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बिलासपुर में धूमधाम से मनाई गई बकरीद, J&K में शांति कायम रहने की मांगी दुआ

बिलासपुर में बकरीद का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नमाज अदा की और जम्मू-कश्मीर के हालातों में भाईचारा कायम रहने की कामना की.

Bakrid
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Published : Aug 12, 2019, 8:19 PM IST

बिलासपुर: जिला में बकरीद का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोड़ा सेक्टर स्थित जामा मस्जिद जाकर ईद की नमाज अदा की और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दी. साथ ही जम्मू-कश्मीर के हालातों में सुधार और शांति व भाईचारा कायम रहने की कामना की.

बता दें कि ईद अल अधा को बकरीद भी कहा जाता है. मान्यता है कि इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह के हुकम पर कुर्बान कर रहे थे. अल्लाह ने उनके सही जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवन दान दिया था. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक वे दिन धू-अल-हिज्जा महीने की 10 तारीख थी. उसी की याद में बकरीद यानि ईद अल अधा का त्यौहार मनाया जाता है. मक्का मदीना में हज की तारीख भी इसी त्यौहार के साथ होती है.

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ये भी पढे़ं-IGMC में पहला किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन सफल, CM ने डॉक्टर्स को दी बधाई

जामा मस्जिद रोड़ा कमेटी बिलासपुर के प्रधान मोहम्मद हारुन ने सभी को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि वे 370 का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि सब यही चाहते हैं कि देश व जम्मू-कश्मीर में सुख शांति बनी रही.

ये भी पढे़ं-पुलिस भर्ती में फर्जीवाड़ा मामला, CM जयराम ने दिए जांच के निर्देश

बिलासपुर: जिला में बकरीद का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोड़ा सेक्टर स्थित जामा मस्जिद जाकर ईद की नमाज अदा की और एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दी. साथ ही जम्मू-कश्मीर के हालातों में सुधार और शांति व भाईचारा कायम रहने की कामना की.

बता दें कि ईद अल अधा को बकरीद भी कहा जाता है. मान्यता है कि इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह के हुकम पर कुर्बान कर रहे थे. अल्लाह ने उनके सही जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवन दान दिया था. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक वे दिन धू-अल-हिज्जा महीने की 10 तारीख थी. उसी की याद में बकरीद यानि ईद अल अधा का त्यौहार मनाया जाता है. मक्का मदीना में हज की तारीख भी इसी त्यौहार के साथ होती है.

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जामा मस्जिद रोड़ा कमेटी बिलासपुर के प्रधान मोहम्मद हारुन ने सभी को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि वे 370 का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि सब यही चाहते हैं कि देश व जम्मू-कश्मीर में सुख शांति बनी रही.

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Intro:एंकर- एक ओर जहाँ ईद अल अधा की खास रौनक पुरे देश में देखने को मिल रही है तो वहीँ देवभूमि हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है. जी हाँ बात करें बिलासपुर की तो यहाँ भी ईद का त्यौहार बड़े ही जोर-शोर से मनाया गया. सबसे पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रौड़ा सेक्टर स्थित जामा मस्जिद जाकर ईद की नमाज अदा की जिसके बाद एक-दुसरे के गले लगाकर ईद की बधाई दी. एक ओर जहाँ इस खास पर्व पर मुस्लिम भाइयों ने देश में अमन-चैन के साथ ही आपसी भाई चारे की कामना की तो साथ ही जम्मू-कश्मीर से धारा-370 और 35ए हटाये जाने का समर्थन करते हुए जम्मू-कश्मीर के हालातों में सुधार के साथ ही शांति और भाईचारा कायम रहने की खुदा से दुआ की है. गौरतलब है की ईद अल अधा को बकरीद ईद भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है की ईब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को अलाह के हुकम पर कुर्बान कर रहे थे की अल्लाह ने उनके सही जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवन दान दे दिया था. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक वह दिन धू-अल-हिज्जा महीने की 10 तारीख थी उसी की याद में बकरीद यानि ईद अल अधा का त्यौहार मनाया जाता है, मक्का मदीना में हज की तारीख भी इसी त्यौहार के साथ होती है.

बाइट- मोहम्मद हारुन, प्रधान, जामा मस्जिद रौड़ा कमेटी, बिलासपुर।Body:BYte vishulConclusion:एंकर- एक ओर जहाँ ईद अल अधा की खास रौनक पुरे देश में देखने को मिल रही है तो वहीँ देवभूमि हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है. जी हाँ बात करें बिलासपुर की तो यहाँ भी ईद का त्यौहार बड़े ही जोर-शोर से मनाया गया. सबसे पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रौड़ा सेक्टर स्थित जामा मस्जिद जाकर ईद की नमाज अदा की जिसके बाद एक-दुसरे के गले लगाकर ईद की बधाई दी. एक ओर जहाँ इस खास पर्व पर मुस्लिम भाइयों ने देश में अमन-चैन के साथ ही आपसी भाई चारे की कामना की तो साथ ही जम्मू-कश्मीर से धारा-370 और 35ए हटाये जाने का समर्थन करते हुए जम्मू-कश्मीर के हालातों में सुधार के साथ ही शांति और भाईचारा कायम रहने की खुदा से दुआ की है. गौरतलब है की ईद अल अधा को बकरीद ईद भी कहा जाता है और ऐसी मान्यता है की ईब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को अलाह के हुकम पर कुर्बान कर रहे थे की अल्लाह ने उनके सही जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवन दान दे दिया था. इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक वह दिन धू-अल-हिज्जा महीने की 10 तारीख थी उसी की याद में बकरीद यानि ईद अल अधा का त्यौहार मनाया जाता है, मक्का मदीना में हज की तारीख भी इसी त्यौहार के साथ होती है.

बाइट- मोहम्मद हारुन, प्रधान, जामा मस्जिद रौड़ा कमेटी, बिलासपुर।
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