बिलासपुर: साठ के दशक में अस्तित्व में आई नगर परिषद बिलासपुर में सीवरेज का ढांचा आज भी साढ़े पांच दशक पुराना है. आबादी में कई गुणा इजाफा हो गया, लेकिन सीवरेज सुविधा प्रदान करने के लिए ढांचे में विस्तार अभी तक नहीं हो पाया है. जिस कारण शहर में सीवरेज व्यवस्था का बुरा हाल है.
ट्रीटमेंट प्लांट हांफ चुके हैं. सीवरेज की गंदगी नालों से बहते हुए गोबिंद सागर झील में समा रही है, जिससे शहर का वातावरण दूषित हो रहा है. वहीं, गोबिंद सागर झील का साफ पानी लगातार उसमें मिल रही सीवरेज की गंदगी के कारण खराब हो रहा है.
साठ के दशक में भाखड़ा बांध के अस्तित्व में आने के बाद पुराना बिलासपुर शहर जलमग्न हो गया है. साथ लगती पहाड़ी पर बिलासपुर शहर को चंडीगढ़ शहर की तर्ज पर दोबारा बसाया गया. उस दौरान हर गली के लिए सड़क के साथ वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग की सुविधा प्रदान की गई.
यही नहीं, नियोजित ढंग से बसाए गए इस शहर के लोगों को सीवरेज की सुविधा भी प्रदान की गई, लेकिन समय बढ़ने के साथ-साथ आबादी में भी कई गुणा इजाफा हो गया और सीवरेज के उस ढांचे में बदलाव नहीं किया गया.
11 वार्डों में फैले नगर परिषद बिलासपुर में आज स्थिति बदहाल हो चुकी है. नगर परिषद का कोई ऐसा वार्ड नहीं है जहां पर सीवरेज की गंदगी नालियों व चैंबर से बाहर नहीं निकल रही हो. ब्यास गुफा, कॉलेज चैक, चंपा पार्क, लक्ष्मी नारायण मंदिर और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कन्या के निकट सीवरेज की गंदगी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है.
विभिन्न सेक्टरों में विभाजित इस शहर का कोई ऐसा क्षेत्र ऐसा नहीं रह गया है जहां से गंदगी खुले में न बह रही हो. खैरियां व लखनपुर में ट्रीटमेंट प्लांट हांफ चुके हैं.
हालांकि, आइपीएच विभाग ने दोनों स्थानों पर दोबारा ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने की कवायद शुरू की है, लेकिन अभी तक इसके लिए कुछ औपचारिकताओं को पूरा करना शेष रह गया है. खैरियां में जमीन की निशानदेही की वजह से ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है.
इस पर विभाग का ध्यान नहीं जा रहा. इस समय झील पूरी तरह से भर चुकी है और इसमें वोटिंग के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं, लेकिन गंदगी के कारण झील से बदबू आ रही है, जिससे बाहर से आने वाले पर्यटक परेशान हो रहे हैं.
रोजाना झील के किनारे शहर के लोग टहलने के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने भी इस समस्या पर चिंता व्यक्त की है. बता दें कि गंदगी के चलते अब यहां पर्यटकों का आना भी कम हो गया है, जो कि चिंता का विषय है. प्रशासन व संबंधित विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए.