बिलासपुरः कोविड काल में हर एक संस्था व नेता मदद करने में लगा हुआ है, लेकिन क्या वह मदद जरूरतमंद के पास पहुंच भी रही है या नहीं. यह एक बड़ा सवाल हर एक की जुबान पर रहता है. बिलासपुर जिला की बात करें तो यहां पर कुछ दिन पहले ही केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री व सांसद अनुराग सिंह ठाकुर और जेपी नड्डा की ओर से लाखों रुपये की लागत वाले कोविड उपकरण यहां पर भेजे गए थे. इन्हें यहां के सदर विधायक, जिला प्रशासन व सीएमओ ने रिसिव किया था, लेकिन हैरान करने की बात है कि उनमें से एक भी उपकरण जिला अस्पताल बिलासपुर प्रशासन के पास नहीं पहुंचा.
वहीं, जिला की एसीसी बरमाणा फैक्ट्री, फोरलेन कंपनी सहित अन्य निजी संस्थाओं ने ऑक्सीमीटर जिला प्रशासन को मदद के लिए भेजे, लेकिन उनमें से एक भी उपकरण अस्पताल प्रशासन को मदद के लिए नहीं भेजे गए. अस्पताल में 65 बेड के बनाए गए कोविड सेंटर के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से अपने स्तर पर सारा खर्चा किया गया.
बिलासपुर के चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके भारद्वाज ने कहा कि आयुर्वेदिक कोविड केयर सेंटर में भी अस्पताल प्रशासन ने अपने स्तर पर सारे उपकरण उपलब्ध करवाएं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से एक भी कोविड उपकरण अस्पताल प्रशासन को नहीं मिला. वहीं, हैरानी की बात ये है कि जिला प्रशासन को आए दिन कोई न कोई संस्था व नेता मदद के लिए ऑक्सीमीटर, एन-95 मास्क, सैनिटाइजर सहित अन्य उपकरण दे रहे हैं, लेकिन इसकी जहां पर जरूरत है वहां तक यह उपलब्ध हीं नहीं हो रहा है.
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल को अभी तक सिर्फ साइकिलिंग एसोसिएशन की ओर से 60 पीपीई किट्स व बीते कल उपायुक्त द्वारा जो हॉन्गकॉन्ग से भेजे गए 10 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर उपलब्ध करवाए गए हैं. इसके अलावा एक मास्क तक भी अस्पताल प्रशासन को जिला प्रशासन की ओर नहीं दिए गए है. ऐसे में अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि प्रशासन को आए दिन मिल रही उपकरणों की मदद का सामान आखिरकार जा कहां पर रहा है.
फोरलेन कंपनी ने उपायुक्त को सौंपे थे ऑक्सीमीटर
बताते चलें कि कुछ सप्ताह पहले की फोरलेन निर्माण कंपनी की ओर से जिला प्रशासन को 360 ऑक्सीमीटर उपलब्ध करवाए गए. इसके बाद नगर के एक व्यवसायी ने भी 50 ऑक्सीमीटर दिए थे. यहीं नहीं, जिला के स्वयंसेवी भी आए दिन प्रशासन को हर संभव मदद करने में आगे आ रहे हैं, लेकिन जहां पर इस सामान की जरूरत है वहां पर एक भी सामान न पहुंचा.
बड़े घोटाले की संभावना
वहीं, अब सवाल यह पैदा होता है कि जब प्रशासन को हर केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक हर संभव मदद मुहैया करवाई जा रही है. तो फिर अस्पताल प्रशासन के पास एक भी उपकरण ना पहुंचना एक बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रहा है.
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