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ट्राउट मछली को नुकसान से बचाने के लिए मत्स्य विभाग ने बनाई योजना, 2018 में हुआ था करोड़ों का नुकसान

हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग ने मछलियों को बरसाती बाढ़ से बचाने के लिए योजना बनाई है जिसके तहत अब कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में ट्राउट मछली को नुकसान से बचाया जा सकेगा. पढ़ें पूरी खबर...

ट्राउट मछली
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Published : Feb 24, 2023, 12:13 PM IST

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता.

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग ने मछलियों को बरसात के दौरान बरसाती बाढ़ से बचाने के लिए एक योजन तैयार की है. जिसके तहत अब जिला कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में ट्राउट मछली को नुकसान नहीं पहुंच पाएगा. इसके लिए मत्स्य विभाग ने अल्टरनेट वाटर सप्लाई का प्रबंध किया है. इसके तहत हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की मदद से पतलीकूहल फार्म में चार बोरवेल लगाए गए हैं.

इसी के साथ-साथ अगर बिजली चली जाती है तो इसके लिए भी हर बोरवेल के साथ डीजल सैट लगाए गए हैं ताकि तालाबों में पानी पहुंचाकर ट्राउट मछलियों को बचाया जा सके. यह प्रबंध ट्राउट को हर स्थिति में जीवित रखने के लिए किया गया है. बता दें कि साल 2018 के सितंबर माह में कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में बरसाती बाढ़ के कारण ट्राउट मछली को काफी नुकसान पहुंचा था. बाढ़ के कारण लगभग पच्चीस मीट्रिक टन ट्राउट मछली मर गई थी. दरअसल पानी के सप्लाई में काफी मात्रा में गाद आ गई थी.

ऐसे में फार्म को रिवाईव होने में दो से तीन साल तक का समय लग गया. वहीं, वर्तमान की बात की जाए तो अभी कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में दस से बारह मीट्रिक टन पैदावार साल भर में हो रही है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दो से तीन सालों में फिर से पहले की तरह बीस से पच्चीस मीट्रिक टन सालाना ट्राउट की पैदावार शुरू हो जाएगी.

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता बताते हैं कि बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए उनके द्वारा एक प्रबंध किया गया है. जिसके तहत आपात स्थिति में ट्राउट मछली को नुकसान से बचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में चार बोरवेल लगाए गए हैं. बिजली जाने के बाद भी मछलियों को साफ पानी की सप्लाई होती रहेगी. जिससे ट्राउट मछली का बचाव हो पाएगा.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में बढ़ रही ट्राउट मछली पालकों की संख्या, विभाग ने रखा 350 मीट्रिक टन ट्राउट के उत्पादन का लक्ष्य

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता.

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश के मत्स्य विभाग ने मछलियों को बरसात के दौरान बरसाती बाढ़ से बचाने के लिए एक योजन तैयार की है. जिसके तहत अब जिला कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में ट्राउट मछली को नुकसान नहीं पहुंच पाएगा. इसके लिए मत्स्य विभाग ने अल्टरनेट वाटर सप्लाई का प्रबंध किया है. इसके तहत हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की मदद से पतलीकूहल फार्म में चार बोरवेल लगाए गए हैं.

इसी के साथ-साथ अगर बिजली चली जाती है तो इसके लिए भी हर बोरवेल के साथ डीजल सैट लगाए गए हैं ताकि तालाबों में पानी पहुंचाकर ट्राउट मछलियों को बचाया जा सके. यह प्रबंध ट्राउट को हर स्थिति में जीवित रखने के लिए किया गया है. बता दें कि साल 2018 के सितंबर माह में कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में बरसाती बाढ़ के कारण ट्राउट मछली को काफी नुकसान पहुंचा था. बाढ़ के कारण लगभग पच्चीस मीट्रिक टन ट्राउट मछली मर गई थी. दरअसल पानी के सप्लाई में काफी मात्रा में गाद आ गई थी.

ऐसे में फार्म को रिवाईव होने में दो से तीन साल तक का समय लग गया. वहीं, वर्तमान की बात की जाए तो अभी कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में दस से बारह मीट्रिक टन पैदावार साल भर में हो रही है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दो से तीन सालों में फिर से पहले की तरह बीस से पच्चीस मीट्रिक टन सालाना ट्राउट की पैदावार शुरू हो जाएगी.

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता बताते हैं कि बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए उनके द्वारा एक प्रबंध किया गया है. जिसके तहत आपात स्थिति में ट्राउट मछली को नुकसान से बचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए कुल्लू के पतलीकूहल फार्म में चार बोरवेल लगाए गए हैं. बिजली जाने के बाद भी मछलियों को साफ पानी की सप्लाई होती रहेगी. जिससे ट्राउट मछली का बचाव हो पाएगा.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में बढ़ रही ट्राउट मछली पालकों की संख्या, विभाग ने रखा 350 मीट्रिक टन ट्राउट के उत्पादन का लक्ष्य

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