शिमला: नगर निगम के लीगल अधिकारी का वायरल ऑडियो क्लिप का मामला शांत नहीं हो रहा है. निगम की मासिक बैठक से लगातार नदारद रहने पर लीगल आयुक्त को अब कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. ऑडियो क्लिप जारी होने के बाद से ही लीगल आयुक्त निगम की मासिक बैठक में नहीं आ रहे हैं. जबकि लीगल आयुक्त को बैठक में शामिल होना जरूरी है.
बुधवार को नगर निगम की बैठक में वायरल ऑडियो क्लिप का मुद्दा पार्षद आरती चौहान द्वारा उठाया गया और लीगल आयुक्त के न आने को लेकर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने की मांग की गई. पार्षदों का कहना है कि निगम की मासिक बैठक में लीगल आयुक्त का होना जरूरी है. जनता से कई जुड़े मुद्दों का लीगल आयुक्त ही उत्तर दे सकते हैं.
लेकिन छह माह पहले वायरल हुई ऑडियो क्लिप के बाद से ही वे बैठक में नहीं आ रहे हैं. पार्षदों की मांग पर सदन में एकमत से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला लिया गया. यही नहीं इस ऑडियो क्लिप की जांच के लिए हाउस से प्रस्ताव भी पारित कर सरकार को भेजा गया. जिसमें इस ऑडियो क्लिप की जल्द से जल्द जांच की मांग की गई है.
पार्षद आरती चौहान का कहना है कि निगम ने कई सालों बाद अपनी संपत्ति का किराया बढ़ाया है. किराया बढ़ाने के बीच एक ऑडियो क्लिप सामने आई. जिसमें लीगल आयुक्त की आवाज है. इसके बाद से ही लीगल आयुक्त ने बैठकों से किनारा कर लिया है.
जबकि पार्षदों को कई कानूनी मामलों में उचित जवाब भी नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि वे चार माह से ऑडियो क्लिप को लेकर नगर निगम और सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. उन्होंने सदन से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की मांग की.
उधर नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कहना है कि लीगल आयुक्त हर बार मासिक बैठक में बीमारी या अन्य कारणों का बहाना बना कर नहीं आ रहे हैं. जिसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है और अगली बैठक से पहले उन्हें बैठक में न आने का कारण बताना जरूरी होगा.