधिक होने से ये लोगों के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है. इसी वजह से बीमार लोगों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से सरकारें अब जैविक खेती की ओर ध्यान दे रही हैं.

क्या है जैविक खेती?
आसान शब्दों में समझें तो जैविक खेती में किसी भी तरह के रसायनों के प्रयोग से बचा जाता है. ये पुरानी और देशी खेती का ही आधुनिक तरीका है. इस खेती के माध्यम से प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखते हुए खेती की जाती है. इसके माध्यम से किसी भी प्रकार के प्रदुषण को रोका जाता है.

इस खेती में खेतों में फसल की पैदावार के लिए गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं| फसल को प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों और अन्य बीमारियों से बचाया जाता है.

शिमला: आज देश भर में हो रहे रसायनों और विषैले छिड़काव से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. इन रसायनों के बढ़ते प्रभाव से चिंतित अब सरकारें जैविक खेती की तरफ ज्यादा ध्यान दे रही हैं. हिमाचल प्रदेश में इस दिशा में खुद सूबे के राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस मुहिम को बढ़ाने में जुटे हैं.

राज्यपाल के अलावा अब प्रदेश कृषि मंत्री ने भी इस दिशा में अपने कदम बढ़ा लिए हैं. कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय का कहना है कि आज प्रदेश में जहर युक्त भोजन हर थाली में परोसा जा रहा है. जिसका नतीजा हर साल अस्पताल में बढ़ते कैंसर के मरीजों से लगाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 2022 हर घर मे देशी गाय देने पर विचार कर रही है और इसके लिए सरकार सब्सिडी दे रही है. जिससे प्राकृतिक खेती की तरफ हर घर को मोड़ा जा सके. इसके लिए पंचायत स्तर पर काम किया जा रहा है और हर साल प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का दायरा अब हर साल बढ़ रहा है.

कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय.

आपको बता दें कि अच्छी पैदावार के लिए खेतों और बागीचों में रसायनों का प्रयोग किया जाता है. जिसके फलस्वरूप हर फल और सब्जी में जहर की मात्रा अधिक होने से ये लोगों के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है. इसी वजह से बीमार लोगों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. इसी वजह से सरकारें अब जैविक खेती की ओर ध्यान दे रही हैं.

क्या है जैविक खेती?
आसान शब्दों में समझें तो जैविक खेती में किसी भी तरह के रसायनों के प्रयोग से बचा जाता है. ये पुरानी और देशी खेती का ही आधुनिक तरीका है. इस खेती के माध्यम से प्रकृति और पर्यावरण को संतुलित रखते हुए खेती की जाती है. इसके माध्यम से किसी भी प्रकार के प्रदुषण को रोका जाता है.

इस खेती में खेतों में फसल की पैदावार के लिए गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक और प्रकृति में उपलब्ध खनिज जैसे रॉक फास्फेट, जिप्सम आदि द्वारा पौधों को पोषक तत्व दिए जाते हैं| फसल को प्रकृति में उपलब्ध मित्र कीटों, जीवाणुओं और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों और अन्य बीमारियों से बचाया जाता है.


---------- Forwarded message ---------
From: Suresh Sharma <journalist.suresh86@gmail.com>
Date: Wed, Jun 19, 2019, 11:45 AM
Subject: 2022 तक प्रदेश में जैविक खेती के लक्ष्य
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


एंकर,,, खेती में प्रयोग हो रहे जहरीले रसायनों को रोकने के लिए सरकार हर घर को देगी देसी गाय 2022 तक प्रदेश में पूरी तरह जैविक कृषि करने का लक्ष्य,,, रामलाल मार्कण्डेय
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स्टोरी,,,,आज देश भर में हो रहे रसायनों और विषैले छिड़काव से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।किसके बढ़ते प्रभाव से चिंतित अब सरकारें जैविक खेती की तरफ़ ज्यादा ध्यान दे रही है।हिमाचल प्रदेश में इस दिशा में खुद सूबे के राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस मुहिम को बढ़ाने में जुटे हैं। वन्ही अब प्रदेश के कृषि मंत्री ने भी इस दिशा में अपने कदम बढ़ा लिए है।कृषि मंत्री रामलाल मार्कण्डेय का कहना है कि आज प्रदेश में जहर युक्त भोजन हर थाली में परोसा जा रहा है। जिसका नतीजा हर साल अस्पताल में बढ़ते कैंसर के मरीजों से लगाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 2022 हर घर मे देसी गाय देने पर विचार कर रही है।और इसके लिए सरकार सब्सिडी दे रही है।जिससे प्राकृतिक खेती की तरफ हर घर को मोड़ा जा सके।इसके लिए पंचायत स्तर पर काम किया जा रहा है।ओर हर साल प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का दायरा अब हर साल बढ़ रहा है।और 2022 तक सरकार का लक्ष्य हर घर तक पुहंचना है।

बाईट,,,कृषि मन्त्री हिमाचल
रामलाल मार्कण्डेय  

आपको बता दे कि हर साल खेती और बागवानी में नए से नए रसायनों का प्रयोग फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।जिसके फलस्वरूप हर फल और सब्जी में जहर की मात्रा अधिक होने से ये लोगों के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है।हर साल बीमार लोगों का आंकड़ा बढ़ रहा है। ओर साथ ही साथ जमीन भी इन रासायनिक खादों ओर विषैले छिड़काव से खराब हो गई है।जिसके बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अब सरकारें जैविक खेती की ओर ध्यान दे रही है।
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