शिमला: हिमाचल में पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रदेश के शिक्षण संस्थान अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस कार्य को शिक्षण संस्थानों में बनाए गए इको क्लब के माध्यम से किया जा रहा है. जिसमें स्कूल, कॉलेजों के छात्रों को जोड़ कर उनके माध्यम से आम लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक किया जा रहा है.
प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में बनाए गए यह इको क्लब अलग-अलग कार्य पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रदेश में कर रहे हैं. जिनके माध्यम से कहीं वृक्षारोपण तो कहीं सफाई अभियान स्कूल और इसके आसपास के क्षेत्रों में चलाया जा रहा जा रहा है. इतना ही नहीं इन क्लब की गतिविधियां भी सुचारू रूप से चल सके इसके लिए भारत सरकार की ओर से बजट भी इन क्लबों को मुहैया करवाया जा रहा है.
हिमाचल में वर्तमान समय में 3100 इको क्लब बनाए गए हैं. इसमें से 3 हजार के करीब इको क्लब प्रदेश के स्कूलों में और बाकी 100 के करीब क्लब प्रदेश के कॉलेजों में चल रहे हैं. पर्यावरण को लेकर गतिविधियां चलाई जा सके इसके लिए पर्यावरण एवं जलवायु, वन मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 5 हजार रुपये की ग्रांट प्रति वर्ष एक-एक इको क्लब को जारी की जाती है.
यह राशि किन कार्यों पर खर्च की जाए, यह भी मंत्रालय की ओर से पहले ही तय किया गया है. इस राशि को इको क्लब अपने कैंपस की ब्यूटीफिकेशन करने के साथ ही वाटर कंजर्वेशन पर इस राशि को खर्च कर सकते हैं. इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए जाने वाले कार्यों पर भी इस राशि को क्लब खर्च कर सकते हैं.
राज्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद शिमला के वैज्ञानिक और इको क्लब के संयोजक रवि शर्मा ने कहा कि प्रदेश के स्कूल, कॉलेजों में इको क्लब बना कर बच्चों को पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से रूबरू करवाने के साथ ही उन्हें पर्यावरण संरक्षण किस तरह से किया जा सकता है इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है. इको क्लब के माध्यम से ही लोगों में भी पर्यावरण को लेकर जागरूकता लाई जा रही है.
उन्होंने कहा कि परिषद के अभियानों में भी यह इको क्लब अहम भूमिका निभा रहे हैं और अभी परिषद की ओर से चलाए जा रहे पॉलीथिन हटाओ, पर्यावरण बचाओ अभियान में भी यह इको क्लब अहम भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि इको क्लब को जो बजट दिया जाता है उन्हें किन गतिविधियों पर खर्च किया गया इसका पूरा ब्यौरा भी शिक्षा विभाग के पास रहता है.