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भारत बंद: किसान-मजदूर संगठनों ने उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

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Published : Dec 8, 2020, 6:21 PM IST

भारत बंद के समर्थन में बिलासपुर के विभिन्न किसान मजदूर संगठनों एवं समाज सेवी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति को उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा और जिलाधीष कार्यालस के बाहर किसानों के आन्दोलन के समर्थन में नारेबाजी भी की.

Bharat Bandh News Bilaspur
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बिलासपुर: किसानों के भारत बंद के समर्थन में बिलासपुर के विभिन्न किसान मजदूर संगठनों एवं समाज सेवी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति को उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा और जिलाधीष कार्यालस के बाहर किसानों के आन्दोलन के समर्थन में नारेबाजी भी की.

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि सरकार जबरदस्ती किसानों की जमीनों को अम्बानी और अडानी के हवाले करना चाहती है जिसका किसान पुरजोर विरोध कर रहे हैं. यह अधिनियम आज हमें अंग्रेजों के उस कानून की याद दिलाते हैं जिसमें किसानों को जबरदस्ती नील की खेती करने के लिए बाध्य किया जाता था जिसके विरूद्ध किसानों के एक लंबा आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ा था.

वीडियो.

वक्ताओं ने सरकार व कुछ मीडिया चैनलों की भी आलोचना की कि वो किसानों को किसान न दिखाकर कभी खालीस्तानी, कभी पाकिस्तानी तथा कभी आतंकवादी दर्शा रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार उन्हीं किसानों के साथ वार्ता का ढ़ोंग भी कर रही है.

वक्ताओं ने कहा कि इस सरकार ने देश की तमाम सार्वजनिक संपतियों चाहे वो भारतीय जीवन बीमा निगम हो, भारत पेट्रोलियम हो, भारत संचार निगम हो या एयर इंडिया हो, एयरपोर्टस हो, दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन हो, रक्षा फैक्ट्रियां हों, तमाम को अपने दोस्तों अम्बानी व अडानी के हवाले कर रही है अब इनकी नजर किसानों की जमीनों व एपीएमसी के ऊपर पड़ी है परंतु इस देश के किसान संघर्ष कर रहे हैं और वे इस देश की मिट्टी को बिकने न देंगे.

बिलासपुर: किसानों के भारत बंद के समर्थन में बिलासपुर के विभिन्न किसान मजदूर संगठनों एवं समाज सेवी संगठनों ने महामहिम राष्ट्रपति को उपायुक्त बिलासपुर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा और जिलाधीष कार्यालस के बाहर किसानों के आन्दोलन के समर्थन में नारेबाजी भी की.

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि सरकार जबरदस्ती किसानों की जमीनों को अम्बानी और अडानी के हवाले करना चाहती है जिसका किसान पुरजोर विरोध कर रहे हैं. यह अधिनियम आज हमें अंग्रेजों के उस कानून की याद दिलाते हैं जिसमें किसानों को जबरदस्ती नील की खेती करने के लिए बाध्य किया जाता था जिसके विरूद्ध किसानों के एक लंबा आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ा था.

वीडियो.

वक्ताओं ने सरकार व कुछ मीडिया चैनलों की भी आलोचना की कि वो किसानों को किसान न दिखाकर कभी खालीस्तानी, कभी पाकिस्तानी तथा कभी आतंकवादी दर्शा रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार उन्हीं किसानों के साथ वार्ता का ढ़ोंग भी कर रही है.

वक्ताओं ने कहा कि इस सरकार ने देश की तमाम सार्वजनिक संपतियों चाहे वो भारतीय जीवन बीमा निगम हो, भारत पेट्रोलियम हो, भारत संचार निगम हो या एयर इंडिया हो, एयरपोर्टस हो, दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन हो, रक्षा फैक्ट्रियां हों, तमाम को अपने दोस्तों अम्बानी व अडानी के हवाले कर रही है अब इनकी नजर किसानों की जमीनों व एपीएमसी के ऊपर पड़ी है परंतु इस देश के किसान संघर्ष कर रहे हैं और वे इस देश की मिट्टी को बिकने न देंगे.

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