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अब फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा केस, वन विभाग ही करेगा डील

डीएफओ बिलासपुर अवनि भूषण राय ने बताया कि कि अब एफसीए केस फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक ऑर्डर आया है जिसमें कहा गया है कि एफसीए केस अब वन विभाग ही डील करेगा. (DFO Bilaspur Avani Bhushan Rai) (Bilaspur Forest Division)

अब फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा केस
अब फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा केस
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Published : Feb 25, 2023, 3:16 PM IST

अब फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा केस

बिलासपुर: बिलासपुर वन मंडल अधिकारी अवनि भूषण राय ने बताया कि अब विभिन्न विकासात्मक परियोजानाओं के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए केस सुप्रीम कोर्ट को नहीं भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश आए हैं कि अब एफसीए केस सुप्रीम कोर्ट भेजने की जरूरत नहीं होगी. बल्कि फाइनल अप्रूवल वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से ही होगा.

उन्होंने बताया कि दस फरवरी को जारी ऑर्डर में कहा गया है कि छोटे-छोटे केस भी सुप्रीम कोर्ट आते हैं जिनकी फाइनल अप्रूवल के लिए समय लग जाता है. इसलिए अब सभी केस वन विभाग ही डील करेगा. उन्होंने बताया कि किसी भी प्रोजेक्ट की एफसीए क्लीयरेंस के लिए सबसे पहले स्टेज वन और फिर स्टेज टू की अप्रूवल होती है फिर उसके बाद फाइनल अप्रूवल के लिए केस सुप्रीम कोर्ट जाता है. ऐसे में यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसके चलते कई प्रोजेक्ट लंबे समय तक लटके रहते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों में कहा गया है कि एफसीए केस की फाइनल अप्रूवल सुप्रीम कोर्ट से नहीं बल्कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से ही हो जाएगी.

इससे समय की बचत होगी: वनमंडल अधिकारी के अनुसार एक हेक्टेयर जमीन की एफसीए क्लीयरेंस के लिए डीएफओ के पास पावर है जबकि इससे अधिक हेक्टेयर जमीन की एफसीए क्लीयरेंस शिमला में कार्यरत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के इंटीग्रेटेड रीजनल ऑफिस से होती है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर के बाद अब एफसीए केस क्लीयर होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. डीएफओ के अनुसार जिला बिलासपुर में चार्जिंग स्टेशन के लिए चिन्हित जमीन की एफसीए क्लीयरेंस के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जबकि राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल के लिए चिन्हित जमीन की क्लीयरेंस के लिए भी काम चल रहा है. वहीं, एम्स के पास प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय की एफसीए क्लीयरेंस के लिए मामला विचाराधीन है, जबकि घुमारवीं के केंद्रीय विद्यालय के लिए चिन्हित जमीन की स्टेज वन की क्लीयरेंस जल्द होने की उम्मीद है.

बिलासपुर जिले में बनाए जाएंगे 15 नए अमृत सरोवर: वहीं, वन विभाग बिलासपुर के डीएफओ अवनि भूषण राय ने बताया कि जिले में 15 नए अमृत सरोवर बनाए जाएंगे. जिसके लिए वन विभाग ने जगह चिन्हित कर प्रस्ताव भी तैयार कर दिए हैं और स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिए हैं. सरकार से मंजूरी मिलने के बाद कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि बीते साल वन विभाग ने 11 अमृत सरोवर बनाए थे. उन्होंने बताया कि एक अमृत सरोवर तैयार करने पर 2 से 5 लाख रुपए तक खर्च आता है. हालांकि जगह के हिसाब से छोटे बड़े सरोवर बनाए गए हैं. जो बड़े सरोवर हैं उन पर लागत ज्यादा आती है. उन्होंने बताया कि इन अमृत सरोवरों को बनाने का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण करना है.

ये भी पढ़ें: व्यवस्था परिवर्तन नहीं तमाशा बन कर रह गई है कांग्रेस सरकार: जयराम ठाकुर

अब फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगा केस

बिलासपुर: बिलासपुर वन मंडल अधिकारी अवनि भूषण राय ने बताया कि अब विभिन्न विकासात्मक परियोजानाओं के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस की फाइनल अप्रूवल के लिए केस सुप्रीम कोर्ट को नहीं भेजा जाएगा. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश आए हैं कि अब एफसीए केस सुप्रीम कोर्ट भेजने की जरूरत नहीं होगी. बल्कि फाइनल अप्रूवल वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से ही होगा.

उन्होंने बताया कि दस फरवरी को जारी ऑर्डर में कहा गया है कि छोटे-छोटे केस भी सुप्रीम कोर्ट आते हैं जिनकी फाइनल अप्रूवल के लिए समय लग जाता है. इसलिए अब सभी केस वन विभाग ही डील करेगा. उन्होंने बताया कि किसी भी प्रोजेक्ट की एफसीए क्लीयरेंस के लिए सबसे पहले स्टेज वन और फिर स्टेज टू की अप्रूवल होती है फिर उसके बाद फाइनल अप्रूवल के लिए केस सुप्रीम कोर्ट जाता है. ऐसे में यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसके चलते कई प्रोजेक्ट लंबे समय तक लटके रहते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों में कहा गया है कि एफसीए केस की फाइनल अप्रूवल सुप्रीम कोर्ट से नहीं बल्कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से ही हो जाएगी.

इससे समय की बचत होगी: वनमंडल अधिकारी के अनुसार एक हेक्टेयर जमीन की एफसीए क्लीयरेंस के लिए डीएफओ के पास पावर है जबकि इससे अधिक हेक्टेयर जमीन की एफसीए क्लीयरेंस शिमला में कार्यरत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार के इंटीग्रेटेड रीजनल ऑफिस से होती है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर के बाद अब एफसीए केस क्लीयर होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. डीएफओ के अनुसार जिला बिलासपुर में चार्जिंग स्टेशन के लिए चिन्हित जमीन की एफसीए क्लीयरेंस के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जबकि राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल के लिए चिन्हित जमीन की क्लीयरेंस के लिए भी काम चल रहा है. वहीं, एम्स के पास प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय की एफसीए क्लीयरेंस के लिए मामला विचाराधीन है, जबकि घुमारवीं के केंद्रीय विद्यालय के लिए चिन्हित जमीन की स्टेज वन की क्लीयरेंस जल्द होने की उम्मीद है.

बिलासपुर जिले में बनाए जाएंगे 15 नए अमृत सरोवर: वहीं, वन विभाग बिलासपुर के डीएफओ अवनि भूषण राय ने बताया कि जिले में 15 नए अमृत सरोवर बनाए जाएंगे. जिसके लिए वन विभाग ने जगह चिन्हित कर प्रस्ताव भी तैयार कर दिए हैं और स्वीकृति के लिए सरकार को भेज दिए हैं. सरकार से मंजूरी मिलने के बाद कार्य योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि बीते साल वन विभाग ने 11 अमृत सरोवर बनाए थे. उन्होंने बताया कि एक अमृत सरोवर तैयार करने पर 2 से 5 लाख रुपए तक खर्च आता है. हालांकि जगह के हिसाब से छोटे बड़े सरोवर बनाए गए हैं. जो बड़े सरोवर हैं उन पर लागत ज्यादा आती है. उन्होंने बताया कि इन अमृत सरोवरों को बनाने का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण करना है.

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