बिलासपुर: जिला में इंटिग्रेटिड ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम आईटीएमएस के माध्यम से यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर पैनी नजर रहेगी. इस बाबत पुलिस विभाग ने प्रदेश की नामी चामुंडा कॉरपोरेशन के माध्यम से सर्वेक्षण करवाया है. यह एजेंसी नया सॉफ्टवेयर डेवलप करके देगी और लगभग दस लाख की कीमत का यह सिस्टम किसी प्राइम लोकेशन पर स्थापित किया जाएगा. एक तरह से सीसीटीवी की तरह यह सिस्टम काम करेगा. इसके जरिए नियमों की अवहेलना करने वालों का ऑटोमैटिक चालान कटेगा. जिसकी सूचना संबंधित वाहन मालिक को उसके घर के एड्रेस पर मिल जाएगा. इस सिस्टम पर काम करने वाला बिलासपुर कांगड़ा व कुल्लू के बाद तीसरा ऐसा जिला बन जाएगा.
हर गुजरने वालों पर रखी जा सकेगी पैनी नजर
योजना के तहत प्रदेश की नामी चामुंडा कारपोरेशन से सर्वे करवा लिया है और यह कंपनी सॉफ्टवेयर डेवलप करके न केवल उपलब्ध करवाएगी, बल्कि किसी प्राइम लोकेशन पर स्थापित भी करेगी, जिसके जरिए नियमों की अवहेलना करने वालों का अपने आप ही चालान कट जाएगा. इस सिस्टम की खासियत यह होगी कि ऑटोमैटिक कैमरा व सॉफ्टवेयर फिट होगा और इसके जरिए उस परिधि से गुजरने वालों पर पैनी नजर रखी जा सकेगा.
व्यस्त रहने वाले चौक-चौराहे या एक्सीडेंट प्रोन एरिया में लगेगा यह सिस्टम
इसका फायदा यह होगा कि एक तो नियमों से खिलवाड़ करने वाले चाहे रसूखदार हो या फिर प्रभावशाली व्यक्ति कोई भी नहीं बचेगा. वहीं चौक चैराहों पर पुलिस जवानों की तैनाती की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सिस्टम शहर में वाहनों के लिहाज से अत्यधिक व्यस्त रहने वाले चौक-चौराहे या फिर एक्सीडेंट प्रोन एरिया में लगाया जाना प्रस्तावित है. इस सिस्टम की कीमत लगभग दस लाख रुपये है. ऐसे में फंड को लेकर पुलिस विभाग के समक्ष चिंता है.
कांगड़ा और कुल्लू जिले में ट्रायल रहा सफल
सूत्र बताते हैं कि बजट पर चर्चा करने के लिए जल्द ही बिलासपुर जिला पुलिस के अधिकारी मंत्रणा करेंगे और बजट को लेकर कार्य योजना तैयार की जाएगा. यहां बता दें कि सबसे पहले प्रदेश में इस सिस्टम पर कांगड़ा जिला ने ट्रायलबेस पर काम शुरू किया था, जिसमें पुलिस काफी हद तक सफल रही है, जबकि इसके बाद कुल्लू जिला में ट्रायल किया गया. सक्सेस रहने की वजह से अब बिलासपुर जिला पुलिस भी इस महत्त्वपूर्ण योजना पर काम कर रही है
डीएसपी संजय शर्मा ने कही ये बात
डीएसपी संजय शर्मा ने बताया कि इंटिग्रेटिड ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम के लिए कार्रवाई चल रही है. इसका सर्वे करवा लिया गया है और बिलासपुर में किसी एक लोकेशन पर ट्रायल किया जाएगा. सर्वे करने वाली एजेंसी ही सॉफ्टवेयर डेवलप करके देगी. चूंकि यह सिस्टम महंगी लागत का है, जिसके लिए फंड की जरूरत है. जल्द ही पुलिस अधीक्षक के साथ मीटिंग कर बजट को लेकर अगली रूपरेखा तैयार की जाएगी.
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