बिलासपुर: आम लोगों की परेशानी के साथ कोरोना संकट ने इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार के तार हिला दिए हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक्स को आस थी की अब कारोबार रफ्तार पकड़ेगा, लेकिन अनलॉक में भी धंधा मंदा ही है. लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. कुछ इक्का दुक्का लोग रिपेयरिंग के लिए वर्कशॉप पर पहुंच रहे हैं, लेकिन मैक्निक के पास स्पेयर पार्ट की सप्लाई ही नहीं पहुंच रही.
महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. ऐसे में देश एक और लॉकडाउन नहीं झेल सकता. कोरोना काल अपने साथ हजारों समस्याओं को लेकर आया है. यह वायरस अभी कितना कहर बरपाएगा यह कहना मुश्किल है.
सरकार ने संकट की इस घड़ी में कुछ वर्गों को काफी हद तक ढील दी है. इसमें बार्बर, ब्यूटी पार्लर संचालक, जिम, रेस्टोरेंट, होटल, ऑटो चालक शामिल है, लेकिन अगर बात इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स रिपेयर और छोटे मैकेनिक की करें जाएं तो उनके लिए कोरोना काल किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं.
छोटे मैकेनिक के लिए यह दौर आर्थिक मंदी से भी बदतर है. मैकेनिक की एसेसरीज बाहरी राज्यों से आती है, लेकिन कोरोना की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लग गया था. तीन महीने के लंबे गैप से कोई भी सामान बाहर से नहीं आया.
इलेक्ट्रॉनिक्स की सभी दुकानें खाली पड़ी है और फिलहाल सामान आने की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही है. मैकेनिकों को दो वक्त का खाना भी बहुत मुश्किल से नसीब होता है. या यूं कहें कि भूखे मरने की नौबत आन खड़ी है.
मैकेनिक्स शहरों में किराए के मकान लेकर अपने परिवार के साथ रहते है, लेकिन अब मकान का किराया, बच्चों की फीस, राशन, बिजली पानी के बिल देना इनके लिए काफी मुश्किल हो गया है. राज्य की सीमाएं सील हैं साथ ही कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा हैं. मैकेनिक वर्ग के लिए दिनों दिन परेशानी बढ़ती जा रही हैं.
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