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सात महीने बाद स्कूलों में दिखी बच्चों की झलक, नियमों का किया जा रहा पालन

नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाएं हिमाचल सरकार ने शुरू कर दी. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिलासपुर जिला में 17600 बच्चें हायर एजुकेशन में है, लेकिन पहले दिन कुल 8 हजार के करीब बच्चों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज करवाई है. सोशल डिस्टेसिंग सहित अन्य सरकार की एसओपी को पूरा पालन करवाया जा रहा है.

स्कूल
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Published : Nov 2, 2020, 5:19 PM IST

बिलासपुर: नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाएं हिमाचल सरकार ने शुरू कर दी. सोमवार को बिलासपुर जिला के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों ने पहुंचना शुरू कर दिया है, लेकिन छात्रों की संख्या में कमी भी देखी गई है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिलासपुर जिला में 17600 बच्चे हायर एजुकेशन में है, लेकिन पहले दिन कुल 8 हजार के करीब बच्चों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज करवाई है.

कम रही छात्रों की संख्या

स्कूल प्रशासन का कहना है कि पहले दिन बच्चों की संख्या कम हो सकती है. बिलासपुर शहर के बीचों-बीच स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाल रौड़ा सेक्टर में पहले दिन 40 से अधिक छात्रों पहुंचे. स्कूल गेट पर हर बच्चे व आने वाले व्यक्ति का पूरा नाम पता दर्ज किया जा रहा है. इसके साथ थर्मल स्कैनिंग भी की जा रही है. स्कूल में छात्रों को सोशल डिस्टेसिंग सहित अन्य सरकार की एसओपी को पूरा पालन करवाया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

आज खुले स्कूल

बता दें कि दो नवंबर आज से स्कूलों को खोलने का निणर्य लिया गया. हालांकि सरकार ने फैसला लिया कि छात्रों के लिए हाजिरी अनिवार्य नहीं होगी. इसके साथ ही स्कूल-कालेज प्रबंधन यह तय करेगा कि छात्रों की कक्षाएं किस तरह से लगानी हैं. अगर किसी स्कूल में सौ से ज्यादा छात्र है तो प्रधानाचार्यों को अल्टरनेट-डे पर छात्रों को स्कूलों में बुलाना होगा.

नियमों का हो रहा पालन

अगर किसी स्कूल, कॉलेज में छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग में बैठाने के लिए क्लासरूम नहीं होंगे, तो ऐसे में बोर्ड कक्षाओं के छात्रों की रेगुलर कक्षाएं शुरू करने को ज्यादा तवज्जो देनी होगी. इस दौरान प्रबंधन को पूरी व्यवस्था करनी होगी. स्कूल में आने वाले छात्रों को मास्क पहनकर आना होगा. स्कूल में सेनेटाइजर की सुविधा होनी चाहिए. इसके साथ ही थर्मल स्कैनिंग के बिना कोई भी छात्र स्कूल में इंटर नहीं होगा.

स्कूलों में पूरी व्यवस्थाएं

सरकार की ओर से आदेश दिए गए हैं कि स्कूल, कॉलेज प्रबंधन को हर पीरियड के बाद छात्रों को हाथ धोने के लिए भेजना होगा. संक्रमण के दौरान पहली बार छात्रों के लिए खोले जा रहे स्कूलों में पूरी व्यवस्थाएं करनी होगी. वहीं राज्य सरकार की ओर से जारी की गई एसओपी के तहत ही स्कूलों में नियमों का पालन करना होगा.

नहीं होंगी प्रार्थना सभाएं

नियमित कक्षाओं के दौरान स्कूलों में प्रार्थना सभाएं नहीं होंगी. खेलकूद की गतिविधियों पर भी रोक रहेगी. परिसर में कहीं भी शिक्षक और छात्र समूह में एकत्रित नहीं होंगे.

नहीं होगी सर्दियों की छुट्टियां

स्कूल-कॉलेजों में इस बार जनवरी और फरवरी में भी नियमित कक्षाएं लगेंगी. कोरोना संकट के चलते इस बार शीतकालीन छुट्टियों वाले शिक्षण संस्थानों में सर्दियों की छुट्टियां नहीं होंगी. नवंबर या दिसंबर की कैबिनेट बैठक में इसको लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

कोरोना संक्रमित शिक्षकों के आने पर रोक

खांसी, बुखार और जुकाम जैसे कोरोना के लक्षण वाले शिक्षकों और छात्रों को शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं मिलेगा. बीते दिनों प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों के पॉजिटिव पाए जाने के बाद शिक्षा निदेशालय ने यह फैसला लिया है.

24 मार्च से बंद हैं शिक्षण संस्थान

बता दें कि कोविड-19 की वजह से प्रदेश में 24 मार्च से स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. 7 माह बाद अब स्कूल खोले जा रहे है, तो ऐसे में शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है, जिन्हें हर पल सावधानी रखनी होगी.

सहमति पत्र अब भी जरूरी

स्कूल में आने के लिए छात्रों को अभिभावकों का सहमति पत्र अब भी लाना होगा. हालांकि लक्षण आने पर छात्र को स्कूल छोड़ना होगा. सरकार किसी छात्र के पॉजिटिव आने पर कोई जिम्मेदारी नहीं ले रही है. ऐसे में छात्रों को अपने स्वास्थ्य का ख्याल खुद ही रखना होगा और पूरी सावधानी बरतनी होगी.

बिलासपुर: नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाएं हिमाचल सरकार ने शुरू कर दी. सोमवार को बिलासपुर जिला के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों ने पहुंचना शुरू कर दिया है, लेकिन छात्रों की संख्या में कमी भी देखी गई है. शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बिलासपुर जिला में 17600 बच्चे हायर एजुकेशन में है, लेकिन पहले दिन कुल 8 हजार के करीब बच्चों ने अपनी अनुपस्थिति दर्ज करवाई है.

कम रही छात्रों की संख्या

स्कूल प्रशासन का कहना है कि पहले दिन बच्चों की संख्या कम हो सकती है. बिलासपुर शहर के बीचों-बीच स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बाल रौड़ा सेक्टर में पहले दिन 40 से अधिक छात्रों पहुंचे. स्कूल गेट पर हर बच्चे व आने वाले व्यक्ति का पूरा नाम पता दर्ज किया जा रहा है. इसके साथ थर्मल स्कैनिंग भी की जा रही है. स्कूल में छात्रों को सोशल डिस्टेसिंग सहित अन्य सरकार की एसओपी को पूरा पालन करवाया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

आज खुले स्कूल

बता दें कि दो नवंबर आज से स्कूलों को खोलने का निणर्य लिया गया. हालांकि सरकार ने फैसला लिया कि छात्रों के लिए हाजिरी अनिवार्य नहीं होगी. इसके साथ ही स्कूल-कालेज प्रबंधन यह तय करेगा कि छात्रों की कक्षाएं किस तरह से लगानी हैं. अगर किसी स्कूल में सौ से ज्यादा छात्र है तो प्रधानाचार्यों को अल्टरनेट-डे पर छात्रों को स्कूलों में बुलाना होगा.

नियमों का हो रहा पालन

अगर किसी स्कूल, कॉलेज में छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग में बैठाने के लिए क्लासरूम नहीं होंगे, तो ऐसे में बोर्ड कक्षाओं के छात्रों की रेगुलर कक्षाएं शुरू करने को ज्यादा तवज्जो देनी होगी. इस दौरान प्रबंधन को पूरी व्यवस्था करनी होगी. स्कूल में आने वाले छात्रों को मास्क पहनकर आना होगा. स्कूल में सेनेटाइजर की सुविधा होनी चाहिए. इसके साथ ही थर्मल स्कैनिंग के बिना कोई भी छात्र स्कूल में इंटर नहीं होगा.

स्कूलों में पूरी व्यवस्थाएं

सरकार की ओर से आदेश दिए गए हैं कि स्कूल, कॉलेज प्रबंधन को हर पीरियड के बाद छात्रों को हाथ धोने के लिए भेजना होगा. संक्रमण के दौरान पहली बार छात्रों के लिए खोले जा रहे स्कूलों में पूरी व्यवस्थाएं करनी होगी. वहीं राज्य सरकार की ओर से जारी की गई एसओपी के तहत ही स्कूलों में नियमों का पालन करना होगा.

नहीं होंगी प्रार्थना सभाएं

नियमित कक्षाओं के दौरान स्कूलों में प्रार्थना सभाएं नहीं होंगी. खेलकूद की गतिविधियों पर भी रोक रहेगी. परिसर में कहीं भी शिक्षक और छात्र समूह में एकत्रित नहीं होंगे.

नहीं होगी सर्दियों की छुट्टियां

स्कूल-कॉलेजों में इस बार जनवरी और फरवरी में भी नियमित कक्षाएं लगेंगी. कोरोना संकट के चलते इस बार शीतकालीन छुट्टियों वाले शिक्षण संस्थानों में सर्दियों की छुट्टियां नहीं होंगी. नवंबर या दिसंबर की कैबिनेट बैठक में इसको लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

कोरोना संक्रमित शिक्षकों के आने पर रोक

खांसी, बुखार और जुकाम जैसे कोरोना के लक्षण वाले शिक्षकों और छात्रों को शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं मिलेगा. बीते दिनों प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों के पॉजिटिव पाए जाने के बाद शिक्षा निदेशालय ने यह फैसला लिया है.

24 मार्च से बंद हैं शिक्षण संस्थान

बता दें कि कोविड-19 की वजह से प्रदेश में 24 मार्च से स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था. 7 माह बाद अब स्कूल खोले जा रहे है, तो ऐसे में शिक्षा विभाग व स्कूल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है, जिन्हें हर पल सावधानी रखनी होगी.

सहमति पत्र अब भी जरूरी

स्कूल में आने के लिए छात्रों को अभिभावकों का सहमति पत्र अब भी लाना होगा. हालांकि लक्षण आने पर छात्र को स्कूल छोड़ना होगा. सरकार किसी छात्र के पॉजिटिव आने पर कोई जिम्मेदारी नहीं ले रही है. ऐसे में छात्रों को अपने स्वास्थ्य का ख्याल खुद ही रखना होगा और पूरी सावधानी बरतनी होगी.

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